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गुजरात के मोरबी पुल को जानबूझकर गिराए जाने का निराधार दावा किया गया

30 अक्टूबर को जब देश भर में लोग छठ पर्व मना रहे थे, तभी गुजरात में एक पुल गिरने की खबर आई. मोरबी ज़िले में माचू नदी पर स्थित 230 मीटर लंबे हैंगिंग पुल के गिरने से करीब 141 लोगों की मौत हो गई और कई लोग लापता हो गए.
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30 अक्टूबर को जब देश भर में लोग छठ पर्व मना रहे थे, तभी गुजरात में एक पुल गिरने की खबर आई. मोरबी ज़िले में माचू नदी पर स्थित 230 मीटर लंबे हैंगिंग पुल के गिरने से करीब 141 लोगों की मौत हो गई और कई लोग लापता हो गए. ये घटना ऐसे समय में हुई है जब गुजरात में एक महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक, पुल गिरने के मामले में नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया जिनमें ओरेवा ग्रुप के दो प्रबंधक, दो टिकट क्लर्क, दो ठेकेदार और तीन सुरक्षा गार्ड शामिल हैं. ओरेवा ग्रुप को सदियों पुराने इस पुल के रखरखाव का ठेका दिया गया था.

कई न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस घटना से जोड़कर कुछ वीडियो क्लिप्स शेयर किये. वीडियो में पुल पर मौजूद लोगों को लापरवाही से पुल हिलाते हुए देखा जा सकता है. दावा किया गया कि ये सभी वीडियो हाल की घटना के हैं. और लोगों के लापरवाही को पुल के गिरने का कारण बताया गया. कुछ ने तो पीड़ितों को ही दुर्घटना के लिए ज़िम्मेदार ठहराया, और यहां तक ​ये भी कहा जाने लगा कि ये घटना किसी साजिश के तहत हुई है. ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि सालों से मोरबी पुल पर जाने वाले लोगों के लिए उस पर खड़े होकर उसे हिलाना एक आम बात थी. और ऐसे वीडियोज़ का होना ये मानने के लिए पर्याप्त है कि प्रशासन इस बात से अच्छी तरह वाकिफ़ था.

फ़िल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने पुल के गिरने के CCTV फ़ुटेज को क्लिप करके ट्वीट करते हुए लिखा, “इसमें कोई शक नहीं है कि #MorbiBridgeCollapse एक नियोजित साजिश के रूप में #UrbanNaxals द्वारा की गई तोड़फोड़ है. वे स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों, रेल पटरियों और पुलों को तोड़ कर रहे हैं.” (आर्काइव लिंक)

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कई भाजपा समर्थक सोशल मीडिया यूज़र्स ने पुल गिरने को एक साजिश बताया. इनमें मेजर सुरेंद्र पूनिया (रिटायर्ड) (एक लाख से ज़्यादा बार देखा गया), फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनूप वर्मा (रिटायर्ड), सुशील केडिया (2,500 से ज़्यादा रीट्वीट), @Saffron_Sn शामिल हैं. इनमें से ज़्यादातर ने इस बात की ओर इशारा किया कि अलग-अलग वीडियो क्लिप्स में लोगों को जोर-जोर से पुल को हिलाते हुए देखा गया है. गौरतलब है कि सुरेंद्र पूनिया और अनूप वर्मा ने पहले भी सोशल मीडिया पर ग़लत सूचनाएं शेयर की हैं.

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रिपब्लिक भारत ने रात 10 बजकर 12 मिनट पर अपने प्रसारण का एक वीडियो फ़ेसबुक पर शेयर किया. वीडियो में इस तबाही से कुछ देर पहले भीड़भाड़ वाले पुल की क्लिप ‘एक्सक्लूज़िव’ फ़ुटेज के रूप में कई बार चलाया गया था. वायरल हो रहे इस क्लिप में भीड़ की ओर एरो से इशारा करते हुए देखा जा सकता है. रिपोर्ट में बताया गया कि ये लोग पुल को जोर-जोर से हिला रहे हैं, और कुछ लोग तो पुल के केबल्स को लात मारते भी नज़र आ रहे हैं.

