आंगनवाड़ी कर्मियों के संघ ने एमसीडी चुनावों के बहिष्कार का किया आह्वान
आंगनवाड़ी कर्मियों के एक संघ ने बृहस्पतिवार को ऐलान किया है कि वह दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव का बहिष्कार करेगा। संघ का कहना है कि उनके 884 कर्मियों की सेवा को ‘मनमाने तरीके’ से खत्म करने को लेकर वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ अभियान चलाएगा।
एमसीडी के 250 वार्ड का चुनाव अगले महीने चार दिसंबर को होगा तथा नतीजे सात दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।
दिल्ली राज्य आंगनवाड़ी कर्मचारी एवं सहायिका संघ की प्रमुख शिवानी कौल ने दावा किया कि संघ के तहत आने वाली सभी 22,000 आंगनवाड़ी कर्मी एवं सहायिकाएं और उनके परिवार के सदस्य वोट नहीं डालेंगे।
उन्होंने कहा कि संघ दोनों दलों के खिलाफ 'वोट बंदी' अभियान भी चलाएगा।
कौल ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दलों ने हमेशा आंगनवाड़ी कर्मियों और सहायिकाओं को "वोट बैंक" माना है और अभियानों में उनका “उपकरण’’ के तौर पर इस्तेमाल किया है, क्योंकि उन्हें पता है कि “हमारी पहुंच हर गली तक है। हम उन सभी दलों को निशाना बनाएंगे जिन्होंने हमारी कर्मियों की सेवा समाप्त की है और उनकी संवैधानिक मांगों को नहीं सुना। ”
एक अन्य आंगनवाड़ी सहायिका अनीता ने कहा कि कांग्रेस कोई अपवाद नहीं है क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने उच्च न्यायालय में बर्खास्त कर्मियों के खिलाफ एक मामले में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व किया था।
उन्होंने आरोप लगाया, "हमने हड़ताल के दौरान सभी दलों का असली रंग देख लिया है। हमारे खिलाफ भाजपा और ‘आप’ दोनों ने मिलकर काम किया। कांग्रेस भी कोई अपवाद नहीं है।"
अनीता ने कहा कि आंगनवाड़ी कर्मी भाजपा और ‘आप’ नेताओं को अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार करने नहीं देंगी।
संघ ने कहा कि न्यूनतम वेतन में वृद्धि और काम के सम्मानजनक घंटों की मांग को लेकर 39 दिन की हड़ताल में हिस्सा लेने पर दिल्ली सरकार ने 884 आंगनवाड़ी कर्मियों को बर्खास्तगी का नोटिस दे दिया है जबकि 11,942 कर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
दिल्ली में अकुशल मज़दूरों की 16,064, अर्धकुशल की 17,537 और कुशल मज़दूरों की न्यूनतम मज़दूरी 19,473 रूपये है लेकिन आंगनवाड़ी वर्कर्स को 9,678 और आंगनवाड़ी हेल्पर्स को 4,839 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है।
नतीजा आंगनवाड़ी कर्मियों को बेहद गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई कर्मी ऐसी हैं जिन पर पूरेपरिवार का खर्च सँभालने की ज़िम्मेदारी है। लगातार बढ़ती महंगाई के बीच वह परिवार का खर्च कैसे चलाती होंगी इसका सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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