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यूपी में पश्चिम से पूरब तक रही भारत बंद की धमक, नज़रबंद किए गए किसान नेता

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल में किसानों का आंदोलन-प्रदर्शन और चक्काजाम सुर्खियों में है। राज्य के कई इलाकों में बंद का खासा असर नज़र आया। सड़कों पर सन्नाटे के बीच किसानों का गुस्सा दिखा। बड़ी संख्या में किसान नेताओं को गिरफ्तार किया गया तो पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं।
Bharat Bandh

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दस महीने से जारी किसानों के आंदोलन ने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की नींद उड़ा दी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल में किसानों का प्रदर्शन सुर्खियों में है। राज्य के कई इलाकों में बंद का खासा असर दिखा। सड़कों पर पसरे सन्नाटा के बीच किसानों का गुस्सा यह बता रहा था कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए बगैर रोष अब थमने वाला नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद को 11 राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया था। राजधानी लखनऊ में पुलिस ने कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के बहाने पुलिस ने किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी को हिरासत में ले लिया। वाराणसी में भारत बंद के दौरान किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले करीब 100 से अधिक लोगों को नजरबंद कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की जबरदस्त किलेबंदी के बावजूद प्रदेश भर में किसान सड़कों पर उतरे और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। वाराणसी में कलेक्ट्रेट परिसर पुलिस छावनी बना रहा। गुरुधाम स्थित प्रधानमंत्री का संसदीय कार्यालय कड़ी सुरक्षा घेरे में रहा। कचहरी स्थित आंबेडकर चौराहा, बीएचयू गेट और शहर के अन्य प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी के जवान तैनात थे। राजातालाब, सेवापुरी, बड़ागांव, चोलापुर, चौबेपुर समेत सभी ग्रामीण इलाकों में बंद का खासा असर रहा। बेलवां सब्जी मंडी पूरी तरह बंद रही। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कोर्रा सब्जी मंडी भी बंद रही। किसानों ने बाहों पर काली पट्टी बांधकर नए कृषि कानून का विरोध जताया।

वाराणसी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के गेट पर मौजूद भारी पुलिस फोर्स की सख्ती के बावजूद किसान समर्थक पहुंचे। नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं और पुलिस अफसरों के बीच झड़पें हुईं। यहां किसान नेता राजेंद्र चौधरी की अगुवाई में डॉ. प्रतिमा गोंड, मुनीजा खान, कुसुम वर्मा, रामजन्म यादव, लक्ष्मण मौर्य, डा.आनंद यादव, ललित मौर्य, अफलातून ने योगी सरकार की दमनकारी नीतियों की जमकर आलोचना की।

हाउस अरेस्ट किए गए किसान नेता

पूर्वांचल किसान यूनियन के अध्यक्ष योगीराज सिंह पटेल और मनरेगा यूनियन के सुरेश सिंह राठौर को सोमवार सुबह की सुबह ही हाउस अरेस्ट कर लिया गया। वाराणसी के सिंधोरा बाजार में सोमवार की सुबह भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष लक्षमण मौर्य के घर पर पुलिस ने पहरा डाल दिया। इन्हें घर से निकलने ही नहीं दिया गया। किसान सभा के श्यामलाल मौर्य को भी उनके घर में नजरबंद रखा गया। शिवशंकर शास्त्री, रामजी सिंह, लालजी वर्मा, अमरनाथ समेत कई लोगों को सिंधोरा पुलिस चौकी में बैठाए रखा गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली सपा नेत्री शालिनी यादव के साथ सुजीत यादव लक्कड़, पूर्व सांसद तूफानी सरोज, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल, सुभासपा के विधायक कैलाश सोनकर आदि नेताओं को रैली और जुलूस निकालने से रोक दिया गया। बाद में पुलिस की निगरानी में उनके घर भिजवाया गया।

वाराणसी के पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल ने पुलिस की मनमानी का कड़ा विरोध करते हुए कहा, ''किसानों पर जुल्म बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। योगी सरकार के इशारे पर पुलिस उन लोगों पर जुल्म का पहाड़ तोड़ रही है जो शांतिपूर्वक किसानों आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने जुल्म और ज्यादती के मामले में आपातकाल को भी पीछे छोड़ दिया है। किसानों का दमन करने वाले बताएं कि आम आदमी कैसे जिए? भाजपा सरकार को महंगाई, बेरोजगारी, तानाशाही और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के लिए सदैव जनता याद रखेगी।''