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ज़ी न्यूज़ इंग्लिश ने भी फ़ेसबुक पर अपने प्रसारण का एक वीडियो शेयर किया. चैनल ने इस त्रासदी के बाद के फ़ुटेज और भीड़भाड़ वाले पुल के फ़ुटेज को साथ-साथ प्रसारित किया. यहां भी आपदा से कुछ देर पहले पुल के ‘एक्सक्लूज़िव’ फ़ुटेज के रूप में वो क्लिप प्रसारित किया गया था.

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NDTV ने भी फ़ेसबुक पर अपना प्रसारण शेयर किया. पहले के दोनों चैनलों से अलग, NDTV ने दावा किया कि वायरल क्लिप को पुल गिरने के 24 घंटे पहले लिया गया था. दिलचस्प बात ये है कि तीनों चैनलों ने एक ही फ़ुटेज प्रसारित किया जिसमें एक एरो से भीड़ भरे पुल पर लोगों की ओर इशारा किया गया था.

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ABP न्यूज़ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पुल पर भीड़ बढ़ रही थी और लोग इसे हिलाने लगे थे. (आर्काइव लिंक) भाजपा कार्यकर्ता प्रीति गांधी ने भी रविवार देर शाम यही क्लिप शेयर की. उन्होंने इस घटना की गहन जांच की मांग की. (आर्काइव)

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ऐसे और लोग भी हैं जो पीड़ित और दोषी की पहचान करने में सामने आए. एक यूज़र ने वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के एक ट्वीट पर रिप्लाई देते हुए लिखा, “… भीड़भाड़ के लिए लोगों को ही दोषी ठहराया जाना चाहिए.” उनकी चिंता ये थी कि इस तरह की दुर्घटनाएं होने पर सरकार की आलोचना करने के लिए विपक्ष का रास्ता साफ़ होता है. एक मार्केट रिसर्च फ़र्म के संस्थापक सुशील केडिया ने अपने ट्वीट में अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा. ऐसा लगता है कि ट्वीट में पीड़ितों पर ही दुर्घटना की ज़िम्मेदारी डाल दी गई.

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पुल को पहले भी हिलाया जाता था

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि गुजरात टूरिज्म की ऑफ़िशियल वेबसाइट की लिस्ट में मोरबी के हैंगिंग ब्रिज को भी रखा गया है. स्थानीय रूप से ये ‘झुलतो पुल’ के रूप में जाना जाता है. फ़िल्म फ़ैसिलिटेशन ऑफ़िस इंडिया की लिस्ट में भी इसका नाम मौजूद है. इससे पता चलता है कि गुजरात सरकार और केंद्र सरकार पुल को पर्यटकों के लिए आकर्षक स्थल के रूप में मान्यता देती है.

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इस त्रासदी का 30 सेकंड का एक CCTV फ़ुटेज है जिसमें देखा जा सकता है कि लोग पुल को जोर-जोर से हिला रहे थे. जैसा कि कई मीडिया आउटलेट्स और बीजेपी समर्थक सोशल मीडिया हैंडल ने पुल को लापरवाही से हिला रहे लोगों की एक क्लिप को हाईलाइट किया था.

#Watch | Rescue operations underway at the #MorbiBridgeCollapse site in Gujarat. On Monday, the death toll in the incident rose to 133, official sources said.

📹 @nirmalharindran

Live Updates: https://t.co/yxhdG5ZFhX pic.twitter.com/4CpcZQdsaH

— The Indian Express (@IndianExpress) October 31, 2022

ऑल्ट न्यूज़ को सोशल मीडिया पर और भी कई क्लिप मिले जिससे ये साबित होता है कि लोगों के लिए पुल को हिलाना एक आम बात है. इनमें से कई वीडियोज़ इस त्रासदी की ख़बर सामने आने के बाद डिलीट कर दिए गए. लेकिन कुछ ऐसे वीडियोज़ अभी भी मौजूद हैं, इन्हें नीचे देखा जा सकता है:

  • दिसंबर 2018: पुल को हिलाते हुए लोगों का क्लोज-अप
  • जनवरी, 2021: टूरिस्ट स्थल के बारे में डिटेल ब्लॉग. इस क्लिप में भी लापरवाही से पुल को हिलाते हुए दिखाया गया है.
  • नवंबर 2021: इसमें 1 मिनट 40 सेकेंड के आसपास लोगों को पुल पर चलते हुए देखा जा सकता है.
  • मार्च 2022: इसमें 4 मिनट के बाद पूरे पुल पर लोगों को चलते हुए देखा जा सकता है.

