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पूंजीपतियों को सूद पर पैसा बांटने वाले बीएचयू के पास दिहाड़ी श्रमिकों के लिए धन नहीं, मालियों ने की हड़ताल

बीएचयू प्रशासन के पास देश के पूंजीपतियों को सूद पर धन देने के लिए पैसा है और कर्मचारियों को मानदेय देने के लिए नहीं है। बीएचयू देश की ऐसी शिक्षण संस्था है जो सूद पर पैसा बांटने के लिए विधिवत विज्ञापन भी निकलाती है। 
BHU

उत्तर प्रदेश के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में दैनिक श्रमिक के रूप में माली का काम करने वाले कर्मचारियों के सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया है। इनमें कई श्रमिक ऐसे हैं जो पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से बीएचयू में काम कर रहे हैं। ये श्रमिक काम तो पूरे तीस दिन करते हैं, लेकिन मानदेय का भुगतान सिर्फ 20-25 दिनों का ही किया जाता है। कर्मचारियों को समय से वेतन देने में हीलाहवाली का खेल ऐसे संस्थान में चल रहा है जो उद्यमियों को सूद पर पैसा बांटता आ रहा है। मानदेय के भुगतान और उत्पीड़न को लेकर दैनिक वेतनभोगी माली हड़ताल पर हैं और अन्याय के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्यान विशेषज्ञ इकाई में माली के रूप में काम करने वाले श्रमिकों ने कुलसचिव से शिकायत की है कि कई महीने से मानदेय का भुगतान न किए जाने से उनका परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है। कोरोना महामारी के समय भी उनके रोजाना काम कराया गया, लेकिन मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया। पैसा खाते में भेजने के बाद यह कहकर वापस मांग लिया गया कि उन्हें माली के काम से हाथ धोना पड़ेगा। लाकडाउन के समय मारपीट की गई और प्रताड़ित किया गया। हड़ताली श्रमिकों का गुस्सा कृषि विभाग के प्रोफेसर व हार्टिकल्चर विभाग के प्रभारी प्रो.अनिल कुमार सिंह की कार्यप्रणाली को लेकर है। आरोप है कि प्रो.अनिल श्रमिकों से घर की सब्जी, दूध मंगवाने से लेकर तमाम निजी काम कराते हैं।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में उद्यान विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी माली पांच महीने से वेतन न मिलने से परेशान श्रमिकों की अगुवाई कर रहे श्रमिक रामबाबू ‘न्यूजक्लिक’ से कहते हैं कि वह साल 2011 से बीएचयू में दैनिक श्रमिक के रूप में माली का काम कर रहे हैं। उनके जैसे 75 और भी श्रमिक साथ में काम करते हैं। वह कहते हैं, "उद्यान विभाग के प्रभारी प्रो.अनिल कुमार सिंह हमसे बागवानी का काम कम, अपना निजी और अपने रिश्तेदारों का काम ज्यादा कराते हैं। चहेतों के यहां आम-अमरूद, अचार, मुरब्बा पहुंचाने जैसा मुफ्तखोरी का काम ज्यादा लिया जाता है। विश्वविद्यालय के बाहर महामनापुरी कालोनी में इनके दोमंजिला मकान में ईंट-गारा, बालू, बजरी, मिट्टी-गिट्टी की ढुलाई का काम हम जैसे मालियों से ही कराया गया। राजू, जैसल, रामसजन, रामाशंकर यादव, सुरेंद्र मौर्य, दिनेश राजभर समेत कई माली श्रमिकों के साथ प्रो.अनिल मारपीट और दुर्व्यवहार कर चुके हैं। हमारे साथ गाली-गलौज टो आम बात हो चुकी है।"

दैनिक श्रमिक रामबाबू यह भी बताते हैं कि, "प्रो.अनिल का किस्किंधापुर (गजाधरपुर) और मिर्जामुराद के पास निजी प्लाट है, जिसमें लगे पेड़ पौधे भी बीएचयू के हैं। उनके निजी प्लाट में तमाम पेड़ उन्होंने खुद ही लगाए हैं। बीएचयू की बगवानी का खाद-बीज, निजी परियोजनाओं में खपाया जाता है। हमसे काम तो सरकारी कर्मचारियों की तरह लिया जा रहा है, लेकिन न हमारा बीमा है, न ईपीएफ कटता है और न ही मेडिकल की सुविधा मिलती है। बीएचयू के दूसरे विभागों के दैनिक श्रमिकों यह सभी सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन हमारे साथ खुलेआम भेदभाव किया जाता है।"

आंदोलनकारियों में से एक हैं राहुल कुमार पटेल जो बीएचयू में छह साल से काम रहे हैं। कुछ महीने पहले प्रोजेक्ट में काम करते समय उन्हें फावड़े से चोट लग गई थी। धनाभाव में इलाज नहीं हो सका तो पैर में घातक बीमारी गैंगरीन हो गया। तीन महीने बिस्तर पर रहे। मुश्किल से जान बची। लौटकर आए तो उनसे काम लेने से मना कर दिया। महीनों से बेरोजगार हैं। राहुल बताते हैं, "प्रो.अनिल ने बीज रखने के लिए हमसे 360 बैग बनवाया था, जिसकी कीमत 7940 थी। बैग के पैसे का भुगतान हमें आज तक नहीं किया गया। अब काम पाने के लिए हम प्रो.अनिल कुमार सिंह के यहां दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। पेड़ों पर चढ़कर आम तोड़ते समय गुरुचरण के पैर और रीढ़ की हड्डी में चोट लगी तो बीएचयू प्रशासन ने उनका उपचार नहीं कराया। पैर पर खड़ा होने लायक तब हुए जब उनके इलाज पर 13,600 रुपये खर्च हुए।"

