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बनारस: बिजली के निजीकरण के ख़िलाफ़ सीपीएम का ज़ोरदार प्रदर्शन

"भाजपा सरकार बिजली का निजीकरण करके बड़ी-बड़ी कंपनियों और पूंजीपतियों को फ़ायदा पहुंचाना चाहती है और यूपी की जनता को अंधेरे में रखकर उनकी रोज़ी-रोटी के सामने मुश्किलें खड़ी करना चाहती है।"
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के भिखारीपुर दफ्तर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (सीपीएम) ने ज़ोरदार प्रदर्शन किया। बिजली के निजीकरण के खिलाफ सीपीएम के प्रदेशव्यापी अभियान में किसान सभा, सीटू, खेत मज़दूर यूनियन और जनवादी नौजवान सभा के कार्यकर्ता शामिल हुए। बिजली दफ्तर पर प्रदर्शन के बाद एक विशाल जुलूस निकाला गया। आंदोलनकारियों ने बिजली घरों व अफसरों के दफ्तरों का घेराव किया। आंदोलन के दौरान सीपीएम कार्यकर्ता काफी देर तक नारेबाजी करते रहे।             

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव डॉ. हीरालाल यादव ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, "भाजपा सरकार बिजली का निजीकरण करके बड़ी-बड़ी कंपनियों और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है और यूपी की जनता, किसानों, मज़दूरों और गरीबों को अंधेरे में रखकर उनकी रोजी-रोटी के सामने मुश्किलें खड़ी करना चाहती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों की सिंचाई के लिए एक साल तक मुफ्त बिजली का वादा किया था, लेकिन उन्होंने वह वादा पूरा नहीं किया। मोदी और योगी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ गांव-गांव से ज़बरदस्त विरोध की आवाज़ बुलंद की जाएगी। बिजली के निजीकरण और अंधाधुंध कटौती के विरोध में सीपीएम का यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और अक्टूबर में लखनऊ में भी प्रदर्शन किया जाएगा।"

विद्युत वितरण की समस्या

सीपीएम के जिला सचिव नंदलाल पटेल ने इस प्रदर्शन के संबंध में कहा, "उत्तर प्रदेश में बिजली का उत्पादन कम हो रहा है और जनता की ज़रूरतें ज़्यादा हैं। योगी सरकार इस ज़रूरत को पूरा करने पर ध्यान नहीं दे रही है। यूपी सरकार बिजली का दाम बढ़ाकर आम जनता पर बोझ लादना चाहती है। यूपी के सभी जिले में किसानों की अलग-अलग समस्याएं हैं। बिजली बिलों और आपूर्ति से संबंधित समस्याएं अलग हैं। मनमानी कटौती और भारी-भरकम विद्युत बिलों के चलते खेती-किसानी करने वाले लोग बेहाल हैं। योगी सरकार की नीतियों के खिलाफ सीपीएम आंदोलन तेज़ करेगी।"

निजीकरण का विरोध

प्रदर्शन के दौरान सीपीएम के वरिष्ठ नेता देवाशीष, रामजी सिंह, अनिल कुमार सिंह और मोबीन अहमद ने संयुक्त रूप से कहा, "यह प्रदर्शन भाजपा की गलत नीतियों का खुलासा करने के लिए किया जा रहा है। इस आंदोलन के ज़रिये हम जनता को जागरूक करना चाहते हैं और लोगों बताना चाहते हैं कि बिजली का निजीकरण होने पर सारा ठीकरा उपभोक्ताओं के सिरों पर फोड़ा जाएगा। बीजेपी सरकार की निजीकरण की नीति दोषपूर्ण और जनविरोधी है, जिसके खिलाफ सीपीएम लगातार आंदोलन करती रहेगी।"

"सीपीएम कार्यकर्ता गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाएंगे और लोगों को बताएंगे कि बीजेपी सरकार कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए बिजली का निजीकरण कर रही है। हम समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज के लिए लड़ाई जारी रखना चाहते हैं, ताकि सभी को अधिकारों की सुरक्षा मिले। हमें उम्मीद है कि जनता की आवाज़ सुनी जाएगी और जनता को भारी-भरकम बिलों से मुक्ति मिलेगी।"

इस मौके पर इम्तियाज़ अंसारी, भोलानाथ यादव, श्यामलाल मौर्य आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रदर्शन का संचालन शिवनाथ यादव और इसकी अध्यक्षता लालमणि वर्मा ने की। आंदोलन-प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन, मुख्य अभियंता को सौंपा गया।

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