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'जाने भी दो यारों' और शिवाजी की तस्वीर के 'अपमान' के आरोप के बीच आख़िर JNU में ''ये क्या हो रहा है''?

फ़िल्म 'जाने भी दो यारो' को बार-बार देखी जाने वाली फ़िल्मों की लिस्ट में शामिल की जा सकती है। लेकिन इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग बीती रात एक बवाल का बाइस बन गई।
JNU

1983 में कुंदन शाह की फ़िल्म आई थी 'जाने भी दो यारो' कहने वाले फ़िल्म को 'कल्ट सिनेमा' में शुमार करते हैं। कम बजट में बनी फ़िल्म बार-बार देखी जाने वाली फ़िल्मों की लिस्ट में शामिल की जा सकती है। लेकिन इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग बीती रात एक बवाल का बाइस बन गई।

Hundred Flowers Group की तरफ से कैम्पस में लगाया गया पोस्टर

दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बीती रात (19 फरवरी) छात्रों के एक संगठन Hundred Flowers Group ने रात 9 बजे 'जाने भी यारो' की स्क्रीनिंग रखी थी। फ़िल्म की स्क्रीनिंग स्टूडेंट्स कम्युनिटी सेंटर (डीन ऑफ स्टूडेंट्स) टेफ्लास (Teflas) में रखी गई थी।

Teflas जहां कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था

चूंकि कल शिवाजी जयंती थी तो इस मौक़े पर ABVP ( अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) की तरफ़ से भी यहां एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें शिवाजी का एक चित्र यहां लगाया गया।

लेकिन अलग-अलग संगठनों की तरफ़ से एक ही जगह पर रखे गए आयोजन में कुछ ऐसा हो गया कि बहस से शुरू हुई बात नारेबाज़ी और फिर मारपीट तक पहुंच गई और इस दौरान कई लोगों को चोटें आईं (इसमें दोनों ही गुट के छात्र शामिल हैं)।

हंगामे, मारपीट के बाद अब दोनों ही गुट एक दूसरे को दोषी करार दे रहे हैं।

क्या है पूरा मामला ?

सिलसिलेवार तरीक़े से समझते हैं कि 19 फ़रवरी को आख़िर हुआ क्या था?

दोनों तरफ़ की बातचीत और आरोपों के मुताबिक़ जो बातें सामने आ रही हैं वो कुछ इस तरह है

ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) का क्या कहना है?

इस पूरे मामले पर हमने JNU के ABVP के सेक्रेटरी उमेश चंद्रा से बात की, उनका कहना है कि कल (19 फरवरी) शिवाजी महाराज की जयंती थी और इस मौके पर उनके संगठन की तरफ़ से कैम्पस के स्टूडेंट्स कम्युनिटी सेंटर (डीन ऑफ स्टूडेंट्स) टेफ्लास में शिवाजी की तस्वीर लगाने का एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का आयोजन साढ़े छह बजे (6:30pm) होना था लेकिन वहां पहले से ही लेफ्ट ग्रुप की कोई मीटिंग चल रही थी जिसकी वजह से उनका कार्यक्रम एक घंटे की देरी से शुरू हुआ लेकिन साढ़े सात से लेकर साढ़े आठ बजे तक उनका कार्यक्रम चला जो कि बहुत ही शांतिपूर्ण तरीक़े से ख़त्म हो गया था। जिसके बाद वो डिनर के लिए चले गए और नौ बजे दोबारा इसी जगह (स्टूडेंट्स कम्युनिटी सेंटर) पर उनकी मीटिंग थी, लेकिन जब वे मीटिंग के लिए आए तो देखा कि कुछ देर पहले उन्होंने शिवाजी के जिस चित्र को दीवार पर लगाया था उसे हटा दिया गया और उसका अपमान किया गया था। उन्होंने दोबारा उसी जगह पर तस्वीर को लगा दिया, लेकिन तस्वीर को दोबारा हटाने की कोशिश हुई तो हंगामा शुरू हो गया।

ABVP के इन आरोपों को जानने और बीती रात की घटनाओं को मालूम करने के लिए हमने Hundred Flowers Group से जुड़ी छात्रा लता से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारा Hundred Flowers Group नाम का एक ग्रुप है। हम हमेशा कैम्पस में फ़िल्म की स्क्रीन, किताबों की प्रदर्शनी, डिस्कशन का आयोजन करते रहते हैं, क़रीब-क़रीब हर वीकेंड हम इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करवाते रहते हैं।

लता (Hundred Flowers Group से जुड़ी छात्रा)

