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अंकिता भंडारी हत्याकांड: बीजेपी नेता बरख़ास्त, तीन की गिरफ़्तारी लेकिन न्याय का अब भी इंतज़ार

प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार अंकिता के हत्यारों को सख़्त से सख़्त सज़ा दिलाने का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष पुलिस और सरकार पर इस मामले में लापरवाही बरतने और टालमटोल करने का आरोप लगा रहा है।
Ankita Bhandari murder case
फ़ोटो साभार: ट्विटर

उत्तराखंड का अंकिता भंडारी हत्याकांड लगातार सुर्खियों में है। हत्या में पूर्व राज्य मंत्री और बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का नाम सामने आने के बाद अंकिता के परिजन और स्थानीय लोग मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर अविश्वास जाहिर कर रहे हैं। एक ओर प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार अंकिता के हत्यारों को सख्त से सख्त सजा दिलाने का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष पुलिस और सरकार पर इस मामले में लापरवाही बरतने और टालमटोल करने का आरोप लगा रहा है।

बता दें कि अंकिता को आखिरी बार पुलकित आर्य के रिसॉर्ट में 18 सितंबर को देखा गया था, जबकि उनका शव शनिवार, 24 सितंबर को चिल्ला पावर हाउस के पास शक्ति नहर में मिला। खबरों के मुताबिक इस दौरान पुलकित ने खुद को पाक-साफ दिखाने के लिए रेवेन्यू विभाग में अंकिता के गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई। उत्तराखंड के दूरदराज के इलाकों में रेवेन्यू विभाग ही कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी देखता है। खबरों के मुताबिक पटवारी ने शुरुआती 2 दिन तक मामला दबाने की कोशिश की और अंकिता के लापता होने को गुमशुदगी का केस बताते रहे।

वैसे याद हो कि इससे पहले भी पुलकित आर्य का नाम लॉकडाउन के वक्त भी विवाद में आया था। तब पुलकित विवादों में रहने वाले नेता अमरमणि त्रिपाठी के साथ उत्तरकाशी के प्रतिबंधित क्षेत्र में पहुंच गया था। अमरमणि त्रिपाठी मधुमिता शुक्ला की हत्या मामले में दोषी है।

द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार से बातचीत में उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा है कि पुलिस को ऐसे सुबूत मिले हैं जो बताते हैं कि अभियुक्त अंकिता पर रिसॉर्ट में आने वाले कुछ मेहमानों को 'स्पेशल सर्विस' देने का दबाव डाल रहे थे, जिसका विरोध करने पर उनकी हत्या कर दी गई।

पुलिस का क्या कहना है?

डीजीपी अशोक कुमार ने अख़बार को बताया है कि पुलिस को अंकिता और उसकी जम्मू में रह रही एक दोस्त के बीच व्हाट्सएप चैट मिली है। डीजीपी के मुताबिक, मैसेज में अंकिता ने साफ़ किया है कि आरोपी चाहते थे कि वो 'स्पेशल सर्विसेज़' दे। उसकी दोस्त और वो चैट हमारे पास बड़ा सुबूत है। हमको शव उसी नहर में मिला है, जहाँ पर आरोपी ने उसे धक्का देने की बात स्वीकार की थी।

अख़बार ने पुलिस सूत्रों के हवाले से लिखा है कि व्हाट्सएप चैट में अंकिता ने बताया था कि वो रिसोर्ट में असुरक्षित महसूस कर रही है क्योंकि एक आरोपी ने कथित तौर पर उसे 10,000 रुपये के बदले 'स्पेशल सर्विसेज़' देने को कहा है।

मालूम हो कि पुलकित के वनंत्र रिसॉर्ट का एक हिस्सा पौड़ी गढ़वाल प्रशासन ने 'अवैध निर्माण' बताते हुए ढहा दिया है। इस हिस्से में वो कमरा था जिसमें अंकिता रहती थीं, इसके अलावा रिसेप्शन एरिया और रिसॉर्ट का आगे का हिस्सा था। इस कदम की आलोचना भी हो रही है क्योंकि ऐसा माना जा रही है कि इसमें कुछ महत्वपूर्ण सबूत भी नष्ट हो सकते हैं। इसे लेकर खुद अंकिता के पिता ने सवाल उठाए हैं।

