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असम बाढ़ : एक महीने में दूसरी बार आई भारी बारिश से डूबा आधा राज्य

ऐसा लगता है कि असम, मेघालय और अपस्ट्रीम भूटान में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के साथ-साथ कुछ जलविद्युत परियोजनाओं के लिए बने बांधों के गेट खुलने से वर्तमान आपदा आई है।
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एक महीना भी नहीं बीता है, और लोगों अपने घरों को अभी दुरुस्त भी नहीं कर पाए थे – कुछ लोग अभी शिविरों आश्रय लिए हुए हैं – तभी बाढ़ का दूसरा दौर आ गया, वह भी पहले वाले से काफी तेज़ और भयंकर बाढ़ के साथ। इस बार मध्य से पश्चिम के निचले असम तक, दोनों इलाके ब्रह्मपुत्र के दक्षिण और उत्तरी दोनों किनारों पर दो दिनों से पानी के भीतर समाए हुए है। कई जगहों पर स्थिति तनावपूर्ण है क्योंकि सहायक नदियाँ, नदियाँ और धाराएं खतरे की निशान से ऊपर बह रही हैं; कई स्थानों पर नदियों ने अपने तटबंध तोड़ दिए हैं और नदियों ने किनारों को तोड़ दिया है, जिससे भूमि के बड़े हिस्से में पानी भर गया है साथ ही घरों, अनाज के भंडार, धान और पशुधन सब जलमग्न हो गए हैं। 

नगांव, होजई, मोरीगांव (मध्य असम, ब्रह्मपुत्र के दक्षिण तट पर), दीमा हसाओ, कार्बी आंगलोंग (पहाड़ी जिले), कछार (बराक घाटी), कामरूप (दोनों दक्षिण और उत्तर तट) नलबाड़ी, बजली, बारपेटा, बंगाईगांव, बक्सा, तामूलपुर, कोकराझार (निचला असम डिवीजन, ब्रह्मपुत्र का उत्तरी तट), गोलपारा (पश्चिम असम, ब्रह्मपुत्र का दक्षिणी तट) प्रभावित जिले हैं, जहां न केवल जीवन ठप हो गया है बल्कि खतरे में भी है। 

यह हाल करीब-करीब आधे राज्य का है और इससे आर्थिक और मानवीय दोनों तरह के गंभीर नुकसान होना तय है। इनमें से अधिकांश जिलों में जिला प्रशासन ने अलर्ट घोषित कर दिया है और शैक्षणिक और अन्य संस्थानों को बंद करने की घोषणा की है।

गुवाहाटी जोकि राज्य की राजधानी है, कि स्थिति भी खराब है, कई घरों में अभी भी पानी भरा हुआ है, कई जगहों पर भूस्खलन हुआ है, जिसमें लोगों की मौत हुई है और बिजली में कटौती हुई है। कामरूप मेट्रो जिला, जो ज्यादातर राजधानी का ही हिस्सा है, भी 18 जून तक बंद है।

असम, मेघालय और अपस्ट्रीम भूटान में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश और कुछ जलविद्युत परियोजनाओं में बांधों के गेट खोलने से यह आपदा बरपी है। गुवाहाटी के बोरझार में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (आरएमसी) ने और कई दिनों तक बारिश जारी रहने की भविष्यवाणी की है। आरएमसी बोरझार के उप निदेशक डॉ शॉ ने फोन पर कहा कि बंगाल की खाड़ी में हवा से क्षेत्र में भारी बादल छा रहे हैं और 20-21 जून तक बारिश जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि हालांकि बारिश थोड़ी छिटपुट हो सकती है।

न्यूज़क्लिक ने प्रभावित जिलों के कई लोगों से बात की। 16 जून को होजई के मेहराजुल अलोम ने बताया कि कोपिली का पानी होजई में घुस गया और इसके किनारे स्थित कई गांवों में पानी भर गया है। प्रशासन ने अलर्ट की घोषणा की है, और लोग पहले ही शाम तक शिविरों में चले गए थे। अलोम ने कहा, आधी रात तक, कई लोगों ने अपनी जरूरी चीजें पैक कर लीं थी और सुरक्षित स्थानों या शिविरों में जाने को तैयार हो गए थे क्योंकि जल स्तर लगातार बढ़ रहा था।

"हर पल, लोगों को जल स्तर की जांच करते रहना पड़ता है; इसलिए वे सो भी नहीं सकते हैं। किसी भी पल बाढ़ के खतरे से उन्हें दूर जाने की जरूरत पड़ सकती है," - अलोम ने समझाया। उनके अनुसार, 17 जून की सुबह तक, होजई जिले का लगभग 30 प्रतिशत (लस्करपाथर, ऐसुबली, जमुनामुख, कुमरकाटा आदि) हिस्सा बाढ़ में डूब गया था। होजई के जुबैर हुसैन और लुत्फुर रहमान, दोनों ने बताया कि वहां भी स्थिति समान तनावपूर्ण है। 