मैंने जब लता से पूछा कि 19 फरवरी को क्या हुआ था तो उन्होंने जवाब में कहा कि, Hundred Flowers Group की तरफ से एक मूवी की स्क्रीनिंग रखी गई थी जो हम अमूमन हर वीकेंड रखते हैं, जिसका पोस्टर बुधवार को पूरे कैम्पस में लग गया था। जिस दिन इवेंट था यहां कॉमन है कि सब लोग चिट बांटते हैं, तो वो हमने क़रीब 800 चिट इनफॉरमेशन पोस्टर बांटे थे, इसके अलावा JNUSU Office में आयोजन के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप है (जिसमें ABVP के लोग भी हैं) उसमें भी हमने जानकारी दे दी थी।

हमारे इवेंट से पहले ABVP का प्रोग्राम था (6:30 PM) जो की ख़त्म हो चुका था, लेकिन जब हमारे इवेंट के लिए दरवाज़ा खुलता है (जो की गार्ड ने खोला) तो अंदर चारों तरफ़ अपशब्द लिखे हुए थे और जो लिखा हुआ था उसे देखकर साफ़ पता चल रहा था कि वो ताज़ा-ताज़ा लिखा गया है क्योंकि वो जिस भी पेंट या जिससे भी लिखा गया था वो छूने पर पता चल रहा था कि गीला था और टपक भी रहा था। वो ये सब लिख कर चले गए।

और जब हम अंदर गए तो उन्हें पता ही था कि हम तो तस्वीरों को हटाएंगे, क्योंकि जब भी प्रोजेक्टर से फ़िल्म दिखाई जाती रही है हम वहां से तस्वीरों को हटाते हैं और फिर से तस्वीरों को पहले की ही तरह लगा दिया जाता है, लेकिन इस बार तो इवेंट शुरू होने से पहले ही अभी हम तैयारी कर रहे थे कि अचानक ये लोग आते हैं और हंगामा शुरू किया कर दिया और हम पर आरोप लगाने लगे कि ये तस्वीरों का अपमान कर रहे हैं।

जिस जगह (स्टूडेंट्स कम्युनिटी सेंटर, टेफ्लास) इन दोनों ही कार्यक्रम का आयोजन किया गया था वहां आपत्तिजनक स्लोगन लिखने की बात सामने आ रही है। हालांकि पता करने पर मालूम चला की उस जगह को बंद करके दोबारा से पेंट हो रहा है।

दोनों तरफ़ की बातों को सुनने के बाद जो सवाल उठ रहे थे वो कुछ यूं है

* Hundred Flowers Group की तरफ़ से फ़िल्म 'जाने भी दो यारो' की स्क्रीनिंग के पोस्टर कैंपस में कई जगह दिखे लेकिन ABVP के कार्यक्रम के कहीं नहीं दिखे।

* जाने भी दो यारों की स्क्रीनिंग के लिए इवेंट के दिन (19 फरवरी को) 800 चिट बांटने का दावा किया जा रहा है लेकिन ABVP के कार्यक्रम को लेकर कोई जानकारी नहीं दिखी।

* Hundred Flowers Group का दावा है कि उन्होंने बुधवार को ही अपने पोस्टर कैम्पस में लगा दिए थे लेकिन ABVP ने ऐसा कोई दावा नहीं किया।

* Hundred Flowers Group का दावा है कि फ़िल्म की प्रोजेक्टर से स्क्रीनिंग के दौरान हमेशा ही तस्वीरों को हटाया जाता है तो पहले कोई आपत्ति नहीं जताई जाती थी कल ही क्यों आपत्ति दर्ज की गई?

* इवेंट की जगह पर स्लोगन किसने लिखे?

* और इस पूरे हंगामे के दौरान JNU प्रशासन अब तक ख़ामोश क्यों है?

ख़बर लिखे जाने तक Hundred Flowers Group ने कैम्पस में एक ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई थी और इस मामले में वो पुलिस के पास जाने की भी तैयारी कर रहे हैं।

'जाने भी दो यारों' की फ़िल्म की स्क्रीनिंग के साथ शुरू हुआ हंगामा कहां जाकर थमेगा ये तो नहीं पता लेकिन इस पूरे हंगामे के बीच JNU प्रशासन जिस तरह से पेश आ रहा है वो इस फ़िल्म के आख़िरी हिस्से की याद दिलाता है जहां महाभारत के प्रसंग को दिखाया गया है और जिसमें 'धृतराष्ट्र' बस यही सवाल करता रहता है कि ''ये क्या हो रहा है''?

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