अमेरिका ईरान के ख़िलाफ़ एकतरफ़ा हथियार प्रतिबंधों को लागू करने को तैयार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को फिर लगाने में विफल होने के बाद ट्रम्प प्रशासन ईरान के ख़िलाफ़ दूसरा एकतरफा कार्रवाई करने को तैयार है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने गुरुवार 17 सितंबर को रिपोर्ट किया कि कुछ ही दिनों में यह कार्यकारी आदेश जारी करने को विचार कर रहा है जो ईरान से हथियार खरीदने या बेचने वाले देशों या कंपनियों के ख़िलाफ़ दूसरे प्रतिबंधों का जोखिम पैदा करेगा।
वेनेजुएला और ईरान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि इलियट अब्राहम ने बुधवार को कहा था कि अमेरिकी सरकार सप्ताह के आखिर में और अगले सप्ताह ईरान के साथ हथियारों के व्यापार में शामिल कंपनियों पर दूसरे प्रतिबंध लगाने की घोषणा करेगी।
अक्टूबर में ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के सशस्त्र प्रतिबंधों की समाप्ति के मद्देनज़र अमेरिका का ये निर्णय है। ईरान द्वारा परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिशों के आरोपों को लेकर ईरान के ख़िलाफ़ साल 2007 में यूएनएससी प्रस्ताव 1747 और अन्य प्रस्ताव पारित किया गया था।। साल 2015 में अमेरिका और अन्य देशों के साथ ज्वाइंट कम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) या ईरान परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यूएनएससी ने प्रस्ताव 2231 को पारित किया जिसके अनुसार हथियार पर पाबंदी अक्टूबर में समाप्त हो जाएगी।
अमेरिका ने कहा कि ईरान ने जेसीपीओए के प्रावधानों और प्रस्ताव 2231 का उल्लंघन किया है ऐसे में यूएस ने हथियारों पर पाबंदी सहित संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का प्रयास किया है। हालांकि, अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं और यूएनएससी ने पिछले महीने अमेरिकी दावों को ख़ारिज कर दिया है।
हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि 20 अगस्त को यूएनएससी को दिए गए एक महीने के नोटिस की अवधि समाप्त होने पर सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध जिनमें ईरान के ख़िलाफ़ हथियार पर प्रतिबंध शामिल हैं जिसे साल 2016 से पहले लगाया गया था वह स्वतः ही लागू हो जाएगा।
ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने पोम्पिओ द्वारा किए गए दावे का खंडन किया। उन्होंने एक ट्विटर में कहा कि, उक्त तारीख़ को कुछ भी नया नहीं होने वाला है क्योंकि अमेरिका जेसीपीओए का "भागीदार नहीं है"।
ईरान परमाणु समझौते के अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं चीन, रूस, जर्मनी, यूके और फ्रांस के अनुसार, चूंकि मई 2018 में अमेरिका एकतरफा तरीक़े से इस समझौते से निकल गया है ऐसे में इसका कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों को फिर से लगाने के लिए अमेरिका के आह्वान का समर्थन करने से इनकार कर दिया है और इस महीने की शुरुआत में एक कोऑर्डिनेटिंग बैठक में जेसीपीओए के प्रावधानों का पालन जारी रखने का वचन दिया है।
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