बुराड़ी हिंदू महापंचायत: धार्मिक उन्माद के पक्ष में और मुसलमानों के ख़िलाफ़, पत्रकारों पर भी हुआ हमला
रविवार तीन अप्रैल को एकबार फिर दिल्ली में दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों का जमावड़ा हुआ जहां एकबार फिर मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए गए। इस हिन्दू महापंचायत का आयोजन भी पिछले साल 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर धार्मिक उन्माद भड़काने के आरोपियों ने ही किया था। अगस्त में इस कार्यक्रम के बाद इसके आयोजकों पर पुलिस ने केस दर्ज़ किया था। हालांकि बाद में ये सभी बेल पर रिहा कर दिए गए थे।
ये सभी एकबार फिर रविवार को उन्ही मांगों और ध्येय को लेकर देश की राजधानी में एकत्रित हुए। इस बार भी इन्होंने देश में धर्म के नाम पर विभाजन की राजनीति को बढ़ावा दिया। एक तरीक़े से देखें तो मुसलमानों को देश का दुश्मन साबित करने की कोशिश की और हिन्दुओं को उनके सामने खड़ा करने का प्रयास किया। लेकिन इस दौरान इस कार्यक्रम को कवर करने के लिए गए कुछ मुस्लिम पत्रकारों को उनकी पहचान के आधार पर टारगेट किया गया और उनके साथ मारपीट भी की गई। जबकि पुलिस ने उन्ही पत्रकारों और उनके सयोगियों को कथित रूप से हिरासत में ले लिया।
न्यूज़लॉन्ड्री की पत्रकार शिवांगी और रौनक भट्ट पर भी भीड़ ने कथित तौर पर हमला किया।
दी क्विंट के पत्रकार मेघनाद बोस जो इस महापंचायत को कवर करने गए थे। उन्होंने ट्वीट करके जानकारी दी कि दिल्ली में "हिंदू महापंचायत कार्यक्रम में हिंदू भीड़ द्वारा दो युवा मुस्लिम पत्रकारों मीर फ़ैसल और मोहम्मद मेहरबान पर हमला किया गया। मुझे और चार अन्य पत्रकारों (सभी 4 मुस्लिम) को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया। ..."
BREAKING: Meer Faisal and Mohd Meharban, two young Muslim journalists assaulted by a Hindu mob at Hindu Mahapanchayat anti-Muslim hate speech event in New Delhi.
Me and four other journalists (all 4 Muslims) detained by the Delhi Police. In a police vehicle right now@TheQuint
— Meghnad Bose (@MeghnadBose93) April 3, 2022
मीर ने खुद भी एक ट्वीट कर इस बात की पुष्टि की और लिखा कि मुझे और मेहरबान को हिंदू भीड़ द्वारा हमारी मुस्लिम पहचान के कारण पीटा गया। दिल्ली के बुराड़ी मैदान में हिंदू महापंचायत में हमें सांप्रदायिक गालियां दी गईं। हम वहां कार्यक्रम को कवर करने गए थे। हमें जिहादी कहा गया और मुस्लिम होने के कारण हम पर हमला किया गया।
I and @mdmeharban03 were beaten up because of our muslim identity by Hindu mob. Communal slurs were shouted on me at Hindu mahapanchayat at Burari ground in New Delhi. We had gone there to cover the event. We were called jihadis and attacked for being Muslims.
— Meer Faisal (@meerfaisal01) April 3, 2022
पत्रकारों ने बताया कि उनके उपकरण ज़ब्त कर लिए गए हैं और घटना की तस्वीरें और वीडियो डिलीट कर दिए गए।
हालाँकि डीसीपी, नॉर्थ वेस्ट ने एक ट्वीट कर स्पष्ट किया कि किसी भी रिपोर्टर को हिरासत में नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि वो खुद को बचाने के लिए पुलिस वैन में बैठ गए और हमनें पत्रकारों को उचित सुरक्षा दी।
Brieffacts:Some of the reporters, willingly,on their own free will,to evade the crowd which was getting agitated by their presence,sat in PCR Van stationed at the venue and opted to proceed to Police Stn for security reasons. No one was detained.Due police protection was provided https://t.co/zl7XyDpNE9
— DCP North-West Delhi (@DCP_NorthWest) April 3, 2022
आपको बता दें इस पंचायत में वे सभी लोग मौजूद थे जो मुसलमानों के खिलाफ घृणा और वैमनस्य फैलाने के लिए जाने जाते हैं, चाहे वो सेवा फाउंडेशन के प्रीती सिंह हो या सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके या फिर लगातार मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगलने वाले डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद। नरसिंघानंद तो महिलाओं के खिलाफ भी अभद्र भाषा बोलने के आदि हैं। खैर मंच से लगभग सभी इसी तरह के वक्तओं ने अपनी बात रखी जिससे हिंदुओं में मुसलमानों के खिलाफ नफरत की भावना बढ़े।