नीचे आप इन सभी वीडियोज़ का संकलन देख सकते हैं जहां लोग हैंगिंग ब्रिज को हिला रहे हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने जनवरी 2021 के एक ब्लॉग का विश्लेषण किया जिसमें टिकट की कीमतों से लेकर इस बारे में जानकारी दी गई है कि छुट्टियों में भीड़-भाड़ वाली पुल पर जाना कितना सुरक्षित है. घटना की संवेदनशीलता ध्यान में रखते हुए हमने वीडियो के ब्लॉगर की पहचान को सुरक्षित रखने के उपाय किए हैं.

2021 के ब्लॉग में ब्लॉगर का अनुमान है कि उस वक्त लगभग 300-400 लोग पुल पर जा रहे थे. उन्होंने लोगों को लापरवाही से पुल को हिलाते हुए वाइड-ऐंगल से दिखाया है. जैसे ही वो पुल के पास पहुंचते हैं, वो दर्शकों को बताते हैं कि जो लोग परिवार के साथ जाना चाहते हैं, उन्हें त्योहारों और छुट्टियों के दौरान इससे बचना चाहिए. 21 से 35-सेकंड तक पर्यटकों को लापरवाही से पुल को हिलाते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में एक पॉइंट पर ब्लॉगर ने कहा कि उसे इस बात की चिंता है कि उसका फ़ोन गिर सकता है और उसे ‘डर लग रहा है.’

इस तरह, कई वीडियो ऐसे हैं जिनसे ये साबित होता है कि पर्यटकों के लिए पुल पर खड़े होकर लापरवाही से इसे हिलाना काफी समय से चलता आ रहा है. हालांकि, प्रशासन ने इसे रोकने के लिए प्रभावी उपाय नहीं किए. यानी, सालों से पुल हिलाने प्रैक्टिस को एक साजिश बताते हुए एक नए रेनोवटेड पुल के गिरने की वजह बता देना भ्रामक है.

ब्लॉगर का ये भी कहना है कि पुल के लिए एंट्री टिकट है. ऑल्ट न्यूज़ ने गुजरात के पत्रकार रॉक्सी गगडेकर छारा से बात की. मोरबी आपदा पर ग्राउंड रिपोर्ट करने वाले इस पत्रकार ने बताया, “मेरी रिपोर्ट के आधार पर ऐसा लगता है कि सभी ने टिकट खरीदा था.” मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस वक्त पुल गिरा, उस वक्त लगभग 500 लोग उस पर मौजूद थे. (NDTVजी न्यूज और हिंदुस्तान टाइम्स)

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पुल के कामकाज की निगरानी कौन करता है?

फ़र्स्टपोस्ट ने रिपोर्ट किया, “हैंगिंग ब्रिज का उद्घाटन पहली बार 20 फ़रवरी 1879 को तत्कालीन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था. सारा मेटेरियल इंग्लैंड से आया था और उस समय पुल के निर्माण में 3.5 लाख रुपये खर्च हुए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2001 के भूकंप के दौरान इसे ‘गंभीर नुकसान’ हुआ था.

मार्च 2022 में मोरबी नगर पालिका ने 2 करोड़ रुपये की लागत से रेनोवेशन करने के लिए पुल को बंद कर दिया था. 15 साल तक संचालन और रखरखाव के लिए वॉल क्लॉक, ई-बाइक और LED लाइट बनाने में माहिर ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफ़ैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड) को ठेका दिया गया था. फ़र्स्टपोस्ट की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि छह महीने के रेनोवेशन के बाद, 26 अक्टूबर को घटना के पांच दिन पहले इसे फिर से खोल दिया गया. द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया कि ओरेवा ग्रुप 2008 से पुल के रखरखाव की ज़िम्मेदारी संभाल रहा था.

26 अक्टूबर को ओरेवा ग्रुप के MD जयसुख पटेल ने एक संवाददाता सम्मेलन में पुल के उद्घाटन के बाद मीडिया से कहा, “… जिस तरह से इस पुल को बनाया गया है… हमारे मुताबिक, अगला रेनोवेशन अब से लगभग आठ से 10 साल बाद होना चाहिए… तब तक [पुल के लिए] कुछ भी नहीं होना चाहिए.”

