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कोविड-19 लॉकडाउन : तेलुगु राज्यों के किसान रबी फसल की बिक्री को लेकर चिंतित

किसानों के अधिकारों के लिए काम रहे कार्यकर्ताओं की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकारें कृषि मज़दूरों के लिए राहत पैकेजों की घोषणा करें।
कोविड-19 लॉकडाउन
Image Courtesy: New Indian Express

देश में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 21 दिनों का लॉकडाउन कर दिया है। इसको लेकर कृषि क्षेत्र के संकट को रोकने के लिए किसानों के संगठन केंद्र और राज्य सरकारों से तत्काल कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

इस बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने मंगलवार को किसानों को आश्वासन दिया है कि सरकार उनके खेत की उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सीधे गांवों से ख़रीदेगी।

तेलंगाना कमेटी ऑफ़ द ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव सागर कहते हैं, "ऐसे समय में ग्रामीण स्तर पर कृषि उपज को खरीदना सराहनीय है, लेकिन यह प्रक्रिया तुरंत शुरू होनी चाहिए क्योंकि तेलंगाना में रबी की अधिकांश फसलें पहले ही कट चुकी हैं और किसानों को उपज बेचने में कठिनाई हो रही है।" उन्होंने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि धान बड़े पैमाने पर दूसरी फसल के मौसम में उगाया जाता है और किसान अपनी उपज का लंबे समय तक भंडारण नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा, "फसल खराब होने से पहले सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।"

किसानों को दैनिक आधार पर उत्पादन होने वाली सब्जियों के परिवहन में भी कठिनाई हो रही है। सागर ने कहा, "जगह-जगह पर बंदी के कारण किसान अपनी सब्जी की उपज थोक खुदरा विक्रेताओं को सस्ते दामों पर बेच रहे हैं जबकि उपभोक्ता इसे अधिक दामों में खरीद रहे हैं।"

तेलंगाना रायतांगा समिति के सायन्ना कहते हैं, इस संकटकी घड़ी में, कृषि मजदूर सबसे उपेक्षित वर्ग हैं। सायन्नान्यूजक्लिक से बातचीत में कहते हैं, “हालांकि राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह सभी सफेद राशन-कार्ड धारकों को 12 किलो चावल और 1500 रुपये प्रति परिवार वितरित करेगी, यह कृषि मजदूरों और उनके परिवारों के लिए मुश्किल होगा। वे दस दिनों तक काम नहीं करें तो वे जी नहीं सकते हैं।" वे कहते हैं "यह बहुत निराशाजनक है कि केंद्र सरकार ने इस महामारी के दौरान भूख के चलते मौत का सामना कर रहे कृषि और दैनिक मजदूरों के लिए किसी भी तरह के राहत पैकेज की घोषणा नहीं की है।"

आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि तेलंगाना में पॉल्ट्री उद्योग ने कोरोनोवायरस के प्रकोप के दहशत का खामियाजा भुगत रही है, जिससे चिकेन उत्पादों की खपत कम हो गई। राज्य सरकार के अनुमानों के अनुसार, पॉल्ट्री उद्योग को मार्च के पहले दो हफ्तों में1000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।

आंध्र प्रदेश रायतु संगम के वाई. केसव राव ने कहा कि आंध्र प्रदेश में, कृषि बाजार को तत्काल सहायता की आवश्यकता है।

केशव राव ने कहा, "राज्य में मक्का, दलहन और बागवानी फसलों (आम) सहित रबी की फसलें खरीदारी के समय में पहुंच गई हैं और लॉकडाउन के चलते बाजार बंद हो गए हैं। इसलिए, सरकार को खरीद प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना चाहिए क्योंकि किसी भी तरह की देरी से किसानों, पट्टेदार किसानों और कृषि मजदूरों को नुकसान होगा क्योंकि वे सभी एक दूसरे पर निर्भर हैं।”

इससे पहले, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने बंद के दौरान राहत पैकेज के रूप में गरीब लोगों को राशन के अलावा 1000 रुपये प्रति परिवार को सीधे नकद हस्तांतरण की घोषणा की थी।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Farmers From Telugu States Concerned Over Rabi Crop Procurement Amid COVID-19 Lockdown

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