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बिहार की चरमराई चिकित्सा व्यवस्था ने दर्जनों ग़रीब लोगों की आंखें छीन ली, संक्रमण से एक महिला की मौत

ऑपरेशन कराने वाले इन मरीज़ों में से 16 मरीज़ों की आंखें संक्रमित होने के चलते एसकेएमसीएच में गुरुवार तक निकाली जा चुकी हैं, वहीं 10 लोगों की आंखें संक्रमति होने के कारण आज यानी शुक्रवार को निकाले जाने की बात कही गई है।
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फ़ोटो साभार: प्रभात खबर

बिहार की चौपट चिकित्सा व्यवस्था का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसी घटनाएं अक्सर सामने आती रहती है जब इलाज में लापरवाही के चलते लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है या शरीर का कोई अंग खोना पड़ता है।

हाल में बिहार के मुजफ्फरपुर में एक ट्रस्ट द्वारा संचालित आई हॉस्पिटल में नियमों को ताक पर रखकर एक ही दिन में 65 लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दिया गया जिनमें दर्जनों लोगों का ऑपरेशन संक्रमण के चलते नाकाम हो गया और उनकी आंखों को निकालने की नौबत आ गई। हॉस्पिटल में 22 नवंबर को शिविर लगाकर उन 65 लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था जो गरीब पृष्ठभूमि से थेँ। ऑपरेशन कराने वाले इन मरीजों में से 16 मरीजों की आंखें संक्रमित होने के चलते एसकेएमसीएच में गुरूवार तक निकाली जा चुकी हैं, वहीं 10 लोगों की आंखें संक्रमति होने के कारण आज यानी शुक्रवार को निकाली जानी है।

एफ़आईआर दर्ज

अस्पताल की इस लापरवाही के चलते गुरुवार को अस्पताल के सचिव और डॉक्टरों समेत 14 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी। सिविल सर्जन डॉ. विनय शर्मा और एडिशनल चीफ मेडिकल ऑफिसर ने संयुक्त रूप से आई हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही को लेकर थाने में एफआइआर दर्ज कराई है। इस एफआइआर में ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर एनडी साहू और डॉ. समीक्षा सहित चार डॉक्टर और पांच पैरा मेडिकल स्टॉफ शामिल हैं। इन पर जानबूझ कर लापरवाही, हत्या के प्रयास और अंगभंग करने जैसे जुर्म की धाराएं (307,325,326,336,337) लगाई गई है। इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन पर भी कई संगीन आरोप लगाए गए हैं। एसएसपी ने कहा कि एफआईआर दर्ज होते ही जांच शुरू कर दी गई है। यह अस्पताल वर्ष 1973 से एक ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जा रहा है। वर्तमान में इसके सचिव दिलीप जालान है।

दस लोगों में से चार लोगों को बुधवार को ही मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के स्पेशल वार्ड में भर्ती किया गया था, जबकि गुरुवार को छह लोगों को भर्ती कराया गया। इन मरीजों की जांच डॉक्टरों की टीम करती रही लेकिन अंत में निर्णय लिया गया कि शुक्रवार को इनकी आंखों का ऑपरेशन किया जाएगा।

प्रभात खबर के मुताबिक मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाली एक महिला रूबैदा खातून की मौत गुरुवार हो गई। 58 वर्षीय रूबैदा बंदरा प्रखंड के रामपुरदयाल की रहने वाली है। रुबैदा के बेटे अकबर अली ने बताया कि आई हास्पिटल में उसकी मां का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था। वहां से घर आने के दो दिनों के बाद 27 नवंबर को आंख में दर्द होने लगा।

नियमों को ताक पर रख ऑपरेशन

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तीन-तीन घंटे की दो शिफ्ट में 65 लोगों की आंखों का ऑपरेशन कर दिया गया था जो कि एमसीआई की गाइटलाइंस के बिल्कुल विपरीत है। इस गाइडलाइंस के मुताबिक एक डॉक्टर दो शिफ्ट में 30 से ज्यादा ऑपरेशन नहीं कर सकता है।

डॉक्टरों की चूक से संक्रमण

उधर पटना से पहुंची जांच टीम के अधिकारी ने कहा कि कई स्तरों पर जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट में अस्पताल का दोष सामने आया तो उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा। जांच टीम ने यह भी कहा है कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की चूक से मरीजों में संक्रमण हुआ है़। इस टीम में शामिल वरिष्ठ अधिकारी डॉ. हर्षवर्धन ओझा ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि तीन दिनों तक आंकड़े को दबाकर क्यों रखा गया। मरीजों को दी गई दवा से भी वे सन्तुष्ट नहीं थे। मामला बढ़ता देख राज्य सरकार ने सभी पीड़ितों का इलाज सरकारी खर्च पर कराने की घोषणा की है।

एनएचआरसी ने मांगी रिपोर्ट

मरीजों की आंखें निकालने की खबर का संज्ञान राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने लिया। आयोग ने पाया है कि लापरवाही से आंखों का ऑपरेशन करना, मेडिकल प्रोटोकॉल के नियमों के उल्लंघन का एक गंभीर मामला है। आयोग ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है और इस मामले में 4 हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

ऑपरेशन पर रोक

मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने मीडिया से कहा कि उक्त आई हॉस्पिटल को अगले आदेश तक किसी भी तरह का ऑपरेशन करने से रोक दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि हमने उन सभी मरीजों का ब्योरा हासिल कर लिया है जिनका इस शिविर में ऑपरेशन किया गया था। उनका पता लगाया जा रहा है और जांच के लिए ले जाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि संक्रमण के प्रकार का पता लगाने के लिए नमूने इकट्ठा किए गए हैं और परीक्षण के लिए भेजे गए हैं।

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