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कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के सामने भाजपा का ‘कांग्रेस तोड़ो’ अभियान

एक के बाद एक कांग्रेस के विधायक और नेता पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम रहे हैं, इससे कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर तो सवाल है ही, साथ में आने वाले चुनावों में भी पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
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Image courtesy : NDTV

भले ही कांग्रेस पार्टी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के ज़रिए साउथ बेल्ट को समेटने में लगी हो, लेकिन इसका नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी शायद इस बात से अंजान है कि भारतीय जनता पार्टी उनसे थोड़ी दूर, लेकिन पीछे-पीछे ही चल रही है। कहने का मतलब ये है कि बहुत बड़ी समस्या है कि इस यात्रा के दौरान राहुल मुड़कर पीछे नहीं देख पा रहे हैं, या देखना चाहते... और इसी का फायदा उठाकर भाजपा दबे पांव कांग्रेस के विधायकों को अपने खेमे में खींच ले जाती है।

शायद कुछ ऐसा ही हुआ है, गोवा में कांग्रेस पार्टी के साथ। कांग्रेस पार्टी जहां अपने अध्यक्ष पक्ष के लिए उलझी हुई है, भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त है, तो पीछे के रास्ते उसने नाराज़ नेताओं के लिए खुले छोड़ दिए, इसी का नतीजा रहा कि कांग्रेस के 11 विधायकों में आठ विधायक अब भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

बड़ी बात ये है कि कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर काम भी शामिल हैं, और उससे भी बड़ी बात ये है कि चुनावों से पहले राहुल गांधी ने सभी उम्मीदवारों को ये शपथ दिलवाई थी कि जीतने के बाद वो पांच सालों तक टस से मस नहीं होंगे।

लेकिन कहते हैं न कि राजनीति में कुछ भी निहित नहीं होता है, यानी जिसे जिस पार्टी में ज्यादा मलाई दिखती है, वो वहीं चला जाता है। और फिर जब मौजूद वक्त भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टी के पक्ष में हो, जो वोटों से ज्यादा नोटों पर विश्वास रखती है, तब बाकियों को थोड़ा सचेत हो ही जाना चाहिए।

चुनावों से पहले राहुल गांधी के सामने शपथ का नाटक करने वाले उन नेताओं की बात जिन्होंने मौसम देखकर रंग बदल लिया है, तो उसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत के साथ माइकल लोबो, देलिला लोबो, केदार नाइक, राजेश फलदेसाई, एलेक्सो स्काइरिया, संकल्प आमोल्कर और रोडोल्फो फर्नांडिज़ शामिल हैं। साथ में आपको ये भी बताते चलें कि बाग़ी विधायकों की संख्या कुल विधायकों की दो तिहाई से ज्यादा हैं, इसलिए दलबदल कानून लागू नहीं होगा।

फिलहाल कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में पहुंच चुके माइकल लोबो की बात करना बहुत ज़रूरी है, जिससे कुछ हद तक ये ज़रूर पता चल जाएगा कि भाजपा की खोज किस तरह के नेताओं की होती है। दरअसल माइकल लोबो चुनाव से कुछ वक्त पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे, कांग्रेस हाईकमान ने इन्हें पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत से ज्यादा महत्व दिया। चुनाव हो जाने के बाद इन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बनाया लेकिन इन्होंने उसकी अदायगी कांग्रेस को छोड़कर कर दी। यहां पर इस बात का ज़िक्र करना भी ज़रूरी है कि दिगंबर पर माइकल को वरीयता देने के बाद कांग्रेस विरोध तो पहले भी झेल रही थी, लेकिन जब विधायकों ने पार्टी छोड़ी तो दिगंबर भी गए और माइकल भी। यानी दोनों ने ही कांग्रेस के साथ खेल कर दिया और कांग्रेस को कुछ पता ही नहीं चला।

ख़ैर... कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए इन सभी विधायकों को लेकर मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने ख़ुद विधानसभा पहुंचे थे और स्पीकर रमेश तावड़कर को एक चिट्ठी सौंपी थी। इसके बाद गोवा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सदानंद तनवड़े ने सभी बाग़ियों को सदस्यता दिलवाकर भाजपा में शामिल कर लिया।

कांग्रेस में इतनी बड़ी टूट के बाद खिसियाई सी कांग्रेस बार-बार भारत जोड़ो यात्रा का हवाला देती रही। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा भारत जोड़ो यात्रा से डर गई है और ऑपरेशन कीचड़ करने में जुटी है। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि भाजपा सिर्फ तोड़ सकती है, पैसे और सत्ता के दम पर लोकतांत्रिक सिद्धांतों की धज्जियां उड़ा सकती है लेकिन कांग्रेस जोड़ने का काम करती है।

