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भाजपा के हैं तो क्या कोरोना और क़ानून के दायरे से बाहर हैं?

आम जनता तो अपने मुख्यमंत्री, पुलिस अधिकारी की बातों को मान गई। लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत लॉकडाउन में जलाभिषेक कर आए। इस दौरान उनके साथ राज्य के कैबिनेट मंत्री और शासन के प्रवक्ता मदन कौशिक भी थे।
हरिद्वार मंदिर में पूजा करते बंशीधर भगत
रविवार को लॉकडाउन के दौरान हरिद्वार के मंदिर में पूजा-अर्चना करते भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत

18 जुलाई को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूरे प्रदेश वासियों से हाथ जोड़कर निवेदन किया कि सोमवती अमावस्या पर हरिद्वार में गंगा स्नान करने की जगह घर पर ही मां गंगा को याद कर लें। ताकि महामारी के काल में उत्तराखंड सरकार को सहयोग कर सकें। उन्होंने ‘‘कोरोना को भगाना है और देश को जिताना है” वाला नारा भी दोहराया।

उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक अपराध और कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने भी सोमवती अमावस्या पर 19-20 जुलाई को हरिद्वार न आने की अपील की। हरिद्वार प्रशासन लगातार कह रहा है कि जो भी चोरी-छिपे हरिद्वार गंगा स्नान को आएगा उसे 14 दिनों का पेड क्वारंटीन यानी अपने खर्च पर क्वारंटीन होना होगा।

हरिद्वार में बढ़ रहा कोरोना संक्रमण का ख़तरा

शनिवार-रविवार को देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर और नैनीताल में लॉकडाउन था। हरिद्वार में 18 जुलाई को 27 कोरोना केस आए जिनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं थी। 19 जुलाई को हरिद्वार में ही 150 कोरोना पॉजिटिव केस मिले। जिसमें से 11 की कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं थी। यहां सिडकुल में हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी के 200 से अधिक कर्मचारी पिछले कुछ दिनों में कोरोना पॉजिटिव आए हैं। कई अन्य की कोरोना जांच की जा रही है। इन सभी कर्मचारियों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए हरिद्वार प्रशासन ने 58 टीमें बनायी हैं। उत्तराखंड में इस समय कोरोना पॉजिटिव केस की संख्या 4,515 पहुंच गई है। इनमें से 1311 एक्टिव केस हैं।

रविवार को लॉकडाउन में सड़क पर सामान्य आवाजाही बंद.jpg

सोमवती अमावस्या पर मंदिर बंद, स्नान स्थगित

ये परिस्थितियां हरिद्वार को कोरोना के लिए संवेदनशील बना रही थीं। हरिद्वार जिला प्रशासन ने इन हालात में फैसला लिया कि शहर में भीड़ न उमड़ने देंगे। कोरोना संक्रमण के दौर में भी शिवरात्रि पर लोग शिवालयों में जल चढ़ाने न पहुंचे इसलिए पूजा और जल चढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया गया। सभी शिव मंदिरों पर पुलिस की तैनाती भी थी। आमतौर पर इस समय लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने पहुंचते हैं।

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लॉकडाउन में जलाभिषेक कर आए प्रदेश अध्यक्ष जी

आम जनता तो अपने मुख्यमंत्री, पुलिस अधिकारी की बातों को मान गई। लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत जी ने उनकी बात नहीं सुनीं और शायद रविवार को समाचार पत्र नहीं देखा होगा कि आज लॉकडाउन है, शहर सील है, मंदिर बंद हैं। वे सीधा अपने काफिले के साथ हरिद्वार के दक्ष मंदिर पहुंच गए। महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के साथ हरिद्वार के चंडीघाट स्थित सिद्धपीठ दक्षिण काली मंदिर में रुद्राभिषेक किया। उनके साथ राज्य के कैबिनेट मंत्री और शासन के प्रवक्ता मदन कौशिक भी थे। मंत्री और अध्यक्ष को साथ-साथ देख हरिद्वार पुलिस उन्हें भला क्यों रोकती। हालांकि मंदिर के बाहर भी बंद का नोटिस चस्पा था। लेकिन मंदिर के द्वार खुले और भक्तों ने पूजा-अर्चना की।

इस मामले पर बंशीधर भगत जी न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि “बंद कहां था, वहां तो सभी लोग जा रहे थे। पूजा-पाठ किया सबने। वहां सुबह सात बजे से पूजा चल रही थी। पूजा करने के लिए आम लोग जा रहे थे ।” फिर बंशीधर जी कहते हैं कि मुझे बंद की जानकारी नहीं थी और वहां कुछ बंद सा था भी नहीं। मंदिर कमेटी के ज्यादातर लोग थे, इक्का-दुक्का आम लोग भी थे।

मीडिया में आई खबर के मुताबिक इससे पहले हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्राची भी पूजा के लिए मंदिर पहुंची थीं। जिन्हें बंद का हवाला देकर पुलिस ने लौटा दिया।

