Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

सीमा विवाद : मेघालय की याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगा न्यायालय

असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद 50 साल से लंबित है। हालांकि, हाल के दिनों में इसे हल करने के प्रयासों में तेज़ी आई है।
sc
फ़ोटो साभार: PTI

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह असम एवं मेघालय के बीच पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन पर रोक लगाने के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली मेघालय सरकार की याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगा।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिंहा एवं न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की एक पीठ ने कहा कि याचिका को सोमवार या शुक्रवार को छोड़कर सप्ताह के अन्य दिनों में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए लेकिन इसे शीर्ष अदालत के पंजीयक ने गलती से सोमवार को सूचीबद्ध कर दिया है।

उच्चतम न्यायालय सोमवार और शुक्रवार को विविध मामलों की सुनवाई करता है और शेष दिन नियमित मामलों की सुनवाई होती है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर जुलाई में सुनवाई करेंगे।’’

राज्य सरकार ने मेघालय उच्च न्यायालय के आठ दिसंबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उच्च न्यायालय असम एवं मेघालय के बीच सीमा विवाद को निपटाने के लिए दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन पर रोक का आदेश दिया गया था।

इससे पहले राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का विरोध करते हुए कहा था कि दो राज्यों के बीच सीमाओं के परिवर्तन या क्षेत्रों के आदान-प्रदान से संबंधित मुद्दे कार्यपालिका के ‘‘अधिकार क्षेत्र’’ के भीतर आते हैं और यह एक विशुद्ध राजनीतिक प्रश्न है।

शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी याचिका में मेघालय सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय को यह समझना चाहिए था कि जब मामला राज्यों के बीच सीमा के सीमांकन जैसे संप्रभु कार्यों से संबंधित है, तो केवल याचिकाकर्ता के कहने पर अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘दो राज्यों के बीच सीमाओं के परिवर्तन या दो राज्यों के बीच क्षेत्रों के आदान-प्रदान से संबंधित कोई भी मुद्दा देश और इसकी संघीय घटक इकाइयों के राजनीतिक प्रशासन से संबंधित एक विशुद्ध राजनीतिक प्रश्न है।’’

याचिका के अनुसार, ‘‘उक्त कार्य में न्यायिक निर्णय का कोई औचित्य नहीं है और यह सिर्फ कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस तरह के समझौता ज्ञापन में कोई हस्तक्षेप या रोक भारत के संविधान के तहत निहित अधिकारों के बंटवारे का पूर्ण उल्लंघन है।’’

पिछले साल 29 मार्च को असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

इस समझौते में दोनों राज्यों के बीच 884.9 किलोमीटर की सीमा के साथ 12 में से छह स्थानों पर लंबे समय से जारी विवाद को हल करने की मांग की गई थी।

असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद 50 साल से लंबित है। हालांकि, हाल के दिनों में इसे हल करने के प्रयासों में तेजी आई है।

मेघालय को 1972 में असम से अलग राज्य बनाया गया था, लेकिन नए राज्य ने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी थी, जिससे 12 सीमावर्ती स्थानों को लेकर विवाद पैदा हो गया था।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest