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बीएचयू : कम अटेंडेंस पर कार्रवाई होने से ग़ुस्साए छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन

आंदोलनकारी स्टूडेंट्स का आरोप यह है कि प्रोफेसरों ने क्लास ही नहीं ली और उनकी हाज़िरी कम दिखा दी गई। अगर इम्तिहान नहीं देने दिया गया तो उनका पूरा साल बर्बाद हो जाएगा।
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काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के फैकल्टी ऑफ लॉ में शार्ट अटेंडेंस पर कार्रवाई को लेकर बड़ी तादाद में स्टूडेंट्स गुस्से में हैं। जिन स्टूडेंट्स पर एक्शन होना है, उनकी सूची शनिवार को जारी होने की उम्मीद है। इससे पहले ही यहां आंदोलन शुरू हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि लॉ फैकल्टी के सौ से अधिक स्टूडेंट्स को परीक्षा देने से रोका जा सकता है। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स का आरोप यह है कि प्रोफेसरों ने क्लास ही नहीं ली और उनकी हाजिरी कम दिखा दी गई। अगर इम्तिहान नहीं देने दिया गया तो उनका पूरा साल बर्बाद हो जाएगा।

बीएचयू के फैकल्टी ऑफ लॉ में स्टूडेंट्स लॉमबंद हैं और आंदोलन, प्रदर्शन व नारेबाजी कर रहे हैं। गुरुवार की शाम से शुरू आंदोलन के दौरान एक स्टूडेंट्स की हालत बिगड़ गई। आनन-फानन में उसे बीएचयू स्थित सर सुंदरलॉल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। बीएचयू के फैकल्टी ऑफ लॉ में पढ़ने वाले उन स्टूडेंट्स की सूची बनाई जा रही है जिनकी अटेडेंस शॉर्ट है। संभावित एक्शन से स्टूडेंट्स बेहद नाराज हैं और धरने पर बैठ गए हैं। गुरुवार की रात से ही लॉ फैकल्टी में नारेबाजी और प्रदर्शन का दौर चल रहा है।

एक्जाम देने से रोके जाने की आशंका से परेशान स्टूडेंट्स ने डीन अजय कुमार के अलॉवा प्रॉक्टोरियल बोर्ड तक से बातचीत की। कई चरणों में हुई वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकलॉ। तब शार्ट अटेंडेंस के मामले को लेकर फैकल्टी ऑफ लॉ के एलएलबी, बीए-एलएलबी और एलएलएम के स्टूडेंट्स धरने पर बैठ गए। बीच-बीच में नारेबाजी और प्रदर्शन का दौर जारी रहा। जिन स्टूडेंट्स पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है वो सभी आखिरी साल के हैं। इनका कहना है कि एक हफ्ते बाद इनकी परीक्षाएं शुरू होनी है और उन्हें इम्तिहान में नहीं बैठने दिया जाएगा।

धरना देते एलएलबी स्टूडेंट्स

फैकल्टी ऑफ लॉ में शुक्रवार को पूरे दिन आंदोलन-प्रदर्शन चलता रहा है। स्टूडेंट्स ने डीन अजय कुमार के खिलॉफ जमकर नारेबाजी की। इसी बीच पूरी रात धरना देने वाले एक स्टूडेंट की तबीयत बिगड़ गई और वह जमीन पर गिर पड़ा। इस स्टूडेंट्स को तत्काल एंबुलेंस से बीएचयू स्थित सर सुंदरलॉल अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्टूडेंट की हालत फिलहाल स्थिर है। फिलहाल फैकल्टी ऑफ लॉ के करीब दो सौ से अधिक स्टूडेंट्स धरने पर बैठे हैं। छात्रों की मांग है कि उन्हें एग्जाम में बैठने का मौका दिया जाए।