यह क़दम तब उठाया गया है जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी ज़िला मजिस्ट्रेट को अपने-अपने इलाक़ों के रिसॉर्ट्स के बारे में जांच करने के लिए कहा है। अवैध तौर पर जारी रिसॉर्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को भी कहा गया है। धामी ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन डीआईजी पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में किया है जो इस हत्या मामले की जांच करेगी।

परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण अंकिता ने रिसॉर्ट में की नौकरी

अंकिता के परिजनों ने अख़बार से कहा है कि अंकिता ने 28 अगस्त को रिसॉर्ट में नौकरी शुरू की थी जो कि उसके गाँव दोभ श्रीकोट से 130 किलोमीटर दूर था। अंकिता को परिजनों की मानें तो अंकिता आगे पढ़ना चाहती थीं लेकिन परिवार के लिए पढ़ाई छोड़ने से वो निराश थीं।

अंकिता की चाची लीलावती ने अख़बार से कहा, "परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उसने 12वीं के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी और काम करना शुरू कर दिया। अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी सिक्यॉरिटी गार्ड की नौकरी करते थे लेकिन कुछ सालों पहले उनकी नौकरी चली गई। परिवार में इकलौती कमाने वाला सिर्फ़ उसकी मां सोनी भंडारी थीं जो एक आंगनवाड़ी कर्मचारी हैं। उसका बड़ा भाई सचिन दिल्ली में पढ़ता है।"

लीलावती ने बताया, "परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी और इसी वजह से जब उसे रिसॉर्ट में नौकरी मिली तो उसने गाँव छोड़ दिया। हमें नहीं पता कि उससे कैसे संपर्क किया गया था लेकिन 28 अगस्त को रिसॉर्ट से एक कार उसे लेकर गई थी। रिसॉर्ट में एक कमरा उसे दिया गया था और उसे वहीं रहना था। रिसेप्शनिस्ट की नौकरी के लिए उसे हर महीने 10,000 रुपये तनख़्वाह दी जानी थी लेकिन हमें नहीं पता था कि पहली तनख़्वाह मिलने से पहले ही वे उसे मार डालेंगे।"

एम्स-ऋषिकेश की मॉर्चरी के बाहर शव का इंतज़ार कर रहीं लीलावती ने बताया कि "हम सोच रहे थे कि जो वो कर रही हैं शायद उसमें उसका भविष्य होगा। हालांकि कुछ सप्ताह के बाद ही वो छोड़ गईं, उसकी मां ने मुझे बताया था कि अंकिता पहले की तरह नहीं लग रही थीं और ऐसा लग रहा था कि उसको कुछ परेशान कर रहा था। उस समय हमने इसके बारे में ज़्यादा सोचा नहीं था। शायद हमें सोचना चाहिए था।"

मालूम हो कि बीजेपी ने पुलकित के पिता विनोद आर्य और उसके बड़े भाई अंकित आर्य को पार्टी से बर्ख़ास्त कर दिया गया है। अंकित आर्य को उत्तराखंड ओबीसी कमीशन के उपाध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है। हालांकि इस कार्रवाई के बाद भी स्थानीय लोगों में इस हत्या के बाद ग़ुस्सा कम नहीं हुआ है। अंकिता का शव मिलने और उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद ग़ुस्साए प्रदर्शनकारियों ने रिसोर्ट के पीछे के हिस्से में लगी प्रोसेसिंग यूनिट में आग लगा दी। कुछ प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय बीजेपी विधायक रेणु बिष्ट की गाड़ी पर भी हमला किया।

मौत से पहले शारीरिक तौर पर किया गया बहुत प्रताड़ित

पोस्टमॉर्टम के बाद अंकिता के शव को पौड़ी गढ़वाल ज़िले के श्रीनगर में अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया गया है। अंकिता के पोस्टमॉर्टम के बाद आई प्रोविज़नल रिपोर्ट के हवाले से हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार ने ख़बर छापी है। अख़बार के अनुसार पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि अंकिता की मौत डूबने से हुई थी लेकिन उससे पहले शारीरिक तौर पर उसे बहुत प्रताड़ित किया गया था।

