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बिल्क़ीस बानो मामला: सभी 11 दोषियों ने गोधरा उप जेल में आत्मसमर्पण किया

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा सजा में दी गई छूट को रद्द करते हुए आठ जनवरी को अहम फैसला सुनाया था।
Bilkis

बिल्क़ीस बानो मामले के सभी 11 दोषियों ने उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समयसीमा का पालन करते हुए गुजरात के पंचमहल जिले की गोधरा उप जेल में रविवार देर रात आत्मसमर्पण कर दिया।

स्थानीय अपराध शाखा के निरीक्षक एन.एल. देसाई ने कहा, ‘‘सभी 11 दोषियों ने रविवार देर रात जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।’’

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा सजा में दी गई छूट को रद्द करते हुए आठ जनवरी को अहम फैसला सुनाया था। इसके साथ ही न्यायालय ने 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर समय से पहले रिहा किए गए दोषियों को दो सप्ताह में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने कुछ दिन पहले दोषियों को आत्मसमर्पण के लिए और समय देने संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था तथा उन्हें रविवार तक आत्मसमर्पण करने को कहा था।

इन 11 दोषियों में बाकाभाई वोहानिया, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, गोविंद, जसवन्त, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश और शैलेश भट्ट शामिल हैं।

ज्ञात हो कि गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया था।

साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान पांच महीने की गर्भवती बिल्कीस बानो के साथ गैंगरेप की घटना हुई थी। इस दौरान उनकी तीन साल की बेटी की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस दंगे में बिल्कीस बानो की मां, छोटी बहन और अन्य रिश्तेदार समेत 14 लोग मारे गए थे। मामले में 21 जनवरी, 2008 को मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने 11 लोगों को हत्या और गैंगरेप का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। इस मामले में पुलिस और डॉक्टर सहित सात लोगों को छोड़ दिया गया था। सीबीआई ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दोषियों के लिए और कड़ी सज़ा की मांग की थी। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने मई, 2017 में बरी हुए सात लोगों को अपना दायित्व न निभाने और सबूतों से छेड़छाड़ को लेकर दोषी ठहराया था।

बीते साल स्वतंत्रता दिवस पर अचानक से बिल्कीस बानो मामले के 11 दोषी गोधरा की एक जेल से रिहा कर दिए गए। जेल के बाहर उनका स्वागत किया गया। टीका लगाकर सम्मान दिया गया और फिर फूल माला पहनाई गई। और ये सब तमाम विरोधों के बाद भी जारी रहा। जिसे लेकर देशभर में खूब आलोचना हुई और सरकार की मंशा पर सवाल भी उठे।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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