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बिहार : ‘अग्निपथ योजना’ के ख़िलाफ़ महागठबंधन के विधायकों का राजभवन तक मार्च

महागठबंधन के विधायकों ने राजभवन तक मार्च कर योजना को वापस लेने और आन्दोलनकारी युवाओं पर पुलिस द्वारा किया जा जा रहा दमन रोकने की मांग उठाई
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कई जानकारों के अनुसार ये सही प्रतीत होता है कि केंद्र की सरकार ‘अग्निपथ योजना’ के खिलाफ देश भर में युवाओं के उठ रहे उग्र विरोध व आन्दोलन को पूरी तरह से नकारते हुए किसी भी कीमत पर इस योजना को लागू करने पर आमादा है। जिसके लिए खुद प्रधानमंत्री की अगुवाई में उनके केन्द्रीय मंत्रियों समेत सभी पार्टी नेताओं द्वारा की जा रही नित नयी घोषणाओं और मनमाना व्याख्याओं का चौतरफा शोर तेज़ कर दिया गया है। साथ ही पिछली जन विरोधी योजनाओं की भांति इस योजना को भी हर हाल में सही ठहराने और योजना का विरोध करने वालों की निंदा करने के लिए गोदी मीडिया के माध्यम से ‘भक्तों विशेषज्ञों’ के आक्रामक दलीलों का भोंपू दिन रात बजाया जा रहा है। 

दूसरी ओर, योजना के विरोध में जारी आन्दोलन में युवाओं को शामिल होने से रोकने के लिए उन्हें किसी भी सरकारी नौकरी से वंचित किये जाने जैसी धमकियां खूब प्रसारित की जा रहीं हैं। पुलिस-प्रशासन द्वारा सैकड़ों आंदोलनकारी युवाओं पर ‘ज्ञात व अज्ञात’ नाम से कई गंभीर मुक़दमे किये जाने की प्रक्रिया लगातार जारी है। जिसके तहत बिहार समेत अन्य सभी राज्यों में दर्जनों युवाओं को ‘कतिपय उग्र हिंसा करने’ के नाम पर उनकी गिरफ्तारियां तेज़ कर दी गई हैं। कई स्थानों पर तो कोचिंग संचालकों से भी पूछताछ के नाम पर युवाओं को हिंसा के लिए उकसाने जैसे आरोप लगाकर धौंस धमकी दिए जाने की ख़बरें भी आ रहीं हैं। 

‘अग्निपथ योजना’ के खिलाफ युवाओं के उग्र आक्रोश प्रदर्शन व आन्दोलन के प्रमुख केंद्र के रूप में बिहार सबसे अधिक सुर्ख़ियों में रहा है। यही वजह है कि यहां आंदोनकारी युवाओं के साथ साथ इनके आन्दोलन का समर्थन कर रहे निर्दोष नागरिकों पर भी पुलिस-प्रशासन के दमन की सूचनाएं सबसे अधिक आ रहीं हैं। इन्क़लाबी नौजवान सभा के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष तारिक अनवर को बिना कोई कारण बताये गया जिला की पुलिस ने घर से उठा लिया। सोशल मीडिया में काफी हो हल्ला होने व माले विधायकों द्वारा प्रशासन के आला अधिकारियों पर दबाव बनाए जाने के बाद सूचना मिलती है कि उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। ऐसी ही कई अन्य की गिरफ्तारियां और छापेमारी जारी है।                                                 

22 जून को पटना में बिहार के महागठबंधन विधायकों द्वारा ‘अग्निपथ योजना’ को अविलम्ब वापस लिए जाने तथा आन्दोलनकारी युवाओं पर पुलिस दमन रोकने की मांग को लेकर ‘राजभवन मार्च’ किया जाना काफी महत्व रखता है। महागठबंधन व सभी वाम दलों ने इस योजना को मोदी सरकार द्वारा देश के युवाओं को प्रति वर्ष रोज़गार देने के वायदे के साथ विश्वासघात और युवाओं के भविष्य के साथ क्रूर मजाक बताते हुए कड़ा विरोध जताया है।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 22 जून की सुबह 9 बजे राजद और सभी वाम दलों के विधायकों-विधान पार्षदों ने विधान सभा परिसर से ही अपना मार्च निकाला। “भारतीय सेना को तहस नहस करने वाली योजना वापस लो, रिक्युर्मेंट के नाम पर रिटायर्मेंट योजना नहीं चलेगी और सेना का भाजपायीकरण नहीं चलेगा। जैसे नारे लगाते हुए यह मार्च राजभवन तक गया। जहां महागठबंधन के 15 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। जिसमें युवा विरोधी ‘अग्निपथ योजना’ अविलम्ब वापस लिए जाने तथा आन्दोलनकारी युवाओं और निर्दोष नागरिकों पर किये जा रहे पुलिस दमन रोकने की मांग की गयी।

विरोध-मार्च तथा राज्यपाल से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत राजद के कई पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के अलावे सभी वामदलों के विधायकों ने किया। वाम दलों की ओर से भाकपा माले विधायक दल नेता महबूब आलम व विधायक सत्यदेव राम, सीपीआईएम विधायक अजय कुमार तथा सीपीआइ विधायक रामजतन सिंह शामिल हुए। महागठबंधन के प्रमुख घटक कांग्रेस पार्टी के विधायकों के मार्च में शामिल नहीं होने की खबर को गोदी मीडिया ने काफी तूल देते हुए प्रमुखता के साथ परोसा। हालाँकि बाद में प्रदेश कांग्रेस ने औपचारिक सूचना जारी कर बताया कि उनके विधायक गण आलाकमान के विशेष बुलावे पर दिल्ली गए हुए हैं।

महागठबंधन विधायकों के विरोध मार्च के दौरान मीडिया संबोधन में तेजस्वी यादव ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने ‘अग्निपथ योजना’ लाकर देश के करोड़ों युवाओं के स्थायी और सम्मानजनक रोज़गार पाने के सपने को तार तार कर दिया है। दरअसल यह आरएसएस और भाजपा के हिडेन एजेंडा के तहत है। कि जिस तरीके से रेल-सेल-भेल-बीएसएनएल-कोल और हवाई अड्डा समेत सभी सार्वजनिक उपक्रमों को बेच दिया गया, अब देश की सेना पर उनकी नज़र है। भाजपा के नेतागण जो बोल रहे हैं कि चार साल के बाद रिटायर्ड अग्निवीरों को वे भाजपा दफ्तरों में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी में प्राथमिकता देंगे। तो हमारा भी कहना हैं कि सबसे पहले भाजपा के नेतागण अपने बच्चों को अग्निवीर बनाएं और उनके रिटायर्ड होने पर राजद उन्हें दुगुने वेतन पर सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी और 24 लाख रूपये भी देगा।”

हर दिन गोदी मीडिया द्वारा जारी किये जा रहे भाजपा प्रवक्ताओं के बयानों को कोट करते हुए कहा कि- कुछ लोग कह रहें हैं कि अब युवा शांत हो गए हैं तो आपके कहने का क्या मतलब है कि जो वायलेंस है वही प्रोटेस्ट है और जो प्रोटेस्ट है वही वायलेंस है? अगर वायलेंस नहीं हो रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि प्रोटेस्ट नहीं हो रहा है !  

भाकपा माले विधायक दल नेता महबूब आलम समेत सभी विधायकों ने भी योजना का विरोध करते हुए माले के युवा नेता तारिक अनवर समेत सभी गिरफ्तार युवा आन्दोलनकारियों को अविलम्ब रिहा करने की मांग उठायी। 

विरोध-मार्च में शामिल आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और माले विधायक संदीप सौरभ ने ‘अग्निपथ योजना’ को राष्ट्र विरोधी बताते हुए कहा कि- जिस सेना के दम पर मोदी जी जनता के बीच आये दिन सेंटिमेंट फैलाकर वोट लेने में सफल होते हैं, अब उसी सेना में ‘अग्निपथ योजना’ के लागू होने से दो प्रकार के सैनिक हो जायेंगे। एक ओर, परमानेंट और 60 से 80 हज़ार वेतन, साल में 90 दिनों की छुट्टी और रिटायर्मेंट के बाद अच्छा पेंशन पाने वाले सैनिक होंगे तो दूसरी ओर, सिर्फ चार साल के लिए ठेके पर काम करने वाले सैनिक होंगे। ऐसे में स्वाभाविक है कि चार साल के लिए ठेके पर काम करने वाले सैनिकों के मनोबल में काफी फर्क आ जायेगा। इस योजना की वकालत करने वाले अडानी-अम्बानी जैसे कॉर्पोरेट कंपनियों से भी सवाल पूछा कि क्या वे बताएंगे कि उनके यहां अभी तक बहाल सिक्योरिटी गार्डों की जीवन दशा व आर्थिक स्थिति कैसी है ? भाजपा ने पूर्व की अन्य सभी योजनाओं की भांति इस योजना को भी कॉर्पोरेटों के फायदे के लिए ही लाया है।

महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद माहागठबंधन विधायकों ने एक स्वर से ‘अग्निपथ योजना’ को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की। भारतीय सेना में भाजपायी हस्तक्षेप करार देते हुए इस योजना के लागू होने से देश के 75% युवाओं के बेरोजगार रहने की पूरी आशंका जताते हुए घोषणा की कि जबतक केंद्र सरकार इस योजना को वापस नहीं लेगी तब तक हम लोगों का भी विरोध और आन्दोलन जारी रहेगा।

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