बुझ गई 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति, विपक्ष ने लगाया इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप
बीते पाँच दशकों से दिल्ली के इंडिया गेट की पहचान रही 'अमर जवान ज्योति' अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक यानी नेशनल वॉर मेमोरियल पर जलेगी। आज शुक्रवार, 21 जनवरी को इसका राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय कर दिया गया।अब इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाई जाएगी। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की इस घोषणा से पहले ही विपक्ष और मोदी सरकार के बीच इंडिया गेट पर 70 के दशक से जल रही अमर जवान ज्योति को लेकर टकराव की स्थिति पैदा हो गई। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार इतिहास को बदलने की कोशिश कर रही है। वहीं केंद्र सरकार ने विपक्ष के आरोप को बेबुनियाद बताया है।
बता दें कि अमर जवान ज्योति की स्थापना दिसंबर 1971 में राजपथ पर इंडिया गेट के पास हुई थी। इसे पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में शहीद होने वाले 3,843 भारतीय जवानों की याद में बनाया गया था। 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसक उद्घाटन किया था।
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार, 21 जनवरी को ऐसी ख़बरें आईं कि केंद्र सरकार अमर जवान ज्योति की लौ को पास ही में स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक की ज्योति के साथ मिलाने का फ़ैसला किया है। इस ख़बर ने देखते ही देखते सोशल मीडिया से लेकर राजनीति के गलियारों तक सियासी रंग ले लिया क्योंकि अमर जवान ज्योति की स्थापना कांग्रेस सरकार के समय हुई थी और अब जिस राष्ट्रीय समर स्मारक में इसका विलय किया जा रहा है उसका निर्माण मोदी सरकार ने करवाया है। कांग्रेस के साथ ही अन्य दलों ने भी इसे लेकर मोदी सरकार पर सीधा हमला बोला और इसे बीजेपी की एक साज़िश क़रार दिया।
कांग्रेस पार्टी ने एक ट्वीट कर लिखा- "अमर जवान ज्योति को बुझाना, उन वीरों के साहस और बलिदान का अपमान है, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे। वीरता के इतिहास को मिटाने की भाजपाई साजिश को कोई देशभक्त बर्दाश्त नहीं करेगा। शहीदों के अपमान का मोदी सरकार का ये रवैया बहुत घृणित है।"
अमर जवान ज्योति को बुझाना, उन वीरों के साहस और बलिदान का अपमान है, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे।
वीरता के इतिहास को मिटाने की भाजपाई साजिश को कोई देशभक्त बर्दाश्त नहीं करेगा।
शहीदों के अपमान का मोदी सरकार का ये रवैया बहुत घृणित है।
— Congress (@INCIndia) January 21, 2022
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इसकी आलोचना की और साथ ही कहा कि इसे दोबारा जलाया जाएगा।
राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा- "बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा.कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते। कोई बात नहीं…हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!"
बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा।
कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…
हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 21, 2022
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी इसका विरोध करते हुए एक ट्वीट में लिखा, मोदी जी आप “न किसान के हैं न जवान के”। 1971 के भारत-पाक युद्ध में हमारे जवानों ने अपनी शहादत दी। उनकी याद में 50 वर्षों से ये “अमर जवान ज्योति” जल रही है। आप उस ज्योति को बुझाकर वीर जवानों की शहादत का अपमान कर रहे हैं। ये देश आपको माफ नहीं करेगा।
मोदी जी आप “न किसान के हैं न जवान के”
1971 के भारत-पाक युद्ध में हमारे जवानो ने अपनी शहादत दी उनकी याद में 50 वर्षों से ये “अमर जवान ज्योति” जल रही है।
आप उस ज्योति को बुझाकर वीर जवानो की शहादत का अपमान कर रहे हैं।
ये देश आपको माफ़ नही करेगा। pic.twitter.com/qZ9uJ8J9M3— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) January 21, 2022
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे दुखद बताते हुए कहा कि नए भारत को बनाने के लिए हमें और कितने आईडिया और बदलाव देखने होंगे।
Eternal Flame will be Extinguished Flame for sometime. How many more ideas & monuments we hold dear need to be reworked to make way for a ‘New India’?
Sad & Anguished. #AmarJawanJyoti
PS : Spare me gyaan on merging it with another flame at War Memorial. Why can’t we keep both?