धरने पर बैठे एलएलबी स्टूडेंट मुकेश शर्मा ने ‘न्यूजक्लिक’ से कहा, "साजिश के तहत सौ से अधिक स्टूडेंट्स को परीक्षा देने से रोका जा रहा है। हाजिरी लगाने में बेईमानी की गई है। यहां पढ़ने वाले कई स्टूडेंट्स नौकरियां कर रहे हैं, फिर भी उन्हें हाजिर दिखाया गया है। फैकल्टी ऑफ लॉ में सब गोलमाल है। यहां सिर्फ उन्हीं स्टूडेंट्स की हाजिरी पूरी दिखाई गई है जो शिक्षकों की जान-पहचान के हैं। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स का अटेंडेंस खराब कर दिया गया है। कई स्टूडेंट्स तो ऐसे हैं जो लगातार क्लास करते रहे, फिर भी उनकी अटेंडेंट को शार्ट कर दिया गया है।"

मुकेश के साथ आंदोलन कर रहे दूसरे सभी स्टूडेंट्स ने कहा, "टीचर्स की गलती स्टूडेंट्स के गले मढ़ी जा रही है। कोर्स का आधा सिलेबस भी पूरा नहीं हो सका, लेकिन हाजिरी कम दिखा दी गई। योजनाबद्ध ढंग से स्टूडेंट्स का करियर बर्बाद किया जा रहा है। हम तब तक आंदोलन से नहीं हटेंगे, जब तक कि हम सभी को एक्जाम में बैठने के लिए लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जाता। एक माह पहले एलएलबी, बीए एलएलबी और एलएलएम के जिन स्टूडेंट्स का अटेंडेंस कम था उन्हें सिर्फ एक अंडरटेकिंग लेकर एक्जाम में बैठने का मौका दिया गया। दुर्भावना के चलते आखिरी सेमेस्टर के स्टूडेंट्स पर एक्शन लिया गया और सौ से अधिक स्टूडेंट्स को परीक्षा से रोका जा रहा है। इम्तिहान जल्द होने वालॉ है और हाजिरी की सूची अभी तक जारी नहीं की जा सकी है।"

धरने पर बैठे फैकल्टी ऑफ लॉ आंदोलनकारी स्टूडेंट्स का यह भी आरोप है, "यहां कई महीने तक कुछ ही दिन कक्षाएं चलीं, लेकिन शिक्षकों के चहेते स्टूडेंट्स की पूरी हाजिरी दिखा दी गई। लगातार कक्षाएं अटेंड करने वाले कई स्टूडेंट्स पर गाज गिरा दी गई और पूरे महीने की उपस्थिति से उन्हें वंचित किया गया। इस फैकल्टी में अटेंडेंस की गिनती का कोई तय फार्मूलॉ नहीं है। कक्षाएं शुरू होने के साथ ही हाजिरी लगनी चाहिए, लेकिन यहां हाल यह है कि कई-कई दिनों का अटेंडेंस एक दिन में ही लगाया जाता रहा है।"

आंदोनकारी स्टूडेंट संतोष त्रिपाठी ने ‘न्यूजक्लिक’ से कहा, "बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक  हमारी कक्षाओं के लेक्चर मानक के अनुरूप नहीं हैं। नियमित क्लास अटेंड करने वालों की हाजिरी उन स्टूडेंट्स से कैसे कम हो गई जिन्होंने एक दिन भी क्लास अटेंड नहीं किया? टीचरों ने अपनी लॉपरवाही का ठीकरा स्टूडेंट्स पर फोड़ना शुरू कर दिया है, ताकि उनका गलॉ फंसने न पाए। अब से पहले स्टूडेंट्स को भ्रमित किया जा रहा था कि पहले की तरह दूसरे सेमेस्टर के परीक्षार्थियों को अंडरटेकिंग पर एग्जाम देने की अनुमति दी जाएगी। कोविड के बाद भी प्रोफेसरों ने ढंग से कक्षाएं नहीं चलॉई, जबकि स्टूडेंट्स के लिए 70 फीसदी हाजिरी जरूरी है। सबसे शर्मनाक है डीन अजय कुमार का विहेबियर। वह शॉर्ट अटेंडेंस वाले स्टूडेंट्स को धमका रहे हैं।"