ऑल्ट न्यूज़ को NDTV कीपत्रकार तनुश्री पांडे के माध्यम से अजंता मैन्युफ़ैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड और स्वीकृत निकाय मोरबी नगर पालिका के बीच हुए कॉन्ट्रैक्ट की कॉपी मिली. इस कॉन्ट्रैक्ट के अंतिम पॉइंट के मुताबिक, “समझौते की अवधि के दौरान, सस्पेंशन पुल का रेवेन्यू और एक्सपेंडीचर अजंता मैन्युफ़ैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) का हिस्सा होगा और प्रशासनिक कार्यों जैसे कर्मचारियों की नियुक्ति सफाई, टिकट बुकिंग, रखरखाव, कलेक्शन, एक्सपेंस एकाउंट्स आदि अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) द्वारा किए जायेंगे साथ ही उन मामलों का ध्यान रखेंगे जिनमें सरकार, गैर-सरकारी, नगर परिषद या कोई अन्य एजेंसियों का हस्तक्षेप शामिल नहीं होगा.” इस हिस्से को नीचे लाल रंग में हाइलाइट किया गया है.

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2020 में ट्विटर हैंडल ‘मोरबी टुडे’ ने एक आर्टिकल ट्वीट किया (आर्काइव्ड लिंक). इसमें लिखा था कि कैसे पर्यटकों को झूलने वाले पुल पर जाने से पहले ‘दुर्घटना सहमति’ पर साईन करने की जरूरत होती है. अभी आर्टिकल का स्टेटस डिलिटेड दिखा रहा है. हालांकि, ट्वीट में फ़ॉर्म की तस्वीर शामिल है. ऑल्ट न्यूज़ ने नीचे फ़ॉर्म का ट्रांसलेटेड वर्जन दिया है. इसके मुताबिक, सरकार पुल से जुड़े जोखिमों से बहुत अच्छी तरह वाकिफ थी.

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दुर्घटना के बाद, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह ज़ाला के हवाले से बताया गया, “पुल मोरबी नगरपालिका की संपत्ति है, लेकिन कुछ महीने पहले हमने इसे रखरखाव और संचालन के लिए 15 साल की अवधि के लिए ओरेवा समूह को सौंप दिया था. हालांकि, निजी फ़र्म ने हमें बताए बिना पुल को पर्यटकों के लिए खोल दिया, और इसलिए हम पुल का सुरक्षा ऑडिट नहीं करवा सके. उन्होंने कहा, “रेनोवेशन कार्य पूरा होने के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था. लेकिन स्थानीय नगरपालिका ने रेनोवेशन के बाद कोई फ़िटनेस सर्टिफ़िकेट जारी नहीं किया था.”

ये साफ नहीं है कि फ़िटनेस सर्टिफ़िकेट जारी नहीं किए जाने पर 26 अक्टूबर को पुल को जनता के लिए कैसे खोलने दिया गया. पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि आज तक बुलेटिन (नीचे स्क्रीनशॉट) में एक बोर्ड देखा जा सकता है जिसमें पर्यटकों को भीड़भाड़ और पुल पर सेल्फी नहीं लेने की चेतावनी दी गई है. हालांकि, ये साफ है कि सिर्फ चेतावनी लोगों को बहुत बड़ी संख्या में पुल पर इकट्ठा होने से नहीं रोक सका.

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कुल मिलाकर, मोरबी के पुल गिरने से 140 लोगों की मौत के बाद कई मीडिया आउटलेट्स ने दुर्घटना के संभावित कारण के रूप में पुल को हिलाते हुए लोगों की क्लिप प्रसारित की. दर्शकों को ये नहीं बताया गया कि लंबे समय से ये एक आम बात थी. हालांकि, ये ध्यान रखना ज़रूरी है कि स्थानीय नगरपालिका ने हाल ही में पुल के रेनोवेशन के बाद फिटनेस सर्टिफ़िकेट जारी नहीं की थी.

इसके अलावा, कई भाजपा समर्थक सोशल मीडिया यूज़र्स ने पुल पर भीड़भाड़ और लापरवाही व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए सरकार और पुल के रखरखाव के लिए सौंपी गई फ़र्म की जवाबदेही को छिपाने के प्रयास में पुल को हिलाने वाले लोगों के असंबंधित क्लिप शेयर किए हैं. यहां तक कि आरोप लगाया गया कि किसी साजिश के कारण पुल गिर गया.

साभार : ऑल्ट न्यूज़ 

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