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“CAB: लोगों को बांटने वाला और असंवैधानिक बिल"

लोकसभा के भीतर भले ही नागरिक (संशोधन) विधेयक के विरोध में 80 वोट पड़े हों लेकिन बाहर इसका पुरज़ोर विरोध हो रहा है।
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फोटो साभार : eastmojo

नागरिक (संशोधन) विधेयक (CAB) भले ही लोकसभा में पास हो गया है, लेकिन देश में इसका पुरज़ोर विरोध हो रहा है। लोकसभा में विभिन्न विपक्षी दलों के 80 सांसदों ने इसका विरोध किया तो जनता के विरोध के तौर पर आज पूर्वोत्तर बंद है। इसके अलावा एक हज़ार के करीब वैज्ञानिकों ने इसका विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। इसके अलावा अन्य बुद्धिजीवी, लेखक, कलाकार भी इसका विरोध कर रहे हैं। सभी ने CAB और NRC दोनों को लोगों को बांटने वाला और असंवैधानिक कदम बताया है। 

आपको बता दें कि निचले सदन लोकसभा में विधेयक पर सात घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के बाद सोमवार रात करीब 12 बजे इस बिल को पास कर दिया गया। इसके पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े।

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इस बिल का देश के एक व्यापक समुदाय में पहले से ही विरोध हो रहा है और अब लोकसभा में पास होने के बाद इसका विरोध और बढ़ गया है। 

वामपंथी दलों का विरोध

वामपंथी दलों ने इस बिल का तीखा विरोध किया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि वे सावरकर और जिन्ना के सपनों के इस बिल को खारिज करते हैं। यह लोगों को बांटने वाला और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हर संभव फोरम पर इसका विरोध करती रहेगी। 

इसी तरह भाकपा माले ने नागरिक संशोधन बिल (CAB) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) दोनों का विरोध किया है और इस बिल को संविधान पर जानलेवा हमला बताया है। 

विभाजनकारी बिल : ममता

नागरिकता संशोधन विधेयक को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘विभाजनकारी’ बताया और ‘किसी भी कीमत’ पर विधेयक का विरोध करने का आह्वान किया। 

उन्होंने कहा कि देश के किसी भी नागरिक को शरणार्थी नहीं बनने दिया जाएगा। 

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सत्ता में रहते हुए बंगाल में कभी एनआरसी और नागरिकता विधेयक की इजाजत नहीं दिए जाने का आश्वासन देते हुए बनर्जी ने इन्हें एक ही सिक्के के दो पहलू बताया। 

जदयू के समर्थन से प्रशांत किशोर निराश

जनता दल (यू) द्वारा लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किये जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने निराशा जाहिर की। 

उन्होंने कहा कि विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। देर रात लोकसभा में विधेयक पर मतदान होने के बाद जब वह पारित हो गया तब किशोर ने ट्वीट किया कि विधेयक पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता। 

उन्होंने ट्वीट में लिखा, “जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ। यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है।” 

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में जदयू के नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने कहा कि जदयू विधेयक का समर्थन इसलिए कर रही है क्योंकि यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है। 

आरजेडी का भी विरोध

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी इस विधेयक का पुरज़ोर विरोध किया है। 

 

अखिलेश ने संविधान का अपमान बताया

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी नागरिकता संशोधन बिल को भारत और संविधान का अपमान बताया है। 

 

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