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बेंजामिन नेतन्याहू बहुमत पाने में फिर विफल, इज़रायल में गतिरोध जारी

दो साल में चौथी बार हुए चुनाव के बावजूद आज घोषित परिणामों में कोई भी पार्टी या गठबंधन 120 सदस्यीय इजरायली संसद केसेट में 61 सीटों के बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई है। चुनाव मंगलवार 23 मार्च को हुआ था।
बेंजामिन नेतन्याहू बहुमत पाने में फिर विफल, इज़रायल में गतिरोध जारी

पिछले दो वर्षों के भीतर इजरायल के चौथे संसदीय चुनावों में सभी वोटों की गिनती के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अगुवाई वाली अति दक्षिणपंथी पार्टियों का गठबंधन बहुमत हासिल करने में एक बार फिर विफल रही है। जिन दलों ने नेतन्याहू को अपना समर्थन देने का वादा किया है उन्हें 120 सदस्य वाले केसेट में 52 सीटें मिली हैं। बहुमत के लिए 61 सीटों की आवश्यकता होती है।

नेतन्याहू समर्थक समूह लिकुड मार्च 2020 में हुए पिछले चुनावों की तुलना में 6 सीटें हार गई इसके बावजूद 30 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। इसके पारंपरिक सहयोगियों, शास (9), यूनाइटेड टोरा ज्यूडइज्म (7) और रीलिजियस जियोनिज्म (6) के साथ इस गठबंधन की 52 सीटें हैं।

विपक्षी खेमे में वे दल शामिल हैं जिसने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे नेतन्याहू के सहयोगी नहीं रहेंगे। इस खेमे की 57 सीटें हैं। पूर्ववर्ती यूनाइटेड सरकार में नेतन्याहू की सहयोगी रही पार्टियों की 38 सीटें हैं जो विपक्षी खेमे अन्य बड़ी पार्टियां बन कर उभरी हैं। इन सहयोगियों में बेन्नी गांट्ज की ब्लू एंड व्हाइट (8), एविग्डर लीबरमेन के नेतृत्व वाली इस्रायल बेतेनू (7), तत्कालीन लिकुड सदस्य जिसने गत दिसंबर में नेतन्याहू के नेतृत्व को लेकर इससे गठबंधन तोड़ लिया था वह गिडियोन सार के नेतृत्व वाली न्यू होप (6) हैं।

नेतन्याहू विरोधी में नए नेता मेरव मिकाइली के नेतृत्व में सेंटर लेफ्ट और लेफ्ट ब्लॉक, लेबर ने ने अपनी 7 सीटों का इजाफा किया, लेफ्ट-विंग मेरेट्ज को 6 सीटें मिली और अरब ज्वाइंट लिस्ट को 6 सीटें मिलीं। पिछले चुनाव में, Ra’am (राजनीतिक दल) के साथ साथ मेरेट्ज़ अरब ज्वाइंट लिस्ट का हिस्सा था और इसकी 16 सीटें थीं।

पिछले चुनाव में अरब ज्वाइंट लिस्ट के एक घटक Ra’am ने 23 मार्च को अकेले चुनाव लड़ा और 4 सीटें हासिल कीं, और नेफ्टली बेनेट (7) की अगुवाई वाली यामिना ने नेतन्याहू के साथ गठबंधन से न तो इनकार किया है और न ही गठबंधन किया है और इस तरह संतुलन बनाए रखा। लिकुड के पारंपरिक दक्षिणपंथी सहयोगियों में इस्लामवादियों के प्रति शत्रुता को देखते हुए ऐसी बहुत कम संभावना है कि Ra’am नेतन्याहू के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा होगा। इससे सरकार के गठन की संभावना और भी कठिन हो जाती है।

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