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बिहार : आशा कार्यकर्ताओं ने मांग पूरी न होने पर हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी

आशा कार्यकर्ताओं व आशा फैसिलिटेटरों ने 9 सूत्री मांगों की पूर्ति के लिए इस साल 22 जून को सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।
Asha

बिहार में आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलिटेटर ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी है। 

आशा संयुक्त संघर्ष मंच ने रविवार को कहा कि बिहार की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप में करीब एक लाख आशा कार्यकर्ता-आशा फैसिलिटेटर विगत 17 वर्षों से सेवा देती आ रही हैं। इनकी सेवाओं का ही परिणाम है कि आज बिहार में संस्थागत प्रसव- प्रसव के दौरान मातृ-शिशु मृत्यु दर-परिवार नियोजन से लेकर रोग निरोधी टीकाकरण तक के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां हासिल हुई हैं। कोरोना महामारी के दौरान उसकी रोकथाम के अभियान इन लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर भी सेवा देती रही और इस क्रम में दर्जनों लोगों को जान तक गंवानी पड़ी हैं। 

मंच ने आगे कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से लेकर पटना उच्च न्यायालय तक ने उनकी उक्त भूमिका की प्रशंसा की। लेकिन उनकी उक्त भूमिका और योगदान के बावजूद संगठन की ओर से लगातार ज्ञापन-प्रतिनिधिमंडल वार्त्ता-धरना-प्रदारधान जैसे सांकेतिक अंदोलन द्वारा ध्यानाकर्षित किये जाने के बावजूद केंद्र सरकार से लेकर बिहार सरकार द्वारा उनकी बुनियादी मांगों को पूरा करने के मामले में ताल-मटोल एवं अनदेखी करती आ रही है। स्वाभाविक तौर पर सरकार के इस रवैये के कारण राज्य की आशाओं-फैसिलिटेटरों के बीच भारी असंतोष व्याप्त है और निर्णायक आंदोलन शुरू करने को बाध्य हैं जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार पर है।

ऊपर वर्णित परिस्थिति में बाध्य होकर 'आशा संयुक्त संघर्ष मंच' के आह्वान पर आशा कार्यकर्ताओं व आशा फैसिलिटेटरों की 9 सूत्री मांगों की पूर्त्ति के लिए इस साल 22 जून को सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रदर्शन करने, 4 जुलाई,23 को सभी सिविल सर्जनों के समक्ष प्रदर्शन करने और 12 जुलाई से राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया गया है। 

आशा कार्यकरताओं व आशा फैसिलिटेटरों की मांग 

* आशा कार्यकर्त्ता-फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से देय 1000 रुपये मासिक संबंधी सरकारी संकल्प में अंकित 'पारितोषिक'  शब्द को बदलकर अन्य राज्यों की तरह 'नियत मासिक मानदेय' किया जाय और इसे बढ़ाकर 10 हजार रूपये किया जाए।              

*  उक्त विषयक सरकारी संकल्प के अनुरूप इस मद का वित्तीय वर्ष 19-20 (अप्रैल,19 से नवंबर,20 तक) का मासिक 1000 रुपये का बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाए।

*  'अश्विन पोर्टल' से भुगतान शुरू होने के पूर्व का सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाए।

*  आशा कार्यकर्ताओं-फैसिलिटेटरों को देय प्रोत्साहन-मासिक पारितोषिक राशि का अद्यतन भुगतान सहित इसमें एकरूपता-पारदर्शिता लाई जाए।  

* आशाओं के भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार - कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाए।

* कोरोना काल की डियूटी के लिए सभी आशाओं-फैसिलिटेटरों को 10 हजार रुपये कोरोना भत्ता भुगतान किया जाए।

* आशाओं को देय पोशाक (सिर्फ साड़ी) के साथ ब्लाउज, पेटीकोट तथा ऊनी कोट की व्यवस्था की जाए और इसके लिए देय राशि का अद्यतन भुगतान किया जाए।

*  फैसिलिटेटर के लिए भी पोशाक का निर्धारण और उसकी राशि भुगतान की शीघ्र व्यवस्था किया जाए।

*  फैसिलिटेटरों को 20 दिन की जगह पूरे माह का भ्रमण भत्ता (SVC) दैनिक 500/-रुपये की दर से भुगतान किया जाए।

*  वर्षों पूर्व विभिन्न कार्यों के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि की दरों में समुचित वृद्धि हेतु केंद्र सरकार को प्रस्ताव एवं अनुशंसा प्रेषित किया जाए।
* आशा व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

* कोरोना से (पुष्ट/अपुष्ट) मृत आशाओं को  राज्य योजना का 4 लाख और केंद्रीय वीमा योजना का 50 लाख राशि का भुगतान किया जाए।

* आशा कार्यकर्ता-फैसिलिटेटर को भी सामाजिक सुरक्षा योजना–पेंशन योजना का लाभ दिया जाए। जब तक नहीं किया जाता तब तक 'रिटायरमेंट पैकेज' के रूप में एकमुश्त 10 लाख का भुगतान किया जाए। 

* जनवरी'19 के समझौते के अनुरूप मुकदमों की वापसी सहित अन्य अकार्यान्वित बिन्दुओं को शीघ्र लागू किया जाए।

संवाददाता सम्मेलन में बिहार राज्य आशा कार्यकर्त्ता संघ (गोपगुट-ऐक्टू) की अध्यक्ष शशि यादव, मुख्य संरक्षक रामबली प्रसाद, राष्ट्रीय सचिव, ऐक्टू रणविजय कुमार, बिहार राज्य आशा-आशा फैसिलिटेटर संघ की अध्यक्ष मीरा सिन्हा, संगठन महामंत्री विश्वनाथ सिंह और बि. चि. जनस्वा.कर्म.संघ के मो.लुकमान मौजूद रहे।

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