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'भिंडरावाले 2.0', 'वारिस पंजाब दा' अमृतपाल सिंह कौन है?

कौन है अमृतपाल सिंह? ऐसा क्या है इस शख़्स में कि इसके कहने पर पुलिस ने 24 घंटे से कम समय में एक आरोपी को जेल से बाहर निकाल दिया? और भिंडरावाले की विरासत को आगे ले जाने में इस शख़्स का क्या हाथ है? इस लेख में इन सभी सवालों के जवाब आपको देने की कोशिश की जाएगी।
punjab

"मैं संविधान में तभी यक़ीन करूंगा, अगर वह मेरी पहचान में यक़ीन करेगा।"

"मैं भारतीय नहीं हूँ, पंजाबी हूँ।" "हमें वह पूरा खित्ता चाहिए जहां पंजाब पहले रूल करता था, पहले हिंदुस्तान से लेंगे फिर पाकिस्तान भी जाएंगे।"

ऊपर लिखे ये उन सैकड़ों बयानात में से कुछ बयान हैं जो पिछले 5 दिनों में 29 साल के एक सिख लड़के ने मीडिया के सामने दिये हैं। कोई उस लड़के को खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले कह रहा है, कोई उसे विपक्षी पार्टियों का 'प्लांट' किया बंदा। भारत से अलग होकर सिख धर्म के लोगों के लिए खालिस्तान बनाने की मांग करने वाला 29 साल का लड़का अमृतपाल सिंह खालसा है, जो आज से महज़ 6 महीने पहले एक पूरा सिख भी नहीं था। उसने अमृत नहीं चखा था, केश कटवाए हुए थे। आज वह खलिस्तान की मांग करने वाले संगठन 'वारिस पंजाब दे' का हेड है, पंजाब में नशा मुक्ति, खालिस्तान, सिख संप्रभुता के साथ सड़कों पर है।

कौन है अमृतपाल सिंह? ऐसा क्या है इस शख़्स में कि इसके कहने पर पुलिस ने 24 घंटे से कम समय में एक आरोपी को जेल से बाहर निकाल दिया? और भिंडरावाले की विरासत को आगे ले जाने में इस शख़्स का क्या हाथ है? इस लेख में इन सभी सवालों के जवाब आपको देने की कोशिश की जाएगी।

शुरू करने से पहले एक निजी बात बताना चाहता हूँ। मेरी पढ़ाई एक सिख स्कूल से हुई। खालसा या खलिस्तान को समझने के सफ़र की शुरूआत वहीं से बहुत जल्द हो गई थी। अवतार सिंह पाश एक पंजाबी कवि को खालिस्तानी चरमपंथियों ने 1988 में मारा था, जब दसवीं क्लास में यह बात पता चली तो उत्सुकता बढ़ी, खालिस्तान, खालसा और इस पूरी राजनीति को समझने की। वहीं से जरनैल सिंह भिंडरावाले को जाना और वहीं से ऑपरेशन ब्लू स्टार तक और उसके बाद अगले 10 साल तक उजड़ते पंजाब की कहानी समझी। बहरहाल, आज हमारे सामने कथित तौर पर भिंडरावाले का दूसरा अवतार है जिसकी बात करना ज़रूरी है।

कौन है अमृतपाल सिंह?

मेनस्ट्रीम मीडिया के ज़्यादातर हिस्से को भले ही 23 फरवरी को अमृतपाल की मौजूदगी का एहसास हुआ हो, जब उसने हजारों सिखों के साथ अपने एक साथी लवप्रीत 'तूफ़ान' को अजनाला जेल से छुड़ाने के लिए थाने पर हमला बोल दिया था; मगर पंजाब की राजनीति में उसकी आमद उससे कहीं पहले की है। यह आमद तब से भी पहले की है जब वह 19 अगस्त 2022 को दुबई से हिंदुस्तान आया था। दुबई में अपने परिवार का ट्रांसपोर्ट बिज़नेस संभालने वाला अमृतपाल 1993 में अमृतसर के जल्लुपुर खेड़ा गाँव में पैदा हुआ था। 2012 में बारहवीं करके वह दुबई चला गया। अमृतपाल सिंह इस वक़्त खालिस्तान की मांग करने वाले संगठन 'वारिस पंजाब दे' का हेड है। इस संगठन को अभिनेता-कार्यकर्ता दीप सिंह सिद्धू ने किसान आंदोलन के वक़्त शुरू किया था। दीप सिंह सिद्धू वही शख़्स है जिसने 26 जनवरी को लाल क़िले पर 'निशान साहिब' फहराया था, जिस घटना के बारे में सिद्धू ने कहा था, "मैं अपने पिता के मरने पर इतना नहीं रोया था जितना लाल क़िले पर निशान साहिब चढ़ाने पर रोया।"

दीप सिद्धू ने पंजाब विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल(ए) के उम्मीदवार सिमरजीत सिंह मान(इस वक़्त संगरूर से सांसद) के लिए वोट भी मांगे थे, जो कि ख़ुद खालिस्तान समर्थक हैं। विधानसभा चुनाव के मतदान से 5 दिन पहले फरवरी 2022 में दीप सिद्धू की एक कार एक्सिडेंट में मौत ही गई थी। अमृतपाल के समर्थक कहते हैं कि दीप की 'हत्या' करवाई गई है।

अमृतपाल ख़ुद कभी दीप सिद्धू से मिला नहीं था, मगर सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन के दौरान उससे चर्चा करता रहता था। पंजाब राजनीति पर ख़ास नज़र रखने वाले पत्रकार शिव इंदर सिंह ने न्यूज़क्लिक को दिये एक इंटरव्यू में बताया था कि एक वीडियो में दीप सिद्धू ने अमृतपाल को अपने समर्थक के रूप में चिन्हित भी किया था। एक हफ़्ते पहले दीप की बरसी पर अमृतपाल ने कहा कि दीप की ही सलाह पर नवंबर 2021 से उसने बाल कटवाने बंद कर दिये थे।

दुबई में क्लीन शेव और छोटे बाल रखने वाला अमृतपाल ने 'अमृत कब चखा'?

25 सितंबर 2022 को अमृतपाल ने आनंदपुर साहिब में करीब 900 अन्य लोगों के साथ अमृतधारी सिख बनने की प्रक्रिया में भाग लिया। इसके सिर्फ़ 4 दिन बाद, 29 सितम्बर को हज़ारों सिख जरनैल सिंह भिंडरावाले की गाँव रोडे में जमा हुए और अमृतपाल की दस्तारबंदी में शामिल हुए। दुबई में रहते हुए भी अमृतपाल फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लैटफ़ार्म के ज़रिये पंजाबी संप्रभुता, पंजाब में नशे की लत, किसान आंदोलन आदि के बारे में मुखर बना हुआ था। दीप सिद्धू को उसने कई बार अपने लिए प्रभावशाली बताया था, मगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दीप सिद्धू के परिवार ने अमृतपाल से किनारा कर लिया है। शिव इंदर के मुताबिक दीप सिद्धू के भाई को लगता है कि अमृतपाल ने आंदोलन को 'कैप्चर' कर लिया है।"

अमित शाह को 'धमकी'

दरअसल क़रीब 10 दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि वह और उनकी सरकार खालिस्तान के इस आंदोलन को जड़ से ख़त्म कर देगी। अमृतपाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का 2006 का एक फ़ैसला कहता है कि शांतिपूर्ण तरीक़े से खालिस्तान के हक़ में बात करना कोई जुर्म नहीं है बल्कि लोकतांत्रिक है। अमृतपाल ने इन्दिरा गांधी का संदर्भ लेते हुए यह भी कह दिया कि जो अमित शाह कह रहे हैं वही इन्दिरा गांधी ने कहा था और जैसा नतीजा उनका हुआ वैसा ही अमित शाह का भी हो सकता है। अमृतपाल ने एक बात यह भी कही कि अमित शाह यही बात हिन्दू राष्ट्र मांगने वालों से कहें, तब देखना होगा कि वह कितने वक़्त तक गृह मंत्री बने रह सकते हैं।

सिख संगठनों ने शुरू किया अमृतपाल का विरोध

न्यूज़क्लिक में प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट के अनुसार, "जिस तरह से अमृतपाल ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को ढाल बनाकर थाने पर कब्जा किया और पुलिसकर्मियों को उसके समर्थकों ने तलवारों से घायल किया; उसे लेकर सिख संगठन खासे खफा हैं। अब ख्यात सिख संस्थाओं और पंजाब सरकार की नाराजगी के बाद अमृतपाल सिंह खालसा की मुश्किलें यकीनन बढ़ेंगीं। श्री अकाल तख्त साहिब सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है। अजनाला घटनाक्रम पर उसकी चुप्पी टूटी है और तख्त साहिब ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है। इसमें सिख विद्वानों और नामवर बुद्धिजीवियों को शामिल किया गया है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने खुद इसकी पुष्टि की है।"

क्या पंजाब में तेज़ होगी खालिस्तान की मांग?

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 30-35 साल पहले तक पंजाब ने खालिस्तान के नाम पर जो ख़ून-ख़राबा देखा था वह अभी तक ख़त्म तो नहीं हुआ था मगर काफ़ी हद तक शांत ही था। खालिस्तान की मांग गाहे ब गाहे उठती थी। मगर अजनाला की घटना के बाद इसने तूल पकड़ लिया है। कई लोग यह भी दावा करते हैं कि अमृतपाल को बीजेपी ने खड़ा किया है ताकि वह उसका सहारा लेकर देश से कहे कि देखो खालिस्तानी आ रहे हैं, और उसके एवज़ में अपना हिन्दुत्व एजेंडा मजबूत कर सके। जिस तरह से पंजाब पुलिस ने अजनाला की घटना में कड़े क़दम उठाने में संकोच किया था, उसकी वजह से पुलिस-प्रशासन और आप सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि अमृतपाल के पीछे विदेशी और पकिस्तान से आ रही फंडिंग का हाथ है।

इस सबके बीच दूसरी तरफ़ चंडीगढ़ में जारी बंदी सिखों की रिहाई के लिए धरने में भी अमृतपाल शामिल हो चुका है। ऐसे में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के एक साल ही पूरे हुए हैं, और इतनी बड़ी गतिविधियां केंद्र और राज्य दोनों सरकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं।

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