Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

दुनिया भर की: विज्ञान और विनाश की भी जंग है लूला व बोलसोनारो के बीच

समाजवादी लूला और दक्षिणपंथी बोलसोनारो के बीच की टक्कर ब्राज़ील की अपनी राजनीति के अलावा बाकी दुनिया के लिए काफी अहम है। कई लोग इसे विज्ञान के नजरिये से भी देख रहे हैं और इसे एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और एक अवैज्ञानिक दृष्टिकोण के बीच की टक्कर बता रहे हैं।
brazil
फ़ोटो साभार: CNN

ब्राजील में राष्ट्रपति पद का चुनाव दुसरा दौर में है। पूर्व राष्ट्रपति लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा को पहले ही दौर में सीधी जीत मिलने के अनुमान तमाम रायशुमारियों में जाहिर किए जा रहे थे लेकिन वह उसके लिए ज़रूरी 50 फीसदी मतों से महज 1.6 फीसदी पीछे रह गए। मायने यह भी थे कि मौजूदा राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को जो 43.2 फीसदी मत मिले, वे अनुमानों से कहीं ज्यादा थे। बहरहाल, अब दोनों के बीच सीधा मुकाबला 30 अक्टूबर को है।

समाजवादी लूला और दक्षिणपंथी बोलसोनारो के बीच की टक्कर ब्राजील की अपनी राजनीति के अलावा बाकी दुनिया के लिए काफी अहम है। कई लोग इसे विज्ञान के नजरिये से भी देख रहे हैं और इसे एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और एक अवैज्ञानिक दृष्टिकोण के बीच की टक्कर बता रहे हैं। दुनियाभर का वैज्ञानिक समुदाय लूला को विज्ञान-अनुकूल मानता है। यहां दुनिया-भर की अहमियत इसलिए है क्योंकि धरती के फेफड़े कहे जाने वाले एमेजन के जंगलों का बड़ा हिस्सा ब्राजील में है और ब्राजील में सत्ता पर काबिज व्यक्ति की नीतियां एमेजन और इस तरह से दुनिया के पर्यावरण संरक्षण का भविष्य तय करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।

इस साल जून में ब्राजील की विज्ञान एकेडमी ने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार के पास विज्ञान, शिक्षा और टिकाऊ विकास में निवेश की जरूरत को रेखांकित करते हुए एक रिपोर्ट भेजी थी। कोई हैरत की बात नहीं कि केवल एक प्रत्याशी लूला ने अकादमी को अपना जवाब भेजा। यही नहीं, कुछ हफ्ते बाद लूला खुद रियो द जनेरियो स्थित अकादमी गए और वैज्ञानिकों से मुलाकात की।

उस मुलाकात में शामिल वैज्ञानिकों में से एक, रियो की फेडरल यूनिवर्सिटी के लुइज़ दाविदोविच, का कहना था कि यह उस उम्मीद का परिचायक थी जो वैज्ञानिकों को लूला से है। मुलाकात में लूला की टीम ने अपने विचार रखे और उतनी ही गंभीरता से वैज्ञानिकों को भी सुना।

लूला जब 2003 से 2010 तक राष्ट्रपति थे तो उनकी सरकार ने विज्ञान में खासा निवेश किया था। साथ ही उन सामाजिक व पर्यावरण नीतियों को बढ़ावा दिया था जिनसे एमेजन के जंगलों की कटाई पर रोक लगी और लाखों लोग गरीबी से बाहर निकले।

इस समय ब्राजील में विज्ञान के लिए फंडिंग उससे काफी कम है जितनी 15 साल पहले थी। कोर विज्ञान के लिए सरकारी फंडिंग में दो-तिहाई से भी ज्यादा गिरावट आई है। विश्वविद्यालयों के बुनियादी ढांचे के लिए सरकारी मदद में तो इस कदर गिरावट आ चुकी है कि ज्यादातर फेडरल (केंद्रीय) विश्वविद्यालयों को बिजली-पानी के बिल तक अदा करने में मुश्किलें आ रही हैं। हाल यह हो गया कि कई छात्र विज्ञान की जगह पर दूसरे विषयों में जा रहे हैं और शोध करने वाले भी दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्राजीलिया के इकोलॉजिस्ट मर्सीडीज बुस्तामांते ने नेचर पत्रिका को कहा कि लैबोरेटरी चलाने, उपकरण खरीदने या रखरखाव करने के लिए कोई धन नहीं है।

