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बलिया कांड: क्या बीजेपी ख़ुद अपनी फ़ज़ीहत कराने में लगी है?

बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह का मुख्य आरोपी को समर्थन करना, क्षत्रियों के पक्ष में खड़े होने की बात कर जातिवादी राजनीति की ओर इशारा करना सत्ताधारी पार्टी के लिए किरकिरी का कारण बन गया है। आला कमान विधायक के खिलाफ नाराज़गी ज़ाहिर कर डैमेज़ कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है।
Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश के एक जिले में दिन-दहाड़े आला अधिकारियों की मौजूदगी में गोलियां चलती हैं। इसमें एक शख्स की मौत होती है। कई अन्य लोग घायल हो जाते हैं। पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में मुख्य हमलावर वहां से फरार हो जाता है। इसके बाद शुरू होता है राजनीति और जातिवाद का खेल। सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के विधायक और कार्यकर्ता आरोपी के पक्ष में प्रदर्शन-समर्थन करते हैं। अपने ही जिला अध्यक्ष के खिलाफ मुर्दाबाद का नारा लगाते हैं और फिर पार्टी का आला कमान सक्रिय होता है, मामले में निष्पक्ष कार्रवाई की बात कही जाती है। पार्टी अपने ही विधायक से नाराज़गी का दिखावा करती है और फिर राज्य में बेहतर कानून व्यवस्था के दावे के साथ पार्टी अपने दामन को पाक-साफ दिखाकर जांच के नाम पर अपना पल्ला झाड़ लेती है।

ये किसी नाटक या फिल्म की कहानी नहीं बल्कि यूपी के जिला बलिया के गोलीकांड की वास्तविकता है। काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार दुर्जनपुर हत्याकांड के मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को रविवार, 18 अक्तूबर को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। हालांकि दबंग विकास दुबे की तरह ही ये गिरफ्तारी भी कम नाटकीय नहीं थी। एक ओर इस मामले को लेकर विपक्ष लगातार योगी सरकार पर हमलावार था तो वहीं सरकार की अपने ही विधायकों और कार्यकर्ताओं से फजीहत हो रही थी। कुल मिलाकर देखें तो जानकारों का कहना है कि ये गिरफ्तारी बीजेपी की मज़बूरी थी, जिसे पार्टी अपनी छवि डैमेज़ कंट्रोल करना चाहती है।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 15 अक्टूबर की दोपहर दुर्जनपुर पंचायत भवन पर कोटे की दो दुकानों के आवंटन के खुली बैठक हो रही थी। बैठक के दौरान एक पक्ष के लोगों ने अचानक गोलियां बरसानी शुरू कर दीं जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए।

हैरानी की बात ये है कि इस बैठक में एसडीएम से लेकर सीओ और बीडीओ के साथ रेवती थाने की भारी पुलिस फोर्स भी मौजूद थी। सभी आला अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद मुख्य हमलावर वहां से भाग निकला।

इसके बाद सामने आया मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह का है बीजेपी कनेक्शन। स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह ने आरोपी का बचाव करते हुए इसे ‘क्रिया की प्रतिक्रिया’ बताया। आरोपी के परिजनों के साथ थाने भी गए और दूसरे पक्ष के खिलाफ भी मुकदमा लिखने का दबाव बनवाया। बयान दिया कि यदि आरोपी पक्ष का मुकदमा दर्ज नहीं किया गया तो ‘मैं आमरण अनशन करूंगा और अपने जीवन का अंत कर दूंगा।’

फिर इस मामले में जातिवाद की एंट्री हुई। सुरेंद्र सिंह ने आरोपी को क्षत्रीय बताते हुए, क्षत्रियों के साथ खड़े रहने की बात कही। अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा कि यदि तुमको यादव प्रिय है, तो सुरेंद्र सिंह को भी क्षत्रिय प्रिय हैं। जरूरत पड़ी तो मैं राजनीति भी छोड़ सकता हूं।

सुरेंद्र सिंह से नाराज़गी डैमेज कंट्रोल की कोशिश

विपक्ष के तीखे हमलों के बीच पार्टी की लानत-मलामत के बाद डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी आला कमान सक्रिय हुआ। पहले सुरेंद्र सिंह को लखनऊ तलब किया गया और फिर दिल्ली से बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने फटकार लगाई। जांच में दखल न देने की विधायक को नसीहत दी गई।

बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अपने ही जिला अध्यक्ष के खिलाफ की नारेबाज़ी

उधर, बलिया में रविवार को ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने डाक बंगला परिसर में बैठक कर आरोप लगाया कि दुर्जनपुर कांड में सरकार एकपक्षीय कार्रवाई करवा रही है और दूसरे पक्ष की बात नहीं सुन रही है।

स्थानीय मीडिया बलिया खबर के मुताबिक वक्ताओं ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं का हाल कश्मीरी पंडितों वाला हो गया है। अपने ही सरकार में बाजेपी कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी हो रही है। इनकी पीड़ा को ना तो प्रदेश नेतृत्व सुन रहा है और ना ही शीर्ष नेतृत्व सुन रहा है।

कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू के खिलाफ मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए उन पर कई गंभीर आरोप लगाए। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अगर दो दिनों के अंदर धीरेंद्र सिंह की एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई नही की गई तो जिलाध्यक्ष का पुतला दहन किया जाएगा।

अभी तक क्या है इस मामले में अपडेट?