इससे पहले 13 जुलाई को उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू भी मंदिर में पूजा-अर्चना करते दिखाई दिए। जबकि दिल्ली से लौटने की वजह से उन्हें 12 जुलाई को होम क्वारंटीन रहने को कहा गया था।

आम लोगों पर केस और जुर्माना

इधर उत्तराखंड पुलिस लॉकडाउन के नियम-कायदे तोड़ने वालों पर केस दर्ज कर रही है। गाड़ियां सीज की जा रही हैं और जुर्माना वसूला जा रहा है। जिससे राज्य का खजाना भी भर रहा है। कोरोना काल में 18 जुलाई तक राज्य में कुल 4308 अभियोगों 60,812 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही अभी तक मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कुल 1,23,549 वाहनों के चालान, 11,036 वाहन सीज और 7.70 करोड़ रूपये संयोजन शुल्क वसूला गया। ये संयोजन शुल्क 17 जुलाई तक 7.55 लाख था और 16 जुलाई तक 7.42 लाख। तो राज्य की जनता को हर रोज़ 10-15 लाख रुपये तक की चपत लग रही है।

अब ये जनता-जनार्दन पर है कि वे अपने नेताओं से हिसाब मांगें कि हम नियम तोड़ें तो ज़ुर्माना दें, हमारी गाड़ियां सीज हों, हम पर मुकदमे हों और तुम ये सब करो तो....क्या हो?

कोरोना यानी कोविड-19 वायरस का रूप-रंग समझने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं। कहते हैं कि ये वायरस रूप-रंग बदलने में माहिर है। लेकिन राजनीति से ज्यादा रंग बदलने वाला वायरस कौन सा हो सकता है? हम मध्य प्रदेश या राजस्थान के राजनीतिक वायरस की बात नहीं कर रहे। उत्तराखंड में कोविड-19 वायरस की ही बात कर रहे हैं। जिसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई भाजपा-कांग्रेस का है, आम व्यक्ति है या ख़ास व्यक्ति है।

हल्द्वानी में भाजपा पदाधिकारियों पर कोरोना संकट

उधर, हल्द्वानी में भी भाजपा इकाई में खलबली मची हुई है। 70 से ज्यादा भाजपा पदाधिकारी-कार्यकर्ता क्वारंटीन हो रहे हैं। यहां सभी का कोरोना टेस्ट कराया जा रहा है। दरअसल यहां भाजपा ज़िलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट ने 10-11 जुलाई को सभी विधानसभाओं में कार्यकर्ताओं की बैठक ली थी। वे और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत इस समय हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं। प्रदीप बिष्ट बताते हैं कि वे प्रकाश रावत के संपर्क में आने से संक्रमित हुए। उस समय तक प्रकाश रावत को नहीं पता था कि वे संक्रमित हैं। प्रकाश रावत भाजपा के ही एक अन्य नेता के संपर्क में आकर संक्रमित हुए। इन दोनों के कोरोना संक्रमित होने के बाद सभी 70-78 लोगों पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। इनमें से 9 लोगों के कोरोना सैंपल के नतीजे पॉजीटिव आ चुके हैं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक कई प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी संदिग्ध रूप से बीमार हैं और सेल्फ क्वारंटीन हैं। इनकी जांच की जा रही है।

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कांग्रेस भी कहां कम है

भाजपा ही नहीं कांग्रेस में भी इस तरह की ही स्थितियां हैं। आज उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों को लेकर उत्तरकाशी में रैली निकाली। सोशल-डिस्टेन्सिंग नज़र नहीं आई और मास्क मुंह और नाक से नीचे लटके हुए थे।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना कहते हैं कि आम लोगों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन किया। विपक्ष के लोग जनता से जुड़े मुद्दों पर प्रदर्शन कर रहे हैं तो हम पर मुकदमें किये जा रहे हैं जबकि भाजपा के लोग खुद सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस समय कोरोना के स्थानीय संक्रमण का खतरा सामने दिखाई पड़ रहा है। ये सरकार की अदूरदर्शी नीतियों का नतीजा है। सीपीआई-एमएल के पदाधिकारी भी ये कह चुके हैं कि उनके विरोध-प्रदर्शन पर थाने से बुलावा आ रहा है।

फिर जनता क्या सबक सीखेगी?

मानसून का समय उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों का होता है। जब शासन-प्रशासन के लोगों की जरूरत आपदा की स्थिति में रिस्पॉन्स टाइम कम करने और जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने की होती है। लेकिन यहां राजनीतिक दल कोरोना की आपदा को सादर निमंत्रण दे रहे हैं। जब जनता अपने नेताओं को ही लापरवाही बरतते, कानून को धता बताते, सोशल डिस्टेन्सिंग जैसे नियमों का पालन न करते हुए देखती है तो क्या सबक सीखेगी

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