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अर्मेनिया और अज़रबैजान ने नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र पर लड़ाई को ख़त्म करने के समझौते की घोषणा की
इस समझौते की मध्यस्थता रूस ने की जिसने इस क्षेत्र में शांति सेना की तैनाती की भी घोषणा की।
पीपल्स डिस्पैच
10 Nov 2020
अर्मेनिया और अज़रबैजान ने नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र पर लड़ाई को ख़त्म करने के समझौते की घोषणा की

अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनयन ने मंगलवार आधी रात से नागोर्नो-काराबाख को लेकर अजरबैजान के साथ हफ्तों की लड़ाई ख़त्म करने के लिए एक समझौते की घोषणा की। रूस द्वारा इस शांति समझौते की मध्यस्थता की गई थी।

पशिनयन ने इस शांति समझौते को अपने और अर्मेनियाई लोगों के लिए "अकथनीय रूप से दर्दनाक" निर्णय बताया लेकिन यह सैन्य स्थिति के विश्लेषण पर आधारित था। अज़रबैजान की सेनाओं द्वारा दूसरे बड़े शहर नागोर्नो कारबाख के शुशा शहर पर क़ब्ज़ा करने के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।

इस समझौते की घोषणा की बाद में अज़रबैजान और रूस द्वारा पुष्टि की गई। एक के बाद एक कई ट्वीट में अज़ेरी के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने शांति समझौते की घोषणा पर खुशी ज़ाहिर की और इसे "ऐतिहासिक दिन" और "शानदार जीत" कहा।

अजरबैजान इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों से अर्मेनियाई सैनिकों की आक्रमकता को खत्म करने के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में अर्मेनियाई सैनिकों की वापसी की मांग कर रहा था। इस समझौते के अनुसार आर्मेनिया इस क्षेत्र से अपनी सेना वापस ले लेगा और नागोर्नो-काराबाख तथा अजरबैजान के बीच की सीमा पर रूसी सैनिकों द्वारा पहरा दिया जाएगा।

दोनों देशों के बीच बातचीत की मध्यस्थता करने वाले रूस ने इस क्षेत्र में शांति सैनिकों के रूप में अपने 1,960 से अधिक सैनिकों की तैनाती की घोषणा की। रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन सेनाओं को अगले पांच साल के लिए आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच सीमा पर तथा नागोर्नो काराबख क्षेत्र में तैनात किया जाएगा।

इस शांति समझौते की घोषणा को लेकर अज़रबैजान के बाकू में लोगों ने खुशी का इज़हार किया। हालांकि, आर्मेनिया में लोग राजधानी येरेवन में सड़कों पर उतर गए। सैकड़ों लोगों ने देश की संसद की तरफ मार्च भी किया और प्रधानमंत्री पशिनयन के इस्तीफे की मांग की।

नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान का क्षेत्र है जहां आर्मेनियाई मूल की आबादी की बहुलता है। इस क्षेत्र ने सोवियत संघ के विघटन के बाद 1991 में अज़रबैजान से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इसकी स्वतंत्रता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है। 1991-1994 के बीच आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच लंबे समय तक युद्ध के बाद यह और इसके आस-पास के क्षेत्रों पर आर्मेनियाई लोगों ने क़ब्ज़ा कर लिया था। वर्ष 1994 में हस्ताक्षरित युद्ध विराम समझौता इस क्षेत्र में शांति लाने में विफल रहा है और दोनों देशों के बीच अक्सर झड़पें होती रही हैं। संघर्ष का मौजूदा दौर 28 सितंबर को शुरू हुआ था जिसमें दोनों पक्षों के बड़ी संख्या में नागरिकों सहित 1000 से अधिक लोग मारे गए।

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