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कोविड-19 : जम्मू-कश्मीर प्रशासन को डर, लोग यात्रा विवरण छुपाएंगे तो बीमारी फैलने का है ख़तरा

श्रीनगर के एक अधिकारी ने जिनके ज़िम्मे लोगों की घरेलू और विदेश यात्राओं के इतिहास पर नज़र रखने का कार्यभार है, उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, “कुछ ने तो सीधी हवाई उड़ान के विकल्प को छोड़ घाटी में प्रवेश के लिए कई अन्य रास्तों का इस्तेमाल किया।” 
COVID-19

24 मार्च, मंगलवार के दिन जम्म-कश्मीर उच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र के प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वह उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई करे जो लोग अपनी यात्रा के इतिहास का खुलासा नहीं कर रहे हैं और ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए अपने संसाधनों का विस्तार करे।

पिछले दो हफ़्तों से प्रशासन इस बात को लेकर बेहद हैरान-परेशान है कि अधिकतर लोग जो देश के भीतर से या विदेशों से आए हैं वे व्यापक पैमाने पर अपनी यात्रा के विवरणों को छिपाने में लगे हैं। जबकि यह सब सिर्फ इसलिये किया जा रहा है ताकि क्वारंटाइन किये जाने से किसी भी तरह बचा जा सके, जिसे प्रशासन की ओर से ऐसे लोगों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है ताकि कश्मीर में नोवेल कोरोना वायरस को आगे फैलने से रोका जा सके।

इस बीच ख़बर है कि जिन 1800 लोगों के आस-पास की संख्या को इस मकसद से विभिन्न जगहों पर अलग-थलग रखा गया था, उन्होंने वहाँ पर उपलब्ध ख़राब सुविधाओं और अस्वास्थ्यकर स्वास्थ्य सुविधाओं पर अपना रोष व्यक्त किया है। हालांकि ऐसे उदाहरण भी देखने को मिले हैं जहाँ पर जिला प्रशासन ने होटलों को क्वारंटाइन की सुविधाओं के रूप में इस्तेमाल में लिया है। लेकिन कुलमिलाकर क्वारंटाइन सुविधाओं को लेकर लोग ख़ुश नहीं हैं।

लोगों के अपनी यात्रा इतिहास की जानकरी देने में अनिक्छुक भाव ने इस बीच न सिर्फ डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के जीवन को खतरे में डाल दिया है बल्कि इसकी वजह से COVID-19 के सामुदायिक संचरण का ख़तरा भी बढ़ गया है।

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा तो इन मरीजों का उपचार कर रहे डॉक्टरों के इस ट्वीट के जरिये लग जाता है जो इन मरीजों के यात्रा इतिहास को जाने बिना इनके उपचार में लगे हैं। डॉक्टर अपने ट्वीट में लिखती हैं “COVID-19 की पहचान का मामला मेरे द्वारा SMHS (शेर-ये कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) की कैजुअल्टी में देखा जा रहा था। हालात इतने दुःखद हैं कि वे मुझसे अपने सारे यात्रा इतिहास के बारे में सच नहीं उगलते और जब मैंने उन्हें सीडी अस्पताल में परीक्षण के लिए रेफर किया तो उन्होंने मेरे और मेरे सहयोगियों पर इल्जाम लगाने शुरू कर दिए। एक ‘जानेमाने’ वरिष्ठ सज्जन ने तो मुझसे ये तक कहा कि मैं उन्हें घर जाने के लिए लिख दूँ। ईश्वर का शुक्र है, मैंने ऐसा नहीं किया।”

वे कहती हैं कि झूठ बोलकर ये मरीज अपना ही नहीं बल्कि अपने परिवार वालों और दोस्तों के जीवन तक को खतरे में डाल रहे हैं। वे कहती हैं “मुझे बुखार है और गले में खराश है। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं इसकी चपेट में आ चुकी हूँ या नहीं। मुझे ऊपर वाले पर पूरा भरोसा है और मेरा यकीन है कि इस लड़ाई में हम पैदल सैनिक हैं। लेकिन मैं इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकती कि किसी के अहंकार या झूठ की कीमत मुझे खुद के, मेरे माता-पिता और दोस्तों के रूप में चुकानी पड़े। कृपा करके झूठ न बोलें और अपने अहंकार में चूर न रहे।“

जिस मरीज़ का वे जिक्र कर रही थीं वो 16 मार्च की सुबह की फ्लाइट से