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अयोध्या दुष्कर्म: आरोपी महंत के साथ ही पितृसत्तात्मक व्यवस्था पर भी सवाल

मंदिर परिसर में दुष्कर्म की कथित घटना ने शासन-प्रशासन पर सवाल के साथ ही समाज की पितृसत्तात्मक व्यवस्था की भी पोल खोल दी है, जहां मां-बाप खुद अपनी बच्चियों को उसकी पसंद के व्यक्ति से प्रेम करने से रोकने के लिए झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं।
rape case
फ़ोटो साभार: आज तक

राम नगरी अयोध्या एक बार फिर बलात्कार की खबरों को लेकर सुर्खियों में है, और इस बार फिर आरोपी एक महंत है। आरोप है कि सियावल्लभ कुंज के महंत ने झाड़-फूंक के बहाने 20 साल की दलित पीड़िता को मंदिर में बुलाया और उसके घरवालों को बाहर भेजकर, उसके साथ दुष्कर्म किया। फिलहाल आरोपी महंत पुलिस की गिरफ्त में है। लेकिन खबर है कि एक अन्य महंत भी इस पूरी वारदात में शामिल था, जो फिलहाल कहीं फरार है।

बता दें कि इससे पहले अयोध्या के महंत कृष्णकांताचार्य पर एक महिला को बंधक बनाने और फिर उसका कई बार कथित रूप से बलात्कार करने के आरोप लगे थे। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद आरोपी महंत की गिरफ्तारी हुई थी, हालांकि इसके बाद मामला कहां तक पहुंचा इसकी जानकारी शायद ही किसी को हो। बहरहाल, एक बार फिर मंदिर परिसर में दुष्कर्म की कथित घटना ने शासन-प्रशासन पर कई बड़े सवाल तो खड़े किए ही हैं साथ ही हमारे समाज की पितृसत्तात्मक व्यवस्था की पोल भी खोल दी है, जहां मां-बाप खुद अपनी बच्ची को उसकी पसंद के व्यक्ति से प्रेम करने से रोकने के लिए झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं और फिर ऐसे ढोंगियों की शरण में छोड़ जाते हैं।

क्या है पूरा मामला?

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक घटना 6 जुलाई की है, जिसकी जानकारी 7 जुलाई को सामने आई। पीड़िता अयोध्या के तारुन थाना क्षेत्र की रहने वाली है। आरोपी महंत हनुमान दास नयाघाट के सियावल्लभ कुंज का महंत है और शादीशुदा होनेे के साथ ही तीन बेटियों का पिता भी है। पीड़ित युवती ने एक और महंत पर भी रेप में शामिल होने का आरोप लगाया है, जिसकी जांच में फिलहाल पुलिस जुटी है।

पीड़ित लड़की के माता-पिता ने पुलिस को बताया, "बेटी दिल्ली के एक लड़के से प्यार करती थी। और हमे ये बात पसंद नहीं थी। हम चाहते थे कि बेटी हमारी पसंद से ही कहीं शादी करे। इसलिए 6 जुलाई को हम महंत हनुमान दास के पास झाड़-फूंक करवाने लेकर गए। जिससे वो उस लड़के से दूर हो जाए। बेटी जब महंत के पास पहुंची तो महंत ने पहले उससे सब कुछ पूछा और झाड़-फूंक से प्यार का भूत उतारने की बात कही और बेटी को अपने कमरे में ही रोक लिया। हमें राम की पैड़ी नहर में पैर लटकाकर बैठने और इंतजार करने को कहा।"

मालूम हो कि नयाघाट के मंदिर में झाड़-फूंक का काम पिछले 20 साल से चल रहा है। इस मंदिर में यूपी के साथ-साथ दूसरे राज्यों के लोग भी बड़ी संख्या में आते हैं। मेलों के समय इस मंदिर में एक दिन में दो से पांच हजार भक्त आते हैं। महंत हनुमान दास का परिवार भी मंदिर में ही रहता है। घटना के समय महंत का परिवार मंदिर के दूसरे हिस्से में था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महंत के ऊपर मंदिर के स्वामित्व को लेकर पहले से कोर्ट में विवाद चल रहा है। अयोध्या मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने नयाघाट के मंदिर को अपना बताया है और इसे लेकर उन्होंने मुकदमा भी दायर किया हुआ है।

संविधान और पितृसत्ता

गौरतलब है कि हमारे देश के संविधान में लड़कियों के अपने मनपसंद जीवनसाथी चुनने और प्रेम करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन हमारे समाज के तथाकथित ठेकेदारों ने इसे अपने नज़रिए में आज भी एक अपराध बना रखा है, जिसके लिए ये लोग लड़की को किसी भी सूली पर चढ़ाने या उसकी कोई भी कीमत चुकाने से नहीं चूकते। बहरहाल, हमारे समाज में महंतों को शिक्षा-दिक्षा और सद्भाव के प्रसार के लिए जाना जाता है नाकि ऐसे कुकृत्यों के लिए। वैसे देश के हर कोने में में ऐसे अनेक बाबा हैं जो धर्म से ज्यादा अपनी दूसरी हरकतों की वजह से चर्चित रहे हैं इन पर फ्राड से लेकर रेप और हत्या तक के आरोप हैं। आसाराम, गुरमीत राम रहीम, निर्मल बाबा, भीमानंद, रामपाल, सचिदानंद, नित्यानंद सहित अनेक ऐसे ढोंगी-पाखंडी बाबा हैं जो धर्म के नाम पर आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं।

हालांकि आजकल ज्यादातर ऐसे ही महंत मीडिया में छाए हुए हैं जो महिला विरोधी सोच और नफरती भाषणों को लेकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। आपको याद होगा हाली ही में पुलिस की मौजूदगी में मुस्लिम महिलाओं को सरेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत बजरंग मुनि दास भारी विरोध के बाद गिरफ्तार हुआ था और महज़ दस दिन बाद ही जमानत पर रिहा भी हो गया था। हालांकि ये भी पहला मामला नहीं था, इससे पहले भी गाजियाबाद के डासना के एक महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती भी लगातार आपत्तिजनक बयानों और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरती भाषणों को लेकर चर्चा में रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई इन लोगों को सत्ता का संरक्षण हासिल है जो बार-बार एक ही समुदाय के खिलाफ जहर उगलने के बाद भी इन पर कोई कार्रवाई तक नहीं होती।

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