बाढ़ में बहता एक घर। 

कार्बी आंगलोंग के खीरी क्षेत्र में भी जल स्तर में वृद्धि देखी गई है। असमिया दैनिक प्रतिदिन के एक स्थानीय रिपोर्टर बीरेन एंघी ने कहा है कि यह बाढ़ सबसे बड़ी है जिसे हम देख रहे हैं, और यहां भी, कोपिली नदी सामान्य से ऊपर बह रही है। एंघी ने बताया कि जल स्तर 16 जून को कोपिली पर खेरोनी पुल के करीब पहुंच गया था। उन्होंने बाढ़ के बड़े पैमाने पर असम और मेघालय में लगातार बारिश (बिना अंतराल के 24 घंटे से अधिक समय तक) और कोपिली जलविद्युत परियोजना में नीपको बांध से पानी छोड़ने को जिम्मेदार ठहराया है।

यहां उल्लेखनीय बात यह है कि कुछ दिन पहले, न्यूज़क्लिक की एक अन्य रिपोर्ट में, नीपको के एक अधिकारी ने कहा था कि बाढ़ में बांधों की कोई भूमिका नहीं है क्योंकि परियोजना लगभग गैर-कार्यात्मक है। हालांकि, नीपको द्वारा जारी नवीनतम जलाशय की स्थिति ने कोपिली एचईपी के खांगडोंग बांध के द्वार खुले दिखाए हैं। बीरेन एंघी ने हमें बताया कि कोपिली बांधों से और कार्बी लांगपी (कार्बी आंगलोंग की लंगपी नदी पर) जलविद्युत परियोजना के द्वार भी खोल दिए गए थे। उन्होंने कहा, "इनसे नगांव, होजई और कार्बी आंगलोंग जिलों में बाढ़ की स्थिति और खराब हो गई है।"

स्कूल परिसर जो पहले एक एक शिविर था, भी बाढ़ में डूब गया है।

उत्तर की ओर आगे बढ़ते हुए, नागांव जिले के कामपुर में, वही तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।  विशेष रूप से, कामपुर, राहा और होजई जिले के कुछ हिस्सों में मई (पूर्व-मानसून अवधि) में बाढ़ के पहले दौर में सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए थे, और लोग अभी अपने घरों को पूरी तरह दुरुस्त भी नहीं कर पाए थे, कि इन क्षेत्रों में फिर से बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गई है। कामपुर से, मोला लस्कर ने हमें बताया कि लोग बढ़ते जल स्तर से भयभीत हैं, पूरी रात शिविरों में जाने को  तैयार रहते हैं। विशेष रूप से, इनमें से अधिकांश शिविर स्थानीय सरकारी स्कूलों में हैं, जिनमें से कुछ में पानी भर गया है, इससे स्थिति अधिक गंभीर हो गई है। उन्होंने हमें यह भी बताया कि कामपुर के पास पोटियापम गांव के पास तटबंध टूट गए थे, जहां कोपिली नदी का पानी गांवों में घुस गया था। 

नगांव के राहा की मृनाली देवी और निराला मेधी ने हमें 16 जून की रात को बताया कि कोपिली का पानी चापर्मुख सहित जालाह क्षेत्र में पहले ही प्रवेश कर चुका है। वे दूसरे स्थानों या शिविरों में जाने के लिए अगले दिन सुबह तक इंतजार कर रहे थे। यहां भी उन्होंने पीड़ितों को सहायता प्रदान करने में सरकार की उपेक्षा पर दुख व्यक्त किया है।

अब हम सीधे निचले असम मंडल के उत्तरी तट पर आते हैं, सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कामरूप, नलबाड़ी और बजली जिलों में हैं। कामरूप जिले में, बरलिया और पुथिमारी नदियों ने दो या तीन स्थानों पर तटबंधों को तोड़ दिया है, जिससे रंगिया और अन्य में कई स्थानों पर बाढ़ आ गई है।

यहां यह उल्लेख करने की जरूरत है कि असम में वे नदियाँ बहती हैं जो भूटान, अरुणाचल और मेघालय की पहाड़ियों से निकलती हैं। निचले असम डिवीजन के उत्तरी तट जिलों में भूटान से निकलने वाली सभी नदियाँ आती हैं। असम के मैदानी इलाकों और भूटान के ऊपरी इलाकों में लगातार बारिश और बांध के गेट खुलने से बाढ़ की स्थिति चिंताजनक हो गई है।

"पूरा नलबाड़ी जिला अब बाढ़ में डूबा हुआ है" - बोनोजीत हुसैन ने बताया, जो बोरिदतारा गाँव में रहते है और एक कृषि शोधकर्ता है। “कामरूप और नलबाड़ी जिले की सीमा पर नोना नदी, जिसने एक या दो स्थानों पर तटबंध तोड़ दिए हैं, उससे कई गांवों में बाढ़ आ गई है। इसके अलावा, भूटान में उत्पन्न होने वाली घोगरा नदी बारिश के कारण बह गई है, व्यापक क्षेत्रों में धान के खेतों में पानी भर गया है। बोनोजीत ने समझाया कि, मोरी पगलिडिया नदी ने कल से एक दिन पहले तटबंध तोड़ दिया था, जो कलदिया नदी के साथ, तिहू, कैथलकुची और नलबाड़ी और बजली जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे स्थानों पर कहर बरपा रही हैं।” 