बीएचयू में माली के रूप में काम करने वाले दैनिक श्रमिकों का कोई पुरसाहाल नहीं है। इनका दर्द यह भी है कि बीएचयू हमसे काम तो माली का लेता है, लेकिन खुरपी-फावड़ा जैसा औजार भी नहीं देता। ये औजार भी श्रमिकों को अपने पैसे से खरीदने पड़ते हैं। आंदोलनकारी श्रमिकों की ओर से एक स्टांप पेपर की फोटोकापी बांटी जा रही है जिसमें प्रोफेसर इंचार्ज अनिल कुमार सिंह के नाम पर नौकरी देने के एवज में एक वरिष्ठ सहायक द्वारा अमित कुमार पटेल और गुरुचरण सिंह से तीन-तीन लाख रुपये लिए जाने का ब्योरा अंकित है। हालांकि न्यूजक्लिक उक्त स्टांप पर अंकित सूचना सही होने का दावा कतई नहीं करता।

पिछले पांच दिनों से आंदोलनरत बीएचयू के दैनिक श्रमिक राजेश कुमार, मनीष गौंड़, जय सिंह, गुरुचरण सिंह, अशुतोष कुमार सिंह, अमित पटेल, विकास कुमार सिंह, अरविंद कुमार, मोती चंद मौर्य, श्रवण कुमार आदि का आरोप है कि बीएचयू के कुछ अफसर और भ्रष्टाचार में लिप्त शिक्षक जानबूझकर उनके हितों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आंदोलित श्रमिकों का कहना है, "भष्ट अफसरों ने हमें ऐसे दोराहे पर खड़ा कर दिया है जहां से हमें भूखों मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। हमारे सामने बड़ा सवाल यह है कि हम बीएचयू का काम करें या फिर अफसरों की जी-हुजूरी? दैनिक कर्मचारियों की तैनाती में भ्रष्टाचार पर रोक और मानदेय का भुगतान शीघ्र नहीं किया जाएगा, तब तक हम काम पर नहीं लौटेंगे। बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली के साथ-साथ उद्यान प्रभारी प्रो.अनिल कुमार सिंह के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की जाए, अन्यथा हम आगे बड़ा कदम उठाने पर बाध्य होंगे।"

श्रमिकों का मांग-पत्र

कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठे मालियों ने बताया कि पिछले पांच महीने से वेतन न मिलने से उनके सामने परिवार के भरण पोषण का संकट हो गया है। इनके आंदोलन को भगत सिंह छात्र मोर्चा ने समर्थन दिया है और कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखना, इनको पूरा वेतन और सुविधाएं न देना सरकार द्वारा निजीकरण और ठेके प्रथा को बढ़ावा देने की नीति का हिस्सा है। अगर जल्द ही इनकी मांगें नहीं मानी गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। किसान नेता चौधरी राजेंद्र सिंह और छात्र नेता भुवाल यादव ने दैनिक श्रमिकों को समर्थन देते हुए कहा, "बीएचयू प्रशासन के पास देश के पूंजीपतियों को सूद पर धन देने के लिए पैसा है और कर्मचारियों को मानदेय देने के लिए नहीं है। बीएचयू देश की ऐसी शिक्षण संस्था है जो सूद पर पैसा बांटने के लिए विधिवत विज्ञापन भी निकलाती है। यहां के कुछ आला अफसर अपने फायदे के लिए महामना मालवीय के सपनों को तार-तार कर रहे हैं।" छात्र नेता भुवाल यादव ने अपने दावे पुष्ट करने के लिए सूद पर पैसा बांटे जाने के बाबत बीएचयू द्वारा जारी विज्ञापन की प्रतिलिपि भी ‘न्यूजक्लिक’ को मुहैया कराई।

सूद पर धन बांटने वाला बीएचयू का विज्ञापन

कृषि विभाग के प्रोफेसर व हार्टिकल्चर विभाग के प्रभारी प्रो.अनिल कुमार सिंह अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि उनके महकमे के कुछ लोग पद हथियाने के लिए दैनिक श्रमिकों को भड़का रहे हैं। प्रो.अनिल पर लगे आरोपों पर बीएचयू प्रशासन का पक्ष जानने के लिए पब्लिक रिलेशन आफिसर राजेश सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने न्यूजक्लिक से कहा, "श्रमिकों के मानदेय का भुगतान करने का प्रयास किया जा रहा है। कई बार बिल-वाउचर बनाने में विलंब हो जाता है। ऐसी स्थिति पहले भी आ चुकी है, लेकिन उस समय किसी श्रमिक ने विरोध नहीं किया था। इस समय हड़ताल का नेतृत्व वही कर रहे हैं जो विभाग में मुफ्तखोरी करना चाहते हैं। लगता है कि हड़ताली श्रमिक किसी साजिश के शिकार हुए हैं। उन्हें काम पर लौट आना चाहिए और अपनी समस्याओं को उच्चाधिकारियों को अवगत कराना चाहिए।"

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