यति नरसिंहानंद ने अपनी बात रखते हुए एकबार फिर हिंदुओं को भड़काने का प्रयास किया और कहा अगर तुम (हिन्दू भीड़) देश में हिन्दू मुसलमान एकता चाहते हो तो कश्मीर की तरह ही अपने घर-बार छोड़कर भाग जाओ और अरब सागर में डूब मरो। हमने हिन्दू को हमेशा भीख मांगते देखा है कि कभी ये कानून बना दो, कभी कुछ लेकिन कभी भी उनकी मांग पूरी नहीं हुई। ये राम जन्मभूमि भी हमे कोर्ट से मिली है।"
आगे उन्होंने दावा किया कि एक-एक मुसलमान ने कसम खाई है कि जिस दिन देश का निज़ाम हमारे हाथ में होगा उसी दिन मंदिर को तोड़ेंगे और मस्जिद बनाएँगे।
नरसिंहानंद यहीं नहीं रुके और आगे कहा, "2029 में भारत का प्रधानमंत्री मुसलमान होगा और अगर 29 में कोई बहुत बड़ी बाज़ीगिरी दिखा दी तो 34 में हो जाएगा और तब भी नही हुआ तो भगवान की कृपा तुम्हारे पर हुई तो 39 में तो पक्का ही होगा। तुम इतना ही दूर हो महाविनाश से, एकबार देश का प्रधानमंत्री मुसलमान हुआ तो 20 साल में तुम लोगों में से 50 प्रतिशत लोग अपना धर्म बदलेंगे। ये जो मुसलमान हैं ये अरब से नहीं आए ये हमारे ही भाई बंधु थे। 40% का अपना मन होगा 10% हिन्दू मुसलमानों अपनी बेटी देकर रिफ्यूजी कैंपो में रहेंगे या फिर विदेशो में रहेंगे। यही हिन्दुओं का भविष्य है और अगर इस भविष्य को बदलना है तो मर्द बनो मर्द, मर्द कौन होता है? जिसके हाथ में हथियार होता है। एक मर्द ऐसा होता है जो अपनी बहन बेटी के लिए मर मिट जाता है। एक पतिव्रता औरत जितना प्यार अपने मंगलसूत्र से करती है उतना ही प्यार एक मर्द अपने हथियार से करता है।"
इसके बाद वो ऐसे नारे लगा रहे थे जैसे कोई युद्ध के मैदान में हों। वो नारा लगा रहे थे विजय मिले या वीरगति सब महादेव के नाम, जीते जी रण छोड़कर जाना वीरों का नहीं काम!
द क्विंट से बात करते हुए डीसीपी, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली उषा रागनी का कहना है कि रविवार 3 अप्रैल को होने वाले हिंदू महापंचायत कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी गयी है।
सेवा फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रीति सिंह ने अपनी बात समान शिक्षा और यूनिफार्म सिविल कोड बिल से शुरू की लेकिन आगे बढ़ते-बढ़ते वो भी खुलकर मुसलमानों के खिलाफ बोलने लगे और एक तरीके से हिन्दुओं को भड़काने का प्रयास किया। प्रति ने जैसे ही जनसंख्या नियंत्रण कानूनों की बात की वो 'हम और वो' पर आ गए उनकी बात सुनकर कोई भी समझ सकता है वो 'हम' वहां मौजूद हिन्दुओं को कह रहे थे और 'वो' उनके लिए मुसलमान थे।
प्रीति ने कहा, "जनसंख्या नियंत्रण की समस्या ही नहीं हमें इसका परिणाम भी दिखता है। हम(हिन्दू) दस राज्यों में समाप्त हो गए ये कितनी शर्म की बात है। हमें इन दस राज्यों से सुप्रीम कोर्ट में अल्पसंख्यक दर्जे के लिए आवेदन देना पड़ रहा है। हमारे लोग कितने कायर थे वो चुपचाप अपन घर-बार छोड़ कर पलायन कर लिया और आज की नौजवान पीढ़ी इनकी पीड़ा को फिल्मो के देखकर केवल आहत हो रही है।"
इसी तरह मंच से सुरेश चव्हाणके ने भी यहाँ खुलकर संविधान और मुसलमानों के खिलाफ बोला। सुरेश ने कहा कि अब वो समानता में विश्वास नहीं करते पहले करते थे। उन्होंने कहा, "अगर मैं भारत में मुसलमानों को कुछ अधिकार देने का सोचूं भी तो उन्हें वही अधिकार दूँ जितना पाकिस्तान में हिन्दुओं को है। इससे ज़्यादा नहीं, क्योंकि बंटवारा भी तो इसी आधार पर हुआ था।"
आगे वो कहते हैं कैसी समानता? हम दो बच्चे पैदा करते हैं और उधर वे कितने करते है....... 40 (ये 40 जनता की तरफ से बोला गया) और इधर एक शादी करते हैं और उधर....4 (ये भी जनता द्वारा बोला गया था) कहाँ है समानता? मैं शिवजी को अपना पूर्वज मानू तो तुम औरंगजेब (मुसलमान) को अपना पूर्वज मानते हो। समानता हो सकती है? अगर संभा जी को मैं अपना पूर्वज मानू तो तुम उनके टुकड़े-टुकड़े करने वाले औरंगजेब को अपना पूर्वज मानते हो। समानता हो सकती?"
चव्हाणके पर अक्सर अपने चैनल पर समाज में घृणा फैलाने का आरोप लगता रहता है। वो भी इसे गर्व से स्वीकार करते हैं।
इस आयोजन में कई हिन्दू संगठन और उसके नेता शामिल थे। आयोजकों ने दावा किया कि उन्हें देशभर से 108 हिन्दू संगठनों का समर्थन है। इस पूरे आयोजन में उनकी पांच मांगें थीं - एक समान शिक्षा का अधिकार, समान नागरिक संहिता, जनसंख्या नियंत्रण, घुसपैठ नियंत्रण, धर्मांतरण नियंत्रण और मंदिर मुक्ति। आयोजकों में शामिल प्रीति सिंह कहते हैं, "भगवान श्री कृष्ण ने पांच गांव मांगे थे और हम पांच कानून मांग रहे हैं। कौरवो ने पांच गांव नहीं दिए तो महाभारत हुआ था...हमारी सरकारों को भी भगवान सद्बुद्धि दे और वो हमारी मांगे मान लें तो भला होगा।
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