उनके अनुसार, इस बार बाढ़ के कारण चावल के बीज की कमी हो जाएगी। यह वह मौसम है जब धान अंकुरित हो जाते हैं और एक महीने में रोपण होना है। "कई दिनों तक इनके ऊपर बहता पानी उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर देगा, और किसानों को फिर से शुरुआत करनी होगी, जिससे बीज का संकट पैदा हो जाएगा।" 

बजली जिले के पटाचरकुची के मधुरज्यो गोस्वामी ने 16 जून को हमें बताया कि शाम तक कलदिया का पानी उनके पिछवाड़े में पहुंच गया था। "कल सुबह तक इसके दलदल होने की संभावना है।" पाठशाला कस्बे के बजली के जिला मुख्यालय में 16 जून की शाम तक पानी भर गया था और एक की मौत हो गई थी। पाठशाला की बाढ़ भूटान से नीचे आने वाली पोहुमारा नदी के कारण आई है। “पाठशाला की बाढ़ असामान्य है। क्या यह प्राकृतिक कारकों के कारण है, या कुछ नए बांध ऊपर की ओर हैं, यह एक सवाल बना हुआ है," - गुवाहाटी में स्थित एक नियमित स्तंभकार किशोर कलिता को उक्त बात बताई। 

भबनीपुर के एक राजनीतिक कार्यकर्ता सुब्रत तालुकदार ने बताया कि, इसी तरह, पोहुमारा नदी ने कई स्थानों पर तटबंध तोड़ दिए हैं, जिससे भबिनीपुर और सोरूपेटा क्षेत्रों में कई स्थानों पर पानी भर गया है। "पोहुमारा दलदल भूटान के कुरिशु में गेट खुलने के कारण भी है।" 16 जून की शाम को बाढ़ के डर से सुब्रत को गुवाहाटी से अपने घर भागना पड़ा क्योंकि उनके बुजुर्ग माता-पिता वहां अकेले रहते थे।

कोकराझार के डीपीओ (जिला परियोजना अधिकारी), कमल हजारिका ने हमें बताया कि गौरांग, सी हम्पबाती, सोनकोच आदि जैसी कई नदियों से भारी मात्रा में पानी बह रहा है और वे खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। उन्होंने कई ग्रामीणों को वहां निकाला है जहां 16 जून को बाढ़ आई थी। हजारिका ने बताया कि 17 जून की शाम तक, कई अन्य लोगों को बचाव और आश्रय शिविरों में स्थानांतरित करने की जरूरत पड़ सकती है।

दक्षिण तट पर, गोलपारा जिला भी बाढ़ की चपेट में है और स्थिति कभी बिगड़ सकती है। मेघालय से निकलने वाली दुधनोई, कृष्णा, जिनारी नदियां उफान पर हैं। बोधापुर गांव पंचायत के अध्यक्ष भानुजॉय राभा ने कहा कि जिनारी और रोंगखाटी नदियों के पानी से उनकी पंचायत में गांव पहले ही डूब चुके हैं। भानुजॉय राभा ने आगे बताया कि, "दुधनोई और कृष्णाई नदियों के कारण और अधिक बाढ़ आज या कल (18 जून) होने की संभावना है।" 

मिर्जा जुल्फिकुर रहमान गुवाहाटी में स्थित एक स्वतंत्र शोधकर्ता हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, मिर्जा ने बताया कि स्थिति बहुत खराब हो गई है, खासकर गुवाहाटी में जिसके कई कारण हैं- जिसमें जमीन पर बुनियादी ढांचा और ऊपर से जलवायु परिवर्तन। उन्होंने यह भी कहा कि बांध के बुनियादी ढांचे की गंभीर रूप से जांच की जानी चाहिए।

“उदाहरण के लिए, नीपको ने पहले ही नदी की धारा को बहुत बदल दिया है। इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बांध चालू हैं या नहीं है", उन्होंने कहा, "अधिकारी हमेशा तकनीकी शब्दावली के साथ खेलते हैं, लेकिन वास्तव में, नदी की गतिशीलता बदल जाती है, जो प्राकृतिक आपदाओं के समय में इसके प्रभाव को दर्शाता है।" 

मिर्जा ने यह भी बताया कि न केवल अरुणाचल प्रदेश में, जहां कई बांधों की योजना बनाई गई है, बल्कि भूटान की अन्य नदियां भी हैं जहां यह योजना जारी है। उनके अनुसार ये बाढ़ को और गंभीर बना देंगे। मिर्जा बताते हैं कि, "हाइड्रोक्रेसी दर्शन कहता है कि नदियों को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है, जो एक मर्दाना विचार है क्योंकि नदियों को लिंग में मादा माना जाता है।" इसके अलावा, उन्होंने बताया कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जहां भारी बारिश के मामले में भूटान, भारत (विशेष रूप से असम में) को सूचना भेजता है वह समय के साथ कमज़ोर होती जा रही है।  

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Assam Flood: Within a Month, Second Spell Submerges Half of the State

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