क्या हम चुनावी तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं?
राजनीतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर सुहास पालशिकर ने न्यूज़क्लिक से एक ख़ास बातचीत में कहा कि लोकतंत्र सिर्फ चुनावी नतीजे तक सीमित नहीं; बल्कि चुने हुए प्रत्याशी किस तरह अल्पसंख्यकों और विपक्ष के अधिकारों की रक्षा करते हैं यह भी लोकतंत्र का हिस्सा हैI साथ ही जम्हूरियत इस बात में भी है कि सत्ताधारी पक्ष के खिलाफ वे कितनी मज़बूती से आवाज़ उठा सकने की आज़ादी रखते हैंI
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