  • एसटीएफ ने आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार कर बलिया पुलिस को सौंप दिया है। जिसके बाद अब आरोपी की कोर्ट में पेशी होगी।
  • शनिवार, 17 अक्तबूर की सुबह ही वारदात में नामजद 75-75 हजार के इनामी संतोष यादव और अमरजीत यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
  • शुक्रवार, 16 अक्तूबर को पुलिस ने धीरेंद्र के भाई नरेंद्र प्रताप सिंह, देवेन्द्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया था।
  • अब तक आठ नामजद और करीब 25 अज्ञात आरोपियों में सिर्फ 9 की गिरफ्तारी हुई है।
  • समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घटना के शुक्रवार, 16 अक्तूबर को पीड़ित परिवार से फोन पर बातचीत की। उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया।
  • सपा का एक प्रतिनिधिमंडल भी शनिवार को पीड़ित परिवार से मिला और परिवार को न्याय दिलाने में पार्टी की ओर से मदद का आश्वासन दिया।

पुलिस का क्या कहना है?

पुलिस उप महानिरीक्षक सुभाष चंद्र दुबे ने बताया कि दुर्जनपुर में एक नहीं कई हथियारों का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि घटनास्थल के वीडियो देखने के बाद ये पता चल रहा है कि भगदड़ व मारपीट के दौरान कम से कम दस राउंड फायरिंग की गई है। इतनी फायरिंग किसी एक हथियार से नहीं की जा सकती।

सुभाष चंद्र के मुताबिक जयप्रकाश पाल को गोली रिवाल्वर से मारी गई हैं। पोस्टमार्टम के दौरान उसके शरीर में मिली चारों गोलियां रिवाल्वर की हैं। उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप के पास लाइसेंस भी रिवाल्वर का ही था। अब उसकी गिरफ्तारी हो चुकी है तो उससे पूछताछ में हथियार को लेकर भी सवाल किया जाएगा।

विधायक सुरेंद्र सिंह क्या कह रहे हैं?

बलिया के बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह पार्टी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात के बाद कहा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के सामने अपना पक्ष रखा है। उन पर घटना के आरोपियों को बचाने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। लेकिन घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जो जैसा करेगा वैसा भरेगा।

हालांकि इससे पहले विधायक महोदय दमदारी से आरोपी का बचाव कर रहे थे। आत्मरक्षा में चलाई गोली बता रहे थे। विधायक जी एक सभा में सीडीओ को छोड़कर जनपद के सभी अधिकारियों को बेईमान तक बोल गए।

अब तो सीएम भी बलिया के नाम से डरने लगे हैं!

इसी बीच सोशल मीडिया पर सूबे के मुख्यमंत्री के एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक महिला शारदीय नवरात्री पर सीएम योगी को बधाई देती हुई कहती हैं कि बलिया जिलेवासियों की तरफ से आपको शारदीय नवरात्रि की बधाई।

जवाब में सीएम योगी कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि अब तो बलिया का नाम लेने में भी हम लोगों को डर लगता है।

हालांकि इस वीडियो की सत्यता की कोई प्रमाणिकता न्यूज़क्लिक के पास नहीं है। लेकिन सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहे इस वीडियो पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं।

बलिया के विधायक और मंत्री रह चुके नारद राय ने इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री उस बलिया से डर गए जो बलिया अंग्रेजी हुकूमत को खत्म करने के लिए पूरे देश सबसे आगे खड़ा रहा।

नारद राय ने देश की आज़ादी में अहम रोल निभाने वाले बाग़ी बलिया के नायकों का ज़िक्र करते हुए कहा है कि बलिया ने लोकतंत्र की बुनियाद रखने का काम किया।

गौरतलब है कि हाल ही में बलिया में हुई कई अपराधिक घटनाएं राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खी बनी, जिससे प्रदेश सरकार के दावों की पाल खुल गई है। हाल ही में पत्रकार रत्न सिंह की हत्या का मामला हो या महिला पीसीएस मणि मंजरी की कथित आत्महत्या की खबर। क़ानून व्यवस्था के मोर्चे पर बलिया प्रशासन और योगी सरकार की काफ़ी फ़ज़ीहत हो चुकी है।

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