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बरौनी रिफायनरी ब्लास्ट: माले और ऐक्टू की जांच टीम का दौरा, प्रबंधन पर उठाए गंभीर सवाल

भाकपा (माले) और मज़दूर संगठन ऐक्टू की जांच टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और अपनी एक जाँच रिपोर्ट दी, जिसमें उन्होंने कहा कि 16 सितंबर को बरौनी रिफाइनरी में हुआ ब्लास्ट प्रबन्धन की आपराधिक लापरवाही का नतीजा है।
Barauni Refinery Blast

बिहार के बरौनी रिफाइनरी के तीन ब्यॉलर में से एक एवीयू-1 में 16 सितम्बर को ब्लास्ट हुआ। जिसमें कुल 19 लोग जख़्मी हो गए। इस पूरी घटना की जाँच के लिए भाकपा(माले) विधायक दल नेता महबूब आलम और ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार की दो सदस्यीय सँयुक्त जांच टीम ने 17 सितम्बर को बरौनी रिफाइनरी  पहुंचकर घटना की जांच की और मीडिया में एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें उन्होंने कई खुलासे किए और प्रशासन पर कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं।   

एवीयू-1 में 16 सितम्बर की सुबह, लगभग साढ़े दस बजे हुए ब्लास्ट में कुल 19 लोग ज़ख़्मी हुए थे, इनमें 14 ठेका मजदूर व 5 कर्मचारी थे। 

ऐक्टू ने अपने बयान में बताया कि जांच टीम सर्वप्रथम बरौनी घायल मजदूर व कर्मचारियों से बेगूसराय के निजी अस्पताल(ग्लोकल व रिफाइनरी हॉस्पिटल) में मिली। इनमें से 8 का इलाज ग्लोकल निजी अस्पताल, बेगूसराय में तथा 11 का रिफायनरी अस्पताल में  चल रहा था। जाँच टीम ने बताया कि ग्लोकल अस्पताल में इलाजरत ठेका मजदूर मो० शाहिद की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

जांच टीम के सदस्यों (माले विधायक दल नेता महबूब आलम, ऐक्टू नेता रणविजय कुमार) ने घायलों से बातचीत की, उनका कुशलक्षेम पूछा तथा उन्हें किसी भी तरह की परेशानी में मदद का भरोसा दिया।

इस रिपोर्ट में घटना की मूल वजह जो बताई गई वो इस प्रकार है-

60 वर्ष पुराने 1962 में तैयार तीन एयूवी(AUV) ब्यालर में से एयूवी 1 ब्यालर में हुआ विस्फोट, प्रबन्धन द्वारा अनेक स्तर पर बरती गई आपराधिक लापरवाही के कारण हुआ है।

-पहला कि एयूवी की गुणवत्ता की जांच गलत तरीके से की जाती है, मोबाइल से फोटो खींचकर गुणवत्ता जांच किया जाता है जबकि हकीकत है कि उसे वेल्डिंग करने पर लोहे का खराब टुकड़ा एयूवी से झरने लगता है, 

दूसरा- घटना के दिन के एक माह पहले तक रिफाइनरी बन्द थी। एयूवी को चालू कर जांचा जा रहा था। जांचने की प्रक्रिया में, मजदूरों को 50 मीटर ऊंचे व 15 फ़ीट चौड़े एयूवी (जिसमें ऊपर से चिमनी लगा रहता है) के ऊपर बगैर किसी सुरक्षा मानक का ख्याल रखे हुए, रंगाई-पुताई के लिए ऊपर चढ़ा दिया गया। और एयूवी का हीटर चालू कर दिया गया। जबकि मजदूरों को एयूवी जांच के दौरान काम पर नहीं लगाना चाहिए था। इसी दौरान एयूवी के एक हिस्से में विस्फोट हो गया। जिससे दर्जनों मज़दूर और कर्मचारी बुरी तरह घायल हो गए। इस घटना के लिए बरौनी रिफाइनरी प्रबन्धन पूरी तरह जिम्मेदार है। प्रबंधन व सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी करवाई करते हुए इस घटना की उच्चस्तरीय जांच करायी जाए। 