"स्टूडेंट्स के गुस्से की एक बड़ी वजह यह भी है कि डीन अजय कुमार ने लॉ पढ़ने वाली लड़कियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। बीएचयू प्रशासन का रवैया स्टूडेंट्स के अधिकार और हितों के खिलॉफ है। हम आंदोलन से पीछे हटने वाले नहीं हैं। महीने भर क्लास न करने वालों को हाजिर और क्लास में उपस्थित रहने रहने वालों को गैरहाजिर किया जाना ठीक नहीं है। बीएचयू में जो भी नियमित स्टूडेंट्स आए हैं उनकी उपस्थिति,  अनियमित आने वालों से कम है। यहां अटेंडेंस की काउंटिंग का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। आखिर यह कैसा मजाक है?"

डीन दफ्तर के बाहर प्रदर्शन

लॉ फैकल्टी में चलॉए जा रहे आंदोलन को लेकर "न्यूजक्लिक" ने डीन अजय कुमार से बातचीत की। उन्होंने कहा, "आंदोलन में वही स्टूडेंट्स शामिल हैं जो क्लास अटेंड करने में कोताही बरत रहे थे। ऐसे ही स्टूडेंट्स पर एक्शन लिया गया है जो वाकई डिफाल्टर थे। कोरोनाकाल के बाद स्थितियां सामान्य हुई तो स्टूडेंट्स को नियमित कक्षाओं में आने के लिए निर्देश जारी किए, लेकिन कइयों ने कक्षाएं अटेंड नहीं की। जब एक्शन लिया गया तो कुछ स्वार्थी तत्वों के उकसाने पर उन्होंने धरना शुरू कर दिया।"

डीन के मुताबिक, "बीएचयू के फैकल्टी ऑफ लॉ का देश में अलग ही महत्व है। यहां से पढ़ने वाले बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स देश की तमाम अदालतों में न्यायाधीश और बेहतरीन अधिवक्ता हैं। पढ़ाई के स्तर के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कक्षाओं से गायब रहने वाले स्टूडेंट्स पर एक्शन इसलिए लिया जा रहा तैकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया उनकी डिग्री और हमारे संस्थान को बोगस न साबित कर दे। भविष्य में सिर्फ वही स्टूडेंट्स परीक्षा दे सकेंगे जो नियमित रूप से क्लास करेंगे। कोविडकाल की तरह स्टूडेंट्स को छूट दी गई तो बीएचयू में शिक्षा का स्तर गिर जाएगा।"

डीन अजय कुमार यह भी कहते हैं, "हम उन स्टूडेंट्स की सूची बना रहें जो एक्जाम में बैठने के लिए एलिजबल हैं। दो परीक्षाएं हुई हैं, जिनकी सूची निकली है। कोशिश कर रहे कि शनिवार की सुबह शार्ट अटेंडेंस वालों की सूची निकाल दें। दरअसल, कुछ स्टूडेंट्स चाहते हैं कि बिना अटेंडेंट्स ही उन्हें परीक्षा में बैठने की आजादी दे दी जाए तो अब ऐसा नहीं होगा। बीएचयू की लॉ फैकल्टी में पढ़ना है तो 70 फीसदी अटेंडेंटस जरूरी होगा। चिंता तो उन्हें होनी चाहिए कि जो बगैर पढ़े डिग्री लेना चाहते हैं। बार काउंसिल आफ इंडिया ऐसे लोगों की डिग्री बोगस बना देगी और पढ़ाई किसी काम की नहीं रह जाएगी। काउंसिल ने लॉ की पढ़ाई के कई नियम और सिलेबल बना रखा है। उनके नियमों और परिनियमों का पालन होना जरूर है। उन्हें पावर है वो किसी भी संस्था का पंजीकरण रद कर दें। फिर तो डिग्री ही कोरा कागज हो जाएगी। स्टूडेंट्स को सोचना चाहिए कि अगर उन्हें अवसर मिलॉ है तो बेहतर शिक्षा लेंगे। बीएचयू में दाखिलॉ लेना ही बड़ी बात है। स्टूडेंट्स को आंदोलन करने के बजाए शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचाई छूने की कोशिश करनी चाहिए।"

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