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आज़मगढ़: एयरपोर्ट के लिए ज़मीन नहीं देने पर अड़े किसान, तेज़ हुआ आंदोलन

किसानों के साथ आंदोलन में शामिल होने देश भर से किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ता आ रहे हैं। सामजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और किसान नेता राकेश टिकैत भी किसानों के आंदोलन में शामिल होने आज़मगढ़ पहुंचे।
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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आज़मगढ़ के मंदुरी एयरपोर्ट को प्रदेश का पांचवां अर्न्तराष्टीय एयरपोर्ट बनाने की तैयारी कर रही है। अर्न्तराष्टीय एयरपोर्ट के लिए 670 एकड़ भूमि का सर्वे किया गया है। लेकिन स्थानीय किसान सरकार के फैसले से नाराज़ हैं और लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान एयरपोर्ट के लिए किसी भी कीमत पर अपनी भूमि को देने के लिए तैयार नहीं है।

किसानों के साथ आंदोलन में शामिल होने देश भर से किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ता आ रहे हैं। प्रसिद्ध सामजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और किसान नेता राकेश टिकैत भी किसानों के आंदोलन में शामिल होने आजमगढ़ आये। जिसके बाद अक्टूबर में शुरू हुआ आंदोलन पिछले कुछ दिनों में और भी तीव्र हो गया है।

इसे पढ़ें : मंदुरी एयरपोर्ट प्रकरण: ‘खेतों में क़ब्रिस्तान बनाकर हम सबको गाड़ दो और हमारी ज़मीन ले जाओ!'

670 एकड़ भूमि-दर्जन गांव-सैकड़ों किसान

किसानों का कहना है कि 670 एकड़ भूमि क़रीब एक दर्जन गांवों के सैकड़ों किसानों से ली जाएगी। इसमें से कई गांवों जिसमें मुख्य रूप से गधनपुर, हिच्छनपट्टी, और जमुआ आदि का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा।

पुलिस पर आरोप

हिच्छनपट्टी और गधनपुर में तो महीनों से किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने सर्वे की टीमों को गांव में घुसने का भी विरोध किया। किसानों का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन ने कई प्रदर्शनकारियों को थाने में बंद कर दिया था। पुलिस और पीएसी के जवानों के साथ, रात के अंधेरे में सर्वे का काम किया गया है। आरोप है कि रात के अंधेरे में शासन-प्रशासन के लोग सर्वे के लिए गांव में आए और जब महिलाओं ने विरोध किया तो पुलिस ने महिलाओं को भी मारा-पीटा।

इस बीच “ज़मीन -मकान बचाओ” संयुक्त मोर्चा के बैनर के नीचे खिरिया की बाग, जमुआ हरिराम, आज़मगढ़ में 5 नवम्बर 2022, को "महिला किसान-मज़दूर" पंचायत, 6 नवम्बर 2022 को, "किसान-मजदूर-पंचायत", 7 नवम्बर 2022,को "छात्र-किसान-मजदूर" पंचायत का आयोजन किया गया।

ज़मीन-मकान बचाओ”

जन आंदोलनों की नेता मेधा पाटकर ने 8 नवम्बर 2022 को और किसान नेता राकेश टिकैत 9 नवम्बर 2022 को आजमगढ़ किसान आंदोलन का समर्थन किया। पिछले 28 दिनों से संघर्ष कर रहे किसान-मजदूरों के संघर्ष में शामिल होने आये किसान नेता किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि "एक भी किसान अगर अपनी ज़मीन नहीं देना चाहेगा तो उसकी लड़ाई मैं यहां लड़ूंगा"।

टिकैत की चेतावनी

उन्होंने कहा कि यहां एक भी किसान जमीन देने को तैयार नहीं है ऐसे में किसी भी हालत में यहां एयरपोर्ट नहीं बनाया जा सकता है। टिकैत ने शासन-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी तरह के उत्पीड़न की कार्रवाई में न जाए नहीं तो खिरिया का मैदान, देश के किसानों के बड़े आंदोलन का मैदान होगा।

मेधा पाटकर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा की जो ज़मीन पीढ़ियों से हमारे पास है, वह हमें अन्न की सुरक्षा के साथ जीवन जीने का अधिकार देती है। सरकार विकास की बात करती है लेकिन विकास का चरित्र का क्या होगा इस पर बहस नहीं करती।

उन्होंने आगे कहा की यह किसानों और मजदूरों की ज़मीन छीनकर पूंजीपतियों के लिए एयरपोर्ट बना रहे हैं, जिसकी आम जनता को कोई आवश्यकता नहीं है। अगर यह वास्तविक विकास करना चाहते हैं तो किसानों के हर पांच किलोमीटर पर मंडी का निर्माण कराएं।

मेधा पाटकर के सवाल

जन आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने पंचायत में लोगों से पूछा कि क्या आप जमीन देना चाहते हैं? जनता ने कहा हाथ उठाकर एक स्वर में कहा कि नहीं। पाटकर ने कहा कि डीएम साहब क्यों संविधान का पालन नहीं करना चाहते?

किसान पंचायत एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया गया कि हम किसी भी हाल में अपनी जमीन नहीं देंगे। जिलाधिकारी इस आशय की सूचना उड्डयन मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दें।

सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति धुरू और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ. संदीप पाण्डेय ने भी आजमगढ़ जा कर किसानों के समर्थन में आवाज़ उठाई।

10 हज़ार की आबादी प्रभावित होगी

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि आज़मगढ़ में मंदुरी हवाई अड्डा परियोजना के लिए जो भू अधिग्रहण का प्रस्ताव है जिसमें आठ गांव और तकरीबन दस हज़ार की आबादी प्रभावित होने वाली है इसका कोई औचित्य समझ में नहीं आता।

डॉ. संदीप पाण्डेय ने कहा कि आज़मगढ़ के पास वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ आदि जगहों पर हवाई अड्डे हैं,जहां कुछ घंटों में पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस हवाई अड्डे के कारण सैकड़ों एकड़ भूमि जाने से जो कृषि आजीविका प्रभावित होने वाली है उसका नकद मुआवजा कोई विकल्प नहीं हो सकता। किसान अपनी जमीन बचाने की लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ रहा है, जिनका नारा है, “जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे”।

अरुंधति धुरू ने कहा कि ज़मीन बचाने की इस लड़ाई, जिसकी अगुवाई महिलाएं कर रही हैं, ने “पूर्वांचल” के किसानों के सवाल को राष्ट्रीय स्तर पर लाया दिया है।

विकास मॉडल नहीं-जनविरोधी विनाश मॉडल

ज़मीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा के संयोजक रामनयन यादव ने कहा कि आजमगढ़ ज़मीन पर चल रहे धरने में बड़े पैमाने पर महिलाओं की भागीदारी हो रही है। रामनयन यादव ने कहा ने कहा कि अमेरिकी विकास माडल जो पूरी दुनिया में नाकाम हो चुका है, उसे खेती प्रधान भारत में नहीं थोपा जाना चाहिए। अंधाधुंध "बहुफसलीय" जमीनों को हड़पकर हाईवे, एक्सप्रेस वे, हवाई अड्डे आदि बना देना भर विकास माडल नहीं व जनविरोधी विनाश माडल बन चुका है।

रिहाई मंच ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया है। मंच के नेता राजीव यादव का कहना है कि जहाँ देश भूख सूचकांक ,समाजिक-आर्थिक गैर बराबरी में शर्मनाक स्तर पर है। फैक्टरियां-कम्पनियां बंद होने के कगार पर हैं और बेरोजगारों को खपाने में अक्षम हो रही हैं। लोगो को मजबूर होकर गाँव लौटना पड़ रहा। ऐसे लहत में किसानों को गाँव-जवार को उजाड़ने वाला विनाश मॉडल नहीं चाहिए।

किसान आंदोलन का ज़िक्र

राजीव ने किसान आंदोलन का भी ज़िक्र किया और कहा कि किसानों को तीन कृषि काले कानून की भी जरूरत नहीं थी। लेकिन तानाशाही सरकार द्वारा किसानों का फायदा बताकर थोपा गया। लेकिन 13 महिने की ऐतिहासिक किसान आंदोलन व किसानों की शहादत के बाद सरकार माफी मांगने को मजबूर हुई। रिहाई मंच के नेता ने कहा लेकिन सरकार फिर भी किसानों के साथ फिर विश्वासघात करने से बाज नहीं आ रही। लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड का आरोपी मास्टरमाइंड आशीष मिश्र का पिता केंद्रीय गृह मंत्री अजय मिश्र टेनी आज तक सत्तासीन है।

प्रदर्शन के दौरान आजमगढ़ में मौजूद राजीव यादव ने न्यूज़क्लिक ने फ़ोन पर बताया की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी आज़मगढ़ एयरपोर्ट से लखनऊ के लिए विमान सेवा शुरू करने जा रही है। बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी 2014 में ही बनी और 2014 में ही मोदी सरकार भी बनी।

राजीव कहते हैं कि किसान सवाल कर रहे हैं कि, सरकार क्या विमान नहीं चला सकती अगर नहीं चला सकती तो एयरपोर्ट क्यों बना रही है?क्या यह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नाम पर किसानों की जमीन और मकान ढहाकर निजी कंपनियों को देने की साजिश है? अगर नहीं तो चौधरी चरण सिंह के नाम पर बने लखनऊ एयरपोर्ट को अडानी को क्यों सौंप दिया? क्या वही धोखा आज़मगढ़ के साथ विकास के नाम पर करने की साजिश रची जा रही? अगर नहीं तो क्यों फिर आज़मगढ़ हवाई अड्डे से विमान सेवा प्राइवेट क्यों कंपनी देगी?

मंदुरी एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के समर्थन में वाराणसी से आई “प्रेरणा कला मंच” की सांस्कृतिक टीम ने जमुआ, जिगना, हसनपुर और धरने स्थल पर नाटक और गीत प्रस्तुत किए।

“ठाकुर का कुआं”

प्रेरणा कला मंच के मुकेश कुमार ने कहा कि गरीबों की जमीन जिस तरह एयरपोर्ट के नाम पर छीनी जा रही ठीक उसी तरह सदियों से जमीन लूटी गई। मुंशी प्रेमचंद के नाटक “ठाकुर का कुआं” और जनगीतों के माध्यम से गांवों में कंपनी राज को लेकर अपनी बात रखी गई। एक दौर में जिस तरह से साहूकार गरीबों की जमीन सादे कागज पर अंगूठा लगाकर हड़पते थे ठीक उसी तरह आज मल्टीनेशनल लोगों की जमीन मॉल-एयरपोर्ट के नाम पर हड़प रहे हैं।

किसानों का क्या कहना है?

उल्लेखनीय है स्थानीय किसान बताते हैं कि अब आजमगढ़ में मंदुरी हवाई पट्टी का विस्तार कर एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने का प्रस्ताव है। इसमें 8 गांवों - हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जमुआ हरिराम, जमुआ जोलहा, गदनपुर छिन्दन पट्टी, मन्दुरी जिगिना करमपुर व जेहरा पिपरी - की 670 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाएगी व करीब दस हजार लोग प्रभावित होंगे।

किसानों और मज़दूरों के सवाल

यहां की जमीन बहुत उपजाऊ है। पहले तो लोग यह पूछ रहे हैं कि आजमगढ़ के आस-पास वाराणसी, कुशीनगर, गोरखपुर, अयोध्या और अब तो लखनऊ भी, क्योंकि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बन जाने से दो-ढाई घंटे में लखनऊ पहुंचा जा सकता है, में अंतर्राष्टीय हवाई अड्डे होते हुए आखिर यहां हवाई अड्डे की क्या जरूरत है? दूसरा बनाना भी है तो उपजाऊ जमीन पर क्यों बनाया जा रहा, कोई बंजर भूमि क्यों नहीं चुनी गई?

फिर कुछ लोगों का यह भी कहना है कि दूसरी जगहों पर सरकार हवाई अड्डों को पूंजीपतियों को सौंप चुकी है, फिर वह यहां क्यों हवाई अड्डा बनाना चाह रही है? क्या यह हवाई अड्डा भी बना कर पूंजीपतियों को ही सौंपा जाना है? यदि ऐसा है तो पूंजीपतियों को ही हवाई अड्डा बनाना चाहिए। सरकार क्यों किसानों की जमीनें लेकर उन्हें रियायती शर्तों पर एक पूंजीपति के हवाले करना चाह रही है?

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