भविष्य में भी दुर्घटना की आशंका: रिपोर्ट

भविष्य में और बड़े विस्फोटक का खतरा बरकरार है, क्योंकि तीनों एयूवी 60 वर्ष पुराने हैं जो 1962 में तैयार हुए थे, जिसकी गुणवत्ता जांच बहुत जरूरी है, एक तरह से ये कंडम स्थिति में हैं, इसकी गुणवत्ता जांच के बगैर इसे चालू करने से भविष्य में और बड़े विस्फोट का खतरा बरकरार है। जिस तरह अधिक से अधिक मुनाफा हेतु मोदी सरकार 44 श्रम कानूनों को रद्द कर, कम्पनियों का निजीकरण कर रही है, पूंजीपतियों को बेच रही है, यह सब मजदूरों के श्रम व मजदूरी की लूट पर आधारित है। उसी तर्ज पर मुनाफे के लिए मजदूरों की जान की कीमत पर इसे चालू रखना, मजदूरों व अन्य कर्मियों की जिंदगी को पूरी तरह तबाह कर सकता है।

इसलिए जाँच दल ने तीनों एयूवी की गुणवत्ता जांच कर, इसे नया लगाया जाने या इसके नवीनीकरण की सिफारिश की है। 

जांच दल ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि घायल ठेका मजदूर अत्यंत गरीब हैं और जिला प्रसाशन उनकी सुध नहीं ले रहा है। इसलिए श्रम क़ानूनों का सख्ती से पालन किया जाए। 

जांच दल ने आगे बताया कि गनीमत है कि इस हादसे में किसी मजदूर की अब तक मौत नहीं हुई है, लेकिन इलाजरत ठेका मजदूर मो० शाहिद की स्थिति चिंताजनक है, हादसे में ऊंचाई से गिरने और अत्यधिक मात्रा में गैस पी लेने के कारण उन्हें साँस लेने में तकलीफ है तथा इनके कई अंग भी काम नहीं कर रहे हैं। साथ ही दोनों पैर व सिर में गहरी चोट है। वहीं गोपाल सिंह जो अत्यंत गरीब हैं का बायां पैर टूट गया है, लक्ष्मण पासवान को कंधा, पैर, सिर में गहरी चोट है।

जांच टीम ने पाया कि उक्त सभी अपने परिवार के कमाऊ सदस्य हैं। काम नहीं करने से इन्हें मजदूरी भी नहीं मिलेगी। जिससे इनके परिजन के समक्ष खाने-पीने का संकट पैदा हो जाएगा। जिला प्रशासन अब तक घायलों की सुध लेने नहीं पहुंचा है, साथ ही रिफायनरी में बहुतायत ठेका मजदूरों के श्रम अधिकारों का हनन हो रहा है। जिसमें उन्हें मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा खासकर ईएसआई व ईपीएफ का लाभ मिले व श्रम कानूनों का सख्ती से पालन हो।

जांच टीम की मांग व घोषणा इस प्रकार है-

1. सभी घायल ठेका मजदूर जो अत्यंत गरीब हैं को भरण पोषण हेतु तत्काल 2 लाख रुपए तथा मुआवजा प्रति मजदूर 5 लाख रुपया दिया जाए।

2. गंभीर रूप से घायल व चिंताजनक स्थिति में पड़े ठेका मजदूर मो० शाहिद सहित अन्य इलाजरत मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए अच्छी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जाए।

3. घटना की आपराधिक लापरवाही के जिम्मेदार बरौनी रिफाइनरी प्रबंधक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई व उच्चस्तरीय जांच की जाए। तथा 60 वर्ष पुराने एयूवी से काम लेने पर और भी बड़े हादसा का खतरा बरकरार है इसलिए तीनों एयूवी की गुणवत्ता जांच कर नवीनीकरण किया जाए।

4. जिला प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सभी घायल ठेका मज़दूरों के परिवार को मुआवजा तथा 6 माह का मुफ्त राशन उपलब्ध कराए व रिफाइनरी में सख्ती से श्रम कानूनों के पालन, ईएसआइ- ईपीएफ लाभ की गारंटी करे।

5. माले इस मामले को बिहार विधानसभा मे उठाएगा तथा 27 सितम्बर को मजदूर-किसानों के आहूत भारत बन्द को मुद्दा बनाएगा।

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