विज्ञान, पर्यावरण व लोकतंत्र के मामले में बोलसोनारो की छवि वही है जो अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की हुआ करती थी। इसीलिए ज्यादातर लोग मानते हैं कि लूला आए तो स्थिति बदलेगी। जब लूला राष्ट्रपति थे तो विज्ञान व टेक्नोलॉजी के लिए फंडिंग तीन गुना हो गई थी। मजेदार बात यह है कि लूला को खुद कभी कॉलेज जाने का मौका नहीं मिला लेकिन उन्हें उच्च शिक्षा का महत्व बखूबी पता है। उन्होंने अपने समय में यूनिवर्सिटी प्रणाली को ब्राजील के हर कोने तक पहुंचाया।

हालांकि 30 अक्टूबर के चुनाव में लूला जीत भी गए तो भी स्थिति को सुधरने में फिलहाल वक्त लगेगा क्योंकि देश आर्थिक संकट में है जिसके कारण करीब साढ़े तीन करोड़ लोग भुखमरी का शिकार हैं। ज्यादातर इसके लिए बोलसोनारो की नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं। लिहाजा लूला को बजट बढ़ाने और वैज्ञानिक ढांचा खड़ा करने में वक्त लगेगा। ब्राजील की विज्ञान एकेडमी की मौजूदा प्रमुख व मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट हेलेना नादेर का कहना है कि हमें समूचा तंत्र फिर से खड़ा करना पड़ेगा।

बोलसोनारो को एमेजन के जंगलों को बर्बाद करने के लिए भी काफी कुख्याति मिली है। वहीं लूला को दुनियाभर में पर्यावरण प्रेमियों व वैज्ञानिकों के बीच एक ऐसी व्यवस्था खड़ी करने के लिए जाना जाता है जिसने एमेजन के जंगलों की कटाई में 2004 से लेकर 2012 के बीच 80 फीसदी तक कमी की।

इसके उलट बोलसोनारो ने जंगलों के पास खनन और विकास के कामों को बढ़ावा दिया और पर्यावरण कानूनों को ढीला कर दिया। नतीजा यह हुआ कि जंगलों की कटाई खूब हुई, देशभर में पर्यावरण कार्यकर्ताओं व मूल समुदायों के लोगों पर हमले बढ़े। जंगलों की इस कटाई ने वहां संगठित अपराध को भी बढ़ावा दिया।

एमेजन के जंगल इतने फैले हुए व घने हैं कि उनकी कटाई पर निगरानी का काफी काम उपग्रहों के जरिये होता है। लूला को सत्ता में आने के बाद इस दिशा में अंतरिक्ष अनुसंधान का काम फिर से तेज करना होगा। पर्यावरण की निगरानी करने वाली एजेंसियों को भी फिर से मजबूत करना होगा। लूला के सलाहकार पहले ही नवंबर में मिस्र के शर्म-अल-शेख में होने वाले जलवायु शिखर सम्मेलन की तरफ निगाहें लगाए हुए हैं।

लूला की जीत के गहरे मायने विज्ञान के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी होंगे। लूला व बोलसोनारो का नजरिया सार्वजनिक स्वास्थ्य कल्याण के प्रति भी एक-दूसरे से उलट है। बोलसोनारो ने अपने कार्यकाल में सार्वजनिक स्वास्थ्य कल्याण बजट में निरंत कटौती की है। कोविड की महामारी से निबटने में भी उनका रवैया ट्रंप की ही तरह अवैज्ञानिक रहा है। वहीं, लूला ने एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली पर खर्च बढ़ाने का वादा किया है। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य ढांचे और फार्मा उद्योग के लिए भी ज्यादा फंडिंग की बात कही है।

चुनाव के नतीजों के आधार पर इन क्षेत्रों का गणित साफ है, लूला जीते तो फंडिंग बढ़ेगी और लूला हारे तो फंडिंग में और कटौती हो जाएगी।

जाहिर है कि ब्राजील के राष्ट्रपति पद के चुनाव का मुकाबला वहां की स्थानीय राजनीति से कहीं आगे अहमियत रखता है। नतीजा 30 अक्टूबर को रन-ऑफ के मतदान के बाद मिलेगा। हालांकि दो दिन पहले तक के ओपिनियन पोल तो यही कहते हैं कि लूला को 49 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है और बोलसोनारो को 44 फीसदी। रोचक बात यह है कि मुकाबला नजदीकी हुआ तो बोलसोनारो के नतीजे को स्वीकार न करने की संभावना उसी तरह की है जैसे अमेरिका में चुनावों के बाद ट्रंप ने किया था।

बहुत कुछ सीनेट और निचले सदन में पार्टियों की स्थिति पर भी निर्भर करेगा। बोलसोनारो की पार्टी वहां कमजोर नहीं हुई है। यानी, लूला जीत भी गए तो निकट भविष्य में तो उनकी राह चुनौतीपूर्ण ही रहने वाली है। दांव पर विज्ञान के साथ-साथ लोकतंत्र भी है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest