नीतीश की ‘प्रगति यात्रा’ : विपक्ष ने कहा जनता के लिए ‘दुर्गति यात्रा’!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने 20 वर्षों के शासन काल में कई बार प्रदेश में “यात्रा” निकालते रहे हैं। जिसे लेकर मुख्य प्रचार यही किया जाता रहा है कि वे इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य की जनता से सीधा संवाद कर उनकी दुःख-तकलीफों की जानकारी के साथ साथ ज़मीनी स्तर पर उनकी सरकार की विकास योजनाओं के लागू होने का जायजा लेते हैं।
सियासी चर्चाओं के अनुसार इस बार की “प्रगति यात्रा” को लेकर ऐसा कुछ नहीं दिखा। उलटे कई किस्म की ऐसी क्रिया-प्रतिक्रियाएं उभर कर सामने आईं, जो स्पष्ट तथ्य-संकेत दे रहीं हैं कि अब उनकी “डबल इंजन की गठबंधन सरकार” से लोग पहले की तरह खुश नहीं हैं।
भले ही भाजपा-जदयू समेत NDA गठबंधन के आला नेता-प्रवक्ताओं के साथ साथ “डबल इंजन सरकार” के सभी मंत्री-नेताओं और नौकरशाहों द्वारा नीतीश कुमार जी के “सुशासन” की तारीफ में नित दावा-दलीलें देकर विपक्ष पर व्यंग्य-प्रहार किया जा रहा हो। लेकिन वास्तविक ज़मीनी हकीक़त खुलकर सच्चाई बता रही है कि “ऑल इज वेल” नहीं है।
कहा जा रहा है कि इस बार की “प्रगति यात्रा” पूरी तरह से चाक-चौबंद पुलिस-प्रशासनिक पहरेदारी में एक राजशाही-यात्रा जैसी रही। मीडिया ख़बरों में भी ये नहीं सामने आया कि अपनी इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री जी पूर्व की भांति प्रदेश के आम लोगों से मिल-जुल रहे हों। बल्कि स्थिति इसके विपरीत ही रही, इस बार जिधर से भी यात्रा गुजारी घंटों पहले से इलाके में भारी संख्या में पुलिस-बल उतारकर यातायात ठप्प कर दिया गया। सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में ये साफ़ दीख रहा है कि मुख्यमंत्री के काफिले से काफी दूरी पर लोगों को रहने दिया जा रहा है।
वहीं, कई स्थानों पर उनके खिलाफ “मुर्दाबाद” जैसे नारे भी खूब लगे। कुछेक स्थानों पर “धिक्कार मार्च” निकालकर विरोध प्रदर्शन हुआ। तो कई क्षेत्रों में तो मुख्यमंत्री जी से गुहार लगाने पहुंची ‘आशा-आंगनबाड़ी-रसोइया और आजीविका दीदियों’ समेत आम जनों को पुलिस ने “बल का प्रयोग कर” मिलने नहीं दिया और दूर से ही खदेड़ दिया।
नीतीश कुमार की डबल-इंजन सरकार के कुशासन के खिलाफ “प्रगति-यात्रा” के समानांतर भाकपा माले द्वारा निकाली गयी ‘बदलो बिहार न्याय-यात्रा’ का नेतृत्व कर रहे भाकपा माले महासचिव ने मुख्यमंत्री की “प्रगति-यात्रा” को “आतंक यात्रा” करार दिया।
इन स्थितियों पर पुरज़ोर ध्यान खींचने का काम भाकपा माले के विधायकों ने भी किया। जब इसी महीने के 14 फ़रवरी को मुख्यमंत्री जी की “प्रगति यात्रा” को जहानाबाद में पहुँचना था। पुलिस-प्रशासन द्वारा घंटों पहले ही पूरे शहर की नाकेबंदी और सभी जनता के आवागमन की सभी मुख्य सड़कों पर ट्रैफिक को बंद कर जनजीवन को ठप्प कर दिया गया। इसका तीखा विरोध करते हुए भाकपा माले के घोषी विधायक रामबली सिंह और अरवल विधायक महानन्द प्रसाद ने ‘पैदल-मार्च’ कर दिया। उन्हें उस दिन मुख्यमंत्री की होनेवाली समीक्षा मीटिंग में शामिल होने के लिए बुलाया गया था।
“प्रगति यात्रा” के नाम पर जनजीवन और लोगों का यातायात रोक देने से क्षुब्ध होकर दोनों विधायकों ने दस किलोमीटर ‘पैदल यात्रा’ कर अपना विरोध प्रदर्शित करते हुए मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में पहुंचे।
पैदल चलते हुए मीडिया-साक्षात्कार में दोनों माले विधायकों ने “प्रगति यात्रा” को जनता के लिए “दुर्गति यात्रा” बताते हुए कहा कि आप खुली आँखों खुद ही देख रहे हैं कि यह “प्रगति- यात्रा” नहीं बल्कि किसी राजा की राजशाही-यात्रा निकल रही है। इसीलिए “प्रजा” खातिर “अघोषित लॉकडाउन” जैसी स्थिति बना दी गयी है। जो साफ़ साफ़ दिखला रहा है कि बिहार की भाजपा-जदयू और नीतीश कुमार सरकार “डर गयी” है। राज्य के लोग खुली आँखों से देख रहें हैं कि कैसे “माफिया-ठेकेदार-सामंत-बिचौलियों और भ्रष्ट नौकरशाहों की प्रगति” हुई है! इन्हीं के लिए “सुशासन” है। जिससे लोगों में काफी आक्रोश और सवाल हैं। इसीलिए जहाँ जहाँ भी मुख्यमंत्री जी “प्रगति-यात्रा” लेकर जा रहे हैं, पूरे इलाके और रास्तों की नाकेबंदी कर आम लोगों को पुलिस बल द्वारा हटा दिया जा रह है।
ज़रा भी किसी के द्वारा विरोध अथवा मुख्यमंत्री से सवाल करने की आशंका हो रही है तो यात्रा पहुँचने के पहले ही रात या सुबह में पुलिस पहुंचकर घर में ही ‘हाउस आरेस्ट’ या थाना में लाकर बैठा दे रही है। फिर भी यदि लोग अपने सवाल लेकर मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखने पहुँचना चाह रहें हैं तो उनपर पुलिस लाठीचार्ज कर गिरफ्तार कर लिया जा रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आज जब नीतीश कुमार से उनके बीस बरस के शासन और उनकी “डबल इंजन सरकार” द्वारा प्रदेश के लोगों से किये गए वायदों का हिसाब मांग कर पूछा जा रहा है कि- ‘जाति जनगणना’ से मिले आंकड़ो के आधार पर 96 लाख गरीब-गुरबे लोगों को सरकार द्वारा हर साल 2 लाख रुपये देने का क्या हुआ। कितने गरीब भूमिहीनों को ज़मीन और वास-आवास दिया गया? खूनचुसवा स्मार्ट मीटर से लोगों की कमाई पर डाका क्यों डाला जा रहा है, पूरे राज्य में गरीबों की झोपड़ियों पर ये सरकार बुलडोजर क्यों चला रही है? हर तरफ लॉ-आर्डर फेल क्यों नज़र आ रहा है? महिलाओं और नागरिकों पर बेलगाम बढ़ते हमलों-अपराध को रोकने में विफल यह सरकार जनता के सवालों से डर कर भाग रही है। चौपट शिक्षा व्यवस्था और पेपर लीक-परीक्षा माफिया तंत्र पर रोक लगाने की मांग कर रहे छत्रों पर ही लाठियां चलाकर उन्हें जेलों में बंद कर दिया जा रहा है। हर तरफ लोग कह रहे हैं कि इस बार के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और उनकी डबल इंजन सरकार को सबक सिखा कर रहेंगे।
वैसे, इस “प्रगति-यात्रा” की घोषणा होते समय ही राज्य के विपक्ष ने कड़ा ऐतराज़ जताते हुए इसमें होनेवाले राजकीय खर्चे का विरोध किया था। जिनका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के कारण “यात्रा” शुरू होने के पहले ही विवादों में घिर गयी ।
मीडिया कि ख़बरों में इस ‘प्रगति यात्रा” को “2025 फिर से नीतीश” की चुनावी मुहीम का योजनाबद्ध राजनीतिक अभियान बताते हुए कहा जा रहा है कि- इस यात्रा के जरिये 2025 विधान सभा चुनाव को साधने की कवायद है।
जो इससे भी प्रमाणित होता है कि इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने घूम घूम कर हर इलाके में करोड़ों-करोड़ रुपयों कि बजट वाली कई कई योजनाओं की घोषणा-शिलान्यास और उद्घाटन किया। जिसके बारे में मीडिया ने “चरण-वंदना” करते हुए फ्रंट पेज न्यूज़ भी बनाया कि मुख्यमंत्री जी ने “पिटारा खोल दिया, सौगात दिया” इत्यादि। जिससे आह्लादित होकर “डबल-इंजन सरकार” के नेता-प्रवक्ता तो अब ये दावा करने लगे हैं कि आसन्न विधानसभा चुनाव में वे विपक्ष का खाता तक नहीं खुलने देंगे।
बहरहाल, तमाम दावा-दलीलों के बावजूद ये सवाल तो साक्षात है कि- आगामी विधान सभा चुनाव में जनता का ‘जनादेश’ क्या होगा? ये देखने की बात होगी।
(लेखक एक संस्कृतिकर्मी और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
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