दिल्ली से लेकर लखनऊ तक लखीमपुर कांड के लिए अजय मिश्रा टेनी की बर्ख़ास्तगी की मांग
देश की राजधानी दिल्ली से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक विपक्ष गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर दबाव बना रहा है।
विशेष जाँच दल (एसआईटी) द्वारा लखीमपुर कांड को “सुनियोजित साजिश” बताने के बाद टेनी की बर्ख़ास्तगी के लिये प्रदेश में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गये हैं।
किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं ने भी कहा है कि भाजपा को याद रखना चाहिये कि हमने आंदोलन ख़त्म किया है; मिशन उत्तर प्रदेश वापिस नहीं लिया है। उधर एक टीवी पत्रकार से अभद्रता कर के गृह राज्य मंत्री ने स्वयं के लिए एक और नई परेशानी खड़ी कर ली है।
उत्तर प्रदेश में बुधवार को शीतकालीन सत्र शुरू हुआ। सत्र के पहले ही दिन कांग्रेसी विधायकों ने सड़क से भाजपा पर हमला शुरू कर दिया।पार्टी के विधायकों ने जुलूस निकाल मोदी के मंत्री की बर्ख़ास्तगी की माँग की।भाजपा के प्रदेश कार्यालय के सामने से गुज़रे इस जुलूस में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार “लल्लू” भी शामिल हुए। टेनी की गिरफ़्तारी के लिये नारे लगाते देखे गये।
माना जा रहा है कि प्रदेश चुनाव में 2002 से पहले विपक्ष लखीमपुर कांड को एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहता है। यह मुद्दा प्रदेश के किसानों से सीधा जुड़ा हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा तीन विवादास्पद क़ानूनों के वापिस लेने के बाद लखनऊ में हुई “किसान महापंचायत” में भी “संयुक्त किसान मोर्चा” ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आज कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट के बाद टेनी को बरख़ास्त न कर के भाजपा किसानों का अपमान कर रही है।उन्होंने कहा कि किसानों का शक़ अब यक़ीन में तब्दील हो गया है कि लखीमपुर “नरसंहार” को आशीष मिश्र ने अपने पिता मंत्री अजय मिश्र टेनी के इशारे पर अंजाम दिया था।भाजपा को चेतावनी देते हुए लल्लू ने कहा कि टेनी की बरखास्तगी तक कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी।
लल्लू ने लखीमपुर मे एक टीवी पत्रकार के सवाल पर धमकाने और मोबाइल छीनने संबंधी वायरल वीडियो का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस घटना ने टेनी के आपराधिक प्रवृत्ति का खुलासा कर दिया है।
कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता श्री दीपक सिंह ने कहा कि टेनी गृह राज्य मंत्री पद पर रहने पर निष्पक्ष जांच को लेकर कई तरह की शंकाएं और सवाल बने रहेंगे। अगर टेनी इस्तीफ़ा नहीं देते तो प्रधानमंत्री मोदी उन्हें बरखास्त करें। ऐसा न करने पर माना जाएगा कि “पीएम मोदी किसानों के जले पर नमक छिड़क रहे हैं”।
उधर प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भी सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने में लगी हुई है।जहाँ भगवा पार्टी “हिंदुत्व” के सहारे सत्ता में आने की कोशिश कर रही है।वही सपा बढ़ती मँगाई और कृषि संकट को प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बनाने करती दिख रही है।
सपा नेताओं ने टेनी की बर्ख़ास्तगी-गिरफ़्तारी और महँगाई को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया।हाथ में गन्ने और रसोई गैस सिलेंडर लिये सपा विधायक नारे लगा रहे थे, “जब से भाजपा आई है-कमर तोड़ महँगाई है।”
बता दें कि गन्ने की क़ीमतें भी प्रदेश का एक बड़ा मुद्दा है। किसान आंदोलन के दबाव में 325 रुपये वाले गन्ने का मूल्य 350 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। जबकि किसान गन्ने की फ़सल की कीमत 400 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं।
