भाजपा ने 'राम सेतु' पर लिया यू-टर्न, कहा साक्ष्य पक्के तौर पर राम सेतु का हिस्सा नहीं
राम सेतु पर राजनीति करने वाली और इस पर मनमोहन सिंह सरकार को हिंदू विरोधी बताने वाली भाजपा सरकार ने इस विषय पर यू टर्न लिया है। भाजपा ने देशभर में मोर्चा निकालकर आरोप लगाया था कि मनमोहन सरकार सेतु को तोड़ना चाहती थी। लेकिन अब भाजपा सरकार ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा है कि "स्पेस तकनीक के ज़रिए हम चूना पत्थर के बने नन्हे द्वीप और कुछ टुकड़े खोज पाए हैं।"
राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने ‘रामसेतु’ से जुड़े सवाल पर आगे कहा कि, "इस खोज की कई सीमाएं हैं क्योंकि इसका इतिहास 18 हज़ार सालों से अधिक पुराना है और इतिहास को देखें तो ये पुल 56 किलोमीटर लंबा था। "हालांकि हम पुख्ता तौर पर यह नहीं कह सकते हैं कि ये टुकड़े सेतु का हिस्सा रहे होंगे लेकिन इनमें कुछ तरह की निरंतरता दिखती है।"
राम सेतु पर राजनीति को एक कदम आगे ले जाने के लिए भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी इसे राष्ट्रीय विरासत घोषित करने और 2007 में परियोजना पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।
यूपीए-1 के समय मनमोहन सरकार ने भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट मे ऐसा ही हलफ़नामा दिया था यह पुल एक प्राकृतिक संरचना मात्र है और इसके मानव निर्मित होने का कोई साक्ष्य नहीं है।
इस बयान से साफ हो गया है कि इस मुद्दे पर भाजपा सरकार ने मनमोहन सरकार को बदनाम करने और राम नाम पर राजनीति कर लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम किया था। सेतुसमुद्रम परियोजना से जो आर्थिक लाभ देश को मिलता वो नहीं मिल पाया, उल्टा हमें इसकी काफी भरी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी।
ग़ौर करने की बात है कि राम सेतु पर झूठ फैलाने के लिए आरएसएस और भाजपा से जुड़े संगठनों ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के नाम का भी इस्तेमाल किया गया। उन्होंने नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल कर दावा किया था कि नासा ने मानव निर्मित पुल की बात को स्वीकार किया है और यह भी माना कि यह पुल 1 करोड़ 70 लाख साल पुराना है।
हालांकि बाद में नासा के प्रवक्ता माइकल ब्राउकुस ने ऐसे दावों का झूठा क़रार दिया था और कहा था कि इन तस्वीरों के आधार पर किसी संरचना के निर्माण से संबंधित तथ्य नहीं पता किये जा सकते।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी कि "सभी भक्त जन कान खोल कर सुन लो और आँखें खोल कर देख लो। मोदी सरकार संसद में कह रही है कि राम सेतु होने का कोई प्रमाण नहीं है।"
सभी भक्त जन कान खोल कर सुन लो और आँखें खोल कर देख लो।
मोदी सरकार संसद में कह रही है कि राम सेतु होने का कोई प्रमाण नहीं है। pic.twitter.com/MjNUKTdtIK— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) December 23, 2022
रामायण के अनुसार भगवान राम ने लंका में रावण की क़ैद से अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए वानर सेना की मदद से रामसेतु का निर्माण किया था और इसके लिए पत्थर इकट्थे किए गए थे।
इसे लेकर बवाल 2005 में उस वक्त उठा जब यूपीए-1 सरकार ने 12 मीटर गहरे और 300 मीटर चौड़े सेतुसमुद्रम परियोजना को हरी झंडी दी थी जिससे तहत मन्नार की खाड़ी को पाक बे से जोड़ा जाना था लेकिन इसके लिए तथाकथित'रामसेतु' की चट्टानों को तोड़ना पड़ता।
मनमोहन सरकार ने दावा किया था कि इससे जहाज़ों के ईंधन और समय में लगभग 36 घंटे की बचत होती क्योंकि अभी जहाज़ों को श्रीलंका की परिक्रमा करके जाना होता है।
लेकिन हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया और कहा कि इस प्रोजेक्ट से 'रामसेतु' को नुक़सान पहुंचेगा।
भाजपा ने लगातार इस मुद्दे पर अपनी राजनीति रोटी सेकी। अभिषेक शर्मा द्वारा निर्देशित फिल्म 'राम सेतु', जिसमें भाजपा समर्थक अभिनेता अक्षय कुमार ने अभिनय किया है, ने इस विषय पर काफी प्रॉपगंडा किया। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मुताबिक सुपर फ्लॉप रही।
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