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) January 21, 2022
वहीं आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि यह समझा जा सकता है कि मौजूदा सरकार को हमारे गौरवपूर्ण इतिहास से कोई लगाव नहीं है। आप कौन सी परम्परा छोड़ के जा रहे हैं, इतिहास कैसे आपको स्मरण करेगा। समकालीन ताली बजा देंगे, लेकिन इतिहास ताली नहीं बजाएगा।
It is understandable that the present regime may not have a sense of attachment/belonging with the 'glories of the past' but it is beyond comprehension when you resort to such 'memory erasure' tactics..It is neither good politics nor good optics. Jai Hind #AmarJawanJyoti
— Manoj Kumar Jha (@manojkjhadu) January 21, 2022
एयरफोर्स के पूर्व पायलट रहे तेलंगाना के सांसद उत्तम कुमार रेड्डी ने इस बदलाव को दुखद बताते हुए कहा है कि कई देशों में एक से ज्यादा वॉर मेमोरियल मौजूद हैं। ऐसे में हमें इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को नहीं हटाना चाहिए।
As a former IAF fighter pilot, felt sad to read about the 50 year flame at India gate, in honour of the martyrs of 1971 war being extinguished.
Highly inappropriate! Most countries have several war memorials!! No need to extinguish existing Amar Jawan Jyoti!!#AmarJawanJyoti pic.twitter.com/C379FkY2Ol
— Uttam Kumar Reddy (@UttamINC) January 21, 2022
सरकार का क्या कहना है?
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमर जवान ज्योति को शिफ्ट करने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि दो जगहों पर लौ (मशाल) का रख रखाव करना काफी मुश्किल हो रहा है। सेना के अधिकारियों का यह भी कहना है कि अब जबकि देश के शहीदों के लिये नेशनल वॉर मेमोरियल बन गया है, तो फिर अमर जवान ज्योति पर क्यों अलग से ज्योति जलाई जाती रहे। इनके मुताबिक नेशनल वॉर मेमोरियल में सारे शहीदों के नाम हैं, शहीदों के परिवार के लोग यहीं आते हैं। ऐसे में अमर जवान ज्योति को भी यहीं शिफ्ट करना सही रहेगा।
केंद्र सरकार के शहरी विकास राज्य मंत्री कौशल किशोर अमर जवान ज्योति पर लिए गए फ़ैसले की पुष्टि करते हुए इसे एक उचित क़दम बताया है। कौशल किशोर ने मीडिया से कहा कि इंडिया गेट पर जो अमर जवान ज्योति जलती थी, अब वहाँ (राष्ट्रीय समर स्मारक) जलेगी जहाँ देश के तमाम लोग, चाहे वो आज़ादी का आंदोलन हो, या देश की सुरक्षा के लिए युद्ध हुआ हो, वहाँ जब ज्योति जलेगी और जब देश के लोग आएँगे, और उनलोगों के नाम पढ़ेंगे, तो एक राष्ट्र भावना जागृत होगी और मैं समझता हूँ कि ये अच्छा क़दम है।
वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मुद्दे पर सफ़ाई जारी करते हुए कई ट्वीट किए हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि अमर जवान ज्योति को लेकर बहुत सारी ग़लत जानकारियाँ फैलाई जा रही हैं।
संबित पात्रा ने लिखा है, "अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं जा रहा है. उसे राष्ट्रीय समर स्मारक की ज्योति में मिला जा रहा है। ये बात अटपटी थी कि अमर जवान ज्योति 1971 और दूसरे युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए लगी थी, मगर उनमें से किसी का नाम वहाँ नहीं लिखा था।"
Thread
There is a lot of misinformation circulating regarding the flame of the Amar Jawan Jyoti.
Here is the correct perspective:
The flame of the Amar Jawan Jyoti is not being extinguished. It is being merged with the flame at the National War Memorial. 1/n pic.twitter.com/7ZGSCZeZP8
— Sambit Patra (@sambitswaraj) January 21, 2022
गौरतलब है कि 42 मीटर ऊंचे इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने किया था। ब्रिटिश सरकार ने 1914-21 के बीच पहले विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में ब्रिटिश सेना की तरफ से शहीद होने वाले 84,000 भारतीय सैनिकों की याद में इसे बनाया था। इस पर उन सैनिकों के नाम भी खुदे हुए हैं। सरकार जहां इस कदम को शहीद सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि को तौर पर पेश कर रही है वहीं विपक्ष इसे मोदी सरकार की इतिहास से छेड़छाड़ की एक और घटना के तौर पर देख रहा है।
मालूम हो कि बीजेपी और इसके द्वारा शासित राज्यों को इससे पहले भी कथित तौर पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। कई बार आरोप लगे हैं कि बीजेपी शासित राज्यों के इतिहास को बदलकर मुगल शासक को बड़े पैमाने पर हत्यारों के रूप में दर्शाया जा रहा है। पुस्तकों के पाठ्यक्रम का मामला हो या स्थानों के नाम बदलने की राजनीति सरकार इस मामले में हमेशा घिरी ही नज़र आती है।
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