चंदौली में प्रतिरोध मार्च

वाराणसी के पड़ोसी जनपद चंदौली के चकिया नगर पंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रतिरोध में मार्च निकाला। अखिल भारतीय किसान सभा, मजदूर किसान मंच, किसान विकास मंच, किसान महासभा, उत्तर प्रदेश किसान सभा ने सड़क पर उतर कर मोदी-योगी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यहां अखिल भारतीय किसान सभा से जुड़े राम अचल यादव,  अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष परमानन्द कुशवाहा, लालचंद यादव,  किसान महासभा के शिवनारायण बिन्दु, जनवादी महिला समिति की लालमनी  विश्वकर्मा, सीआईटीयू के राम प्यारे, खेत मजदूर यूनियन के शिवमूरत  राम, भाकपा माले के अनिल पासवान, किसान विकास मंच राम अवध सिंह समेत तमाम किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

बाद में किसानों की पंचायत में मजदूर किसान मंच प्रभारी अजय राय ने कहा, ''कारपोरेटरों की हमदर्द बनी सरकार किसानों को बर्बाद करना चाहती है। मोदी  सरकार के खिलाफ किसानों को रोष थमने वाला नहीं है। यूपी में योगी सरकार आंदोलित किसानों और नौजवानों पर जिस बहशियाना ढंग से हमलावर है, उससे अन्नदाता गुस्से में हैं।''

प्रयागराज में रोकी बुंदेलखंड एक्सप्रेस

प्रयागराज में किसानों के समर्थन में विपक्षी दलों ने जमकर प्रदर्शन किया। किसान आंदोलन के सर्मथकों ने प्रयागराज स्टेशन के आउटर पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस ट्रेन को रोक दिया। ग्वालियर से बनारस के मडुवाडीह जाने वाली ट्रेन को भी बीच रास्ते में रोक दिया गया। यहां सपा कार्यकर्ताओं ने ट्रेन के इंजन पर चढ़कर प्रदर्शन किया और तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की। यहां भी पुलिस और किसान आंदोलन के समर्थकों के बीच तीखी झड़पें हुईं।

गाजीपुर में किसान नेताओं को सुबह ही हिरासत में ले लिया गया, जिसके चलते यहां किसानों की पुलिस से झड़पें हुईं। बाद में किसानों को बसों में भरकर पुलिसलाइन भेजा गया। बलिया, मऊ, जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, बस्ती आदि जनपदों में भारतबंद के दौरान किसान आंदोलनकारियों की पुलिस से तीखी झड़पें हुईं। इन जनपदों में सैकड़ों किसान नेताओं को सोमवार की सुबह ही उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया था। योगी सरकार की पुलिस रविवार की शाम से ही किसानों के भारतबंद को असफल करने की मुहिम में जुट गई थी।

रायबरेली में किसानों ने विकास भवन पर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। बरेली के दामोदर स्वरूप पार्क में पुलिस को गच्चा देकर पहुंचे किसानों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने रविवार की शाम को ही दामोदर पार्क के चारों तरफ फ़ोर्स लगा दी गई थी। शाहजहांपुर में पीडब्ल्यूडी डाक बंगले के पास किसान यूनियन ने सड़क जाम की और जुलूस निकाला। बाराबंकी में भी किसान संगठनों ने आंदोलन-प्रदर्शन कर राष्ट्पति को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इस दौरान दर्जनों भाकियू कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।

सीतापुर हरगांव,  महोली,  अटरिया, मिश्रिख, महमूदाबाद आदि कस्बों में पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी थी।  हाईवे पर आने-जाने वाले वाहनों की चेकिंग के साथ पैदल आने-जाने वाले लोगों से पूछताछ की जा रही थी।

देवरिया में किसानों ने भारत बंद के दौरान कलेक्ट्रेट सहित कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। बाद में शांतिपूर्ण तरीके से मार्च भी निकाला। यहां आंदोलन-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में जुटे लोगों से पुलिस की तीखी तकरार भी हुईं। 

पीलीभीत के कई बाजार पूरी तरह बंद

 पीलीभीत में उत्तराखंड बॉर्डर पर स्थित मझोला बाजार पूरी तरह बंद रहा। यहां लोगों ने स्वेच्छा से दुकानें बंद रखीं। हरिद्धार हाइवे पर अमरिया बाजार बंद रहा। लखीमपुर में बेलरायां, कफारा में बंद का खासा असर दिखा। कफारा कस्बे में बाजार बंद करा रहे किसानों की पुलिस से झड़पें हुईं। मोहम्मदी और मैगलगंज में किसानों ने भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

शाहजहांपुर में किसान नेता सरजीत सिंह और  संदीप सिंह के नेतृत्व में टिकैट गुट के किसानों ने खुटार के मुख्य बंडा रोड चौराहे पर चक्का जाम किया। बदायूं शहर के अलावा उघैती कस्बे में भाकियू नेताओं को नजरबंद कर दिया गया।

पश्चिमी यूपी में रहा ख़ासा असर

किसानों के भारत बंद का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा असर देखने को मिला। मेरठ एनएच-58 पर सिवाया टोल प्लाजा, सकौती और परतापुर तिराहा, मेरठ-करनाल रोड पर जंगेठी, दबथुआ, भूनी चौराहा, रिठाली, मेरठ-पौड़ी हाईवे पर बहसूमा, छोटा मवाना,  बना-मसूरी, मेरठ-बागपत रोड पर जानी, मेरठ-बड़ौत मार्ग पर पूठ गंगनहर, किला-गढ़ रोड तिराहा और भटीपुरा गांव के सामने किसानों ने चक्का जाम किया। यहां सिवाया टोल प्लाजा पर निकलने का प्रयास कर रहे यात्रियों को भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी ने रोक दिया। टोल प्लाजा की 12 लाइन पर किसानों ने कब्जा कर लिया। इस बीच यात्रियों और टोल कर्मियों के बीच में नोकझोंक हुई। बड़ौत में वाहनों के नहीं चलने से यात्री परेशान नजर आए। भाकियू के पूर्व जिला अध्यक्ष बबलू जीटोली ने कहा, '' सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने होंगे, तभी आंदोलन खत्म होगा। सरकार ने गन्ने का दाम बढ़ाकर किसानों को लालीपाप देने की कोशिश की है उससे किसानों का भला होने वाला नहीं है।''

बंद को रालोद का समर्थन

बागपत में रालोद, सपा और कांग्रेस ने भी किसानों के भारत बंद को समर्थन दिया। किसान, भाकियू पदाधिकारी, रालोद नेता नेशनल व स्टेट हाईवे पर करीब एक दर्जन स्थानों पर धरना दिया। मेरठ-बागपत मार्ग पर प्राइवेट बसों की सेवाएं पूरी तरह बंद रहीं। बागपत के चांदीनगर के पांची चौराहे पर किसानों ने मानव श्रृंखला बना जाम लगाया। शहर के राष्ट्र वंदना चौक पर किसान भारी संख्या में जाम लगाने पहुंचे और वहां पुलिस से उनकी तीखी झड़पें हुईं।

बिजनौर में 45 स्थानों पर चक्काजाम

बिजनौर जिले में किसानों ने नहटौर, चांदपुर, धामपुर, नजीबाबाद, नांगलसोती, मंडावली समेत करीब 45 स्थानों पर चक्का जाम किया। जिले भर के किसान सुबह 11 बजे ट्रैक्टर ट्राली लगाकर सड़कों पर उतर गए और जाम लगा दिया। सहारनपुर में भारत बंद के दौरान आज दिल्ली-देहरादून हाइवे पर चमारी खेड़ा में टोल प्लाजा पर भाकियू कार्यकर्ताओं ने पूर्व जिलाध्यक्ष चौधरी चरण सिंह की अगुवाई में राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया गया।  नागल में मुजफ्फरनगर- सहारनपुर में लखनऊ-चंडीगढ़ एक्सप्रेस को सहारनपुर में ही रोका दिया गया। अम्बाला की तरफ से आने वाली कई ट्रेनें प्रभावित हुईं। अम्बाला से आगे रोपड में रेलवे ट्रैक पर किसान बैठे नजर आए।  यहां हाइवे पर वाहनों की आवाजाही बंद करके भाकियू कार्यकर्ताओं ने धरना दिया और प्रदर्शन किया।

मुजफ्फरनगर में भारत बंद आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन ने चक्का जाम किया। दिल्ली-देहरादून नेशनल हाईवे, मेरठ-करनाल हाईवे, पानीपत-खटीमा राजमार्ग समेत 12 स्थानों पर भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने ट्रैक्टर ट्रॉली लगाकर जाम लगाया और धरना दिया। चक्का जाम से राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ा। खतौली में नावला कोठी और गंग नहर पटरी पर भी किसानों ने जाम लगाया।

शामली के गुरुद्वारा तिराहा,  कांधला और झिंझाना में किसान हाइवे पर जमा हुए और योगी-मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जाम लगाया। संभल के चंदौसी में तहसील तिराहे के निकट सड़क पर भाकियू कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। मुजफ्फरनगर जेल से कैदियों को पेशी के लिए कोर्ट ले जा रही गाड़ी को शामली में गुरुद्वारा पर रोका दिया गया।

मुरादाबाद जिले में भाकियू ने सभी तहसीलों में अलग-अलग स्थानों पर जाम लगाया। हापुड़ में कार्यकर्ताओं ने गांव जरोठी के एक विद्यालय को बंद कराकर अपना झंडा लगा दिया। भाकियू कार्यकर्ताओं ने नवीन मंडी के आसपास खुली दुकानों को पूरी तरह बंद करा दिया। यहां भारतीय किसान यूनियन कार्यकर्ताओं ने स्कूलों में ताला डाल दिया। शाहजहांपुर के बंडा में किसान यूनियन के लोग चौराहे पर आ गए। उस समय यहां कुछ दुकानें खुली थीं, उन्हें किसानों ने बंद करा दिया।

रोकी गईं कई ट्रेनें

आगरा मंडल में संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद को देखते हुए रेलवे ने सोमवार की सुबह दिल्ली की ओर जाने वाली कई ट्रेनों को रोक दिया। इससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। इन ट्रेनों को करीब डेढ़ घंटे बाद गंतव्य के लिए रवाना किया गया। किसान आंदोलन को देखते हुए ट्रैक पर जीआरपी और आरपीएफ के जवान निगरानी बनाए हुए हैं।  आगरा में सचखंड एक्सप्रेस को कैंट स्टेशन, श्रीगंगानगर नांदेड़ एक्सप्रेस को रूंधी मथुरा, पश्चिम एक्सप्रेस छाता स्टेशन पर डेढ़ घंटे तक रोकी गईं।

आगरा में मोतीगंज थोक किराना मंडी और बेलनगंज का बाजार बंद रहा। पुलिस ने कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया। मथुरा में यमुना एक्सप्रेसवे पर पुलिस चौकसी रही। फिरोजाबाद में भारतीय किसान यूनियन राकेश टिकैत, लोक शक्ति यूनियन के नेताओं को पुलिस ने नजरबंद कर दिया। मथुरा में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) के नेता बुद्धा सिंह के नेतृत्व में किसानों ने मथुरा-राया रोड जाम कर दिया। यहां  बड़ी संख्या में किसान यमुना एक्सप्रेसवे के राया कट के पास एकत्र हुए और वहां मथुरा-राया रोड जाम लगाया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

किसानों के भारत बंद के मद्देनजर यूपी के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार फरमान जारी किया था कि शहर और ग्रामीण इलाकों में किसी को बेवजह बाहर निकलने की अनुमति न दी जाए। आंदोलनकारियों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी जरूर कराई जाए और कानून व्यवस्था किसी भी दशा में न बिगड़ने दिया जाए।  

 किसान आंदोलन से बीजेपी में फूट!

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ''संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद को सपा का पूर्ण समर्थन है। देश के अन्नदाता का मान न करनेवाली दंभी भाजपा सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है। किसान आंदोलन भाजपा के अंदर टूटन का कारण बनने लगा है।'' 

नाराज़गी दूर करने में जुटी भाजपा

किसानों की नाराजगी का सुर बदलने में अब भाजपा भी जुट गई है। आरएसएस के संगठन भारतीय किसान संघ ने भी मुद्दों को खुद उठाकर अपनी पैठ बढ़ानी शुरू कर दी है। संघ का आंतरिक फीडबैक यह है कि गन्ने के दाम और बिजली के बिल पर किसानों की नाराजगी अधिक है। यूपी में बिजली का बिल पड़ोसी राज्य हरियाणा से कहीं अधिक है। अकेले मुजफ्फरनगर में ही 28 फीसदी बिजली की खपत नलकूपों में होती है। इसलिए दाम का सीधा असर किसानों की जेब पर पड़ा है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश त्यागी दुहाई देते फिर रहे हैं, ''किसान आंदोलन से किसान दूर है। गन्ना मूल्य का भुगतान, एमएसपी पर खरीद, किसान सम्मान निधि, बिजली की आपूर्ति, खाद की व्यवस्था सहित किसान हित में मोदी-योगी सरकार ने ऐतिहासिक कार्य किए हैं। इसलिए, भाजपा के पक्ष में विश्वास और मजबूत हुआ है। जिन किसानों में रोष, वह जल्द ही शांत हो जाएगा।''

बेनतीजा रही 11 दौर की बातचीत

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। गतिरोध तोड़ने और किसानों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सरकार और किसान यूनियन ने अब तक 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रही। जनवरी के बाद बातचीत फिर से शुरू नहीं हुई।

किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि ये कानून 'मंडी' और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीद प्रणाली को समाप्त कर देंगे और किसानों को बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे। वहीं सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि इन कदमों से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

किसान आंदोलन के बाद यह पहला मौका है जब पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों ने भी कृषि कानून के खिलाफ मुखर आवाज उठाई है। अब से पहले हमेशा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान ही अपने हितों को लेकर जागरूक रहे हैं। अब पूर्वांचल, बुंदेलखंड सहित प्रदेश के दूसरे हिस्से में हलचल दिखने लगी है।

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