सपा विधायकों ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया और लखीमपुर कांड पर पोस्टर के जरिए विरोध दर्ज किया।पोस्टर में घटना में इस्तेमाल जीप को दिखाया गया है।उल्लेखनीय है कि लखीमपुर कांड में आंदोलनकारी किसानों को “एसयूवी कार” ने कुचल दिया था।
इस कांड में 4 किसान, 1 पत्रकार और 3 अन्य लोगों की मौत हो गई थी।जिसका आरोप केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके पुत्र आशीष मिश्रा लगा था। इस घटना से कुछ दिन पहले ही मंत्री का किसानों को धमकी देने का एक विडीयो वायरल हुआ था।आशीष मिश्रा फ़िलहाल जेल में हैं और अजय मिश्रा मोदी सरकार के गृह राज्य मंत्री है। उन्होंने न इस्तीफ़ा दिया है और न प्रधानमंत्री ने बर्खास्त किया है।
पूर्व मंत्री और सपा एमएलसी राजेन्द्र चौधरी ने भाजपा सरकार को निशना बनाते हुए कहा है कि लखीमपुर (तिकोनिया) कांड सरकार पर कलंक है, घटना के आरोपी केंद्रीय मंत्री टेनी तुरंत इस्तीफा दें।उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के राज्य में कानून का राज नहीं है। सरकार जीप से निर्दोष किसानों को कुचल रही है।
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बता दें कि आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही समाजवादी पार्टी ने लखीमपुर हिंसा पर चर्चा की मांग रखी।विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई।
लखीमपुर कांड में एसआईटी की रिपोर्ट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को भाजपा हाईकमान ने बुधवार को दिल्ली तलब किया था।भाजपा पर इस्तीफे के दबाव के बीच पार्टी सूत्र बताते है कि अभी इस्तीफा नहीं लिया जाएगा। इस्तीफ़ा लेने का अर्थ यह होगा कि लखीमपुर घटना की ज़िम्मदरी को स्वीकार कर लिया गया है।
पार्टी सूत्र कहते हैं कि आलाकमान अगर टेनी के ख़िलाफ़ कोई ऐक्शन लेगा भी तो उसका कारण “लखीमपुर कांड” नहीं, बल्कि उनके द्वारा “मीडिया से अभद्रता’ कारण बताया जायेगा।
लखीमपुर खीरी में बुधवार को मंत्री टेनी अपने पुत्र आशीष पर एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद बढ़ाई गई धाराओं को लेकर एक टीवी पत्रकार किये गए सवाल करने पर भड़क गए।केंद्रीय मंत्री सवाल करने वाले पत्रकार से अभद्र भाषा का प्रयोग किया और उन्होंने मीडियाकर्मी को धक्का भी दिया। मंत्री के मीडिया के साथ व्यवहार की विडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है।
वही संयुक्त किसान मोर्चा ने भी एसआईटी रिपोर्ट के बाद भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है। मोर्चा के नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि जब यह बात सामने आ गई है कि किसानों को सुनियोजित तरीके से मारा गया है तो अब आरोपी को बर्खास्त कर जेल भेजना चाहिए।यादव ने कहा है कि किसानों ने आंदोलन ख़त्म कर दिया है, लेकिन मिशन यूपी जारी है। किसान नेता के अनुसार अगर टेनी की बर्ख़ास्तगी नहीं हुई तो “किसानों के नरसंहार का मुद्दा लेकर वह प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर जायेंगे।
जब देश के राजनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश के प्रदेश चुनाव में केवल कुछ ही समय में बचा है, ऐसे में लखीमपुर-कांड की दिल्ली से लखनऊ तक गूँज ने भाजपा की चिंता को बढ़ा दिया है। एसआईटी की रिपोर्ट ने विपक्ष को भाजपा को घेरने का एक मज़बूत मुद्दा दिया है।
माना जा रहा है, आवारा पशु, एमएसपी, गन्ने की क़ीमतों और बढ़ती मँगाई पर किसानों के ग़ुस्से का सामना कर रही भाजपा सरकार के लिये लखीमपुर-कांड में आरोपी आशीष मिश्रा के पिता टेनी का बचाव चुनावी मौसम में महँगा भी पड़ सकता है।
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