एम्स-ऋषिकेश के फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट ने पोस्टमार्टम किया है जिसमें मौत से पहले मारपीट की बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि किस प्रकार की चोटें शरीर पर हैं उसकी जानकारी पोस्टमॉर्टम की विस्तृत रिपोर्ट में दी जाएगी।

गौरतलब है कि उत्तराखंड के अंकिता भंडारी मर्डर केस में शनिवार, 24 सितंबर को एक नहर से पुलिस ने छह दिन बाद शव बरामद कर लिया। 19 साल की अंकिता लक्ष्मण झूला इलाक़े में एक रिसॉर्ट की रिसेप्शनिस्ट थीं और बीते छह दिनों से लापता थीं। इस मामले में शुक्रवार, 23 सितंबर को पुलिस ने रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य को गिरफ़्तार कर लिया था वो राज्य के पूर्व मंत्री विनोद आर्य का बेटा हैं। पुलकित के अलावा इस मामले में रिजॉर्ट के मैनेजर सौरभ भास्कर और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है।

मामले में अबतक क्या-क्या हुआ?

* 17 सितंबर को अंकिता भंडारी और उसके दोस्तों का चैट वायरल हुआ। जिसमें वीआईपी गेस्ट के स्पेशल सर्विस की बात कही गई थी।

*18 सितंबर पुलकित आर्य और अंकिता के बीच झगड़ा हुआ। पुलकित, अंकिता और दो मैनेजर रिसॉर्ट से बाहर गए। इसके बाद अंकिता लापता हो गई।

* 19 तारीख को अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट रेवेन्यू विभाग में दर्ज कराई गई।

* 22 सितंबर को मामला रेगुलर पुलिस के पास आया और लक्ष्मण झूला थाने ने मामले की जांच शुरू की।

* 23 सितंबर को पुलकित आर्य और उसके दो मैनेजरों अंकित एवं भास्कर की पूरे मामले में संलिप्तता की खबर सामने आई। पुलिस ने गिरफ्तारी भी की।

* 24 सितंबर की सुबह अंकिता का शव नहर से बरामद किया गया।

* 25 सितंबर देर रात प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कराने से इनकार कर दिया। बाद में मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद अंतिम संस्कार हुआ।

विपक्ष का सरकार पर हल्ला बोल

मामले में बीजेपी नेता के बेटे का नाम जुड़ने के चलते इस पर राजनीतिक बयान भी सामने आ रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंकिता भंडारी की मौत को दुखद बताया। उन्होंने आरोपियों को कड़ी सज़ा दिलवाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि पुलिस अपना काम कर रही है और ये सुनिश्चित किया जाएगा कि आरोपियों को सज़ा हो।

वहीं, उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने पुलिस और सरकार पर इस मामले में लापरवाही बरतने और मामले को टालने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अंकिता 18 सितंबर से लापता थी, उनके परिवार रोज़ केस दर्ज करने की गुहार लगा रहे थे लेकिन पुलिस एक्शन नहीं ले रही थी। चौथे दिन मामला दर्ज किया गया और पता चला कि उसकी हत्या का मुख्य आरोपी पुलकित आर्य है जिसके पिता बीजेपी के चर्चित और रसूखदार नेता हैं।

गौरतलब है कि आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में महिलाओं के अपमान को लेकर पीड़ा जाहिर की थी। हालांकि इसे महज़ संयोग कहें या विडंबना कि उन्हीं की पार्टी बीजेपी के नेताओं और उनसे जुड़े लोगों पर एक के बाद एक महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न के कई मामले सामने आ रहे है, जो पार्टी के महिला हितैषी होने के दावे को कठघरे में खड़ा करते हैं। जिस तरह बार-बार महिला हिंसा और उत्पीड़न के मामलों में राजनीति का घालमेल सामने आने लगा है अब ये धीरे-धीरे सामान्य सी बात लगने लगी है, हालांकि ये बेहद शर्मिंदगी की बात है कि जिस पर लोग भरोसा कर के वोट देते हैं, एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए, वही उसे खोखला करने में सबसे आगे हैं।

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