जब चुनाव नज़दीक हैं, और कांग्रेस वेंटीलेटर पर पड़ी है तब पार्टी को ये स्मरण करना भी बेहद ज़रूरी है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के इतर भी पार्टी में बहुत कुछ है, बहुत राज्य हैं, जिन्हें बचाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना दूसरे राज्यों में सरकार बनाना। गोवा में कांग्रेस का टूट जाना कांग्रेस की लापरवाहियों को इसलिए और ज्यादा दिखाता है, क्योंकि पिछले दिनों ही महाराष्ट्र में सरकार गई, झारखंड में सरकार जाते-जाते बच गई, इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी आंख बंद कर राजनीति कर रही है।

क्योंकि बात गोवा की कर रहे हैं और आठ विधायकों द्वारा कांग्रेस छोड़ देने की कर रहे हैं, तो यहां से कांग्रेस की कुछ ग़लतियां भी निकलकर बाहर आती हैं।

जैसे पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत पर कुछ दिनों पहले पार्टी में शामिल हुए माइकल लोबो को वरीयता देना तो है ही, साथ ही साथ चुनाव हारने कते बाद प्रदेश अध्यक्ष गिरीश चोडनकर से इस्तीफा ले लेना जबकि प्रदेश प्रभारी दिनेश गुंडूराव पर कोई कार्रवाई नहीं करना। जबकि कुछ वरिष्ठ नेता पहले से ही गुंडूराव से नाराज़ चल रहे थे, इस नाराज़गी की हद आप इस बात से समझ सकते हैं, कि इसे हल करने के लिए पी चिदंबरम को ऑब्जर्वर बनाकर भेजा गया था।

इसके अलावा गोवा कांग्रेस में गुटबाज़ी भी एक बहुत बड़ा कारण रही, जिसका असर राष्ट्रपति चुनाव में भी देखने को मिला था, यानी राष्ट्रपति चुनाव में चार विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जिसका कारण नए प्रदेश अध्यक्ष अमित पाटकर को बताया गया था, यहां भी कांग्रेस कोई डैमेज कंट्रोल नहीं कर सकी थी।

गोवा में कांग्रेस कलह की एक बात और शायद आपको याद हो कि इसी साल जुलाई में पार्टी ने पार्टी विरोधी साज़िश में शामिल होने का आरोप लगाकर दिगंबर कामत और माइकल लोबो पर कार्रवाई की थी, और उस वक्त कांग्रेस ने टूट से बचने के लिए अपने पांच विधायकों को चेन्नई शिफ्ट कर दिया था।

कहने का अर्थ ये है कि कांग्रेस पार्टी लगातार ऐसी घटनाओं को देखती आ रही है, और लगातार नज़रअंदाज़ कर रही थी, लेकिन अब इसी नज़रअंदाज़गी की ख़ामियाज़ा उसे भुगतना पड़ा रहा है।

40 विधानसभा सीटों वाले गोवा में चुनाव के बाद भाजपा के पास कुल 20 सीटें थीं, जिसने दो सीटों पर जीत दर्ज करने वाली एमजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इसके अलावा कांग्रेस ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी, आम आदमी पार्टी ने 2, जीएफपी ने 1 और आरजीपी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी, वहीं तीन निर्दलीय विधायक भी चुने गए थे।

आपको बता दें कि साल 2019 के चुनावों के बाद भी कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। यानी कांग्रेस के लिए गोवा में ये आफत हमेशा बरकरार रहती है।

अब आने वाले वक्त में लोकसभा चुनाव होने हैं, तो कांग्रेस पार्टी का यूं टूट जाना प्रदेश की दोनों लोकसभा सीटों पर असर कर सकता है। फिलहाल की स्थिति की बात करें तो उत्तर गोवा से भाजपा के श्रीपद येस्सो नाइक और दक्षिण गोवा से कांग्रेस के कॉस्मे फ्रांसिस्को कैटानो सरदिन्हा सांसद हैं।

फिलहाल एक के बाद एक कांग्रेस के हाथ से निकलते उनके विधायक और वरिष्ठ नेताओं की संख्या बहुत ज़्यादा हो चुकी है, अगर वक्त रहते इसपर काबू नहीं पाया गया, तो कांग्रेस को एक बार फिर पांच सालों के लिए विपक्ष में ही बैठने के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि जिस तरह से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिए लोगों से संवाद कर रहे हैं, उससे कांग्रेस को बड़ी उम्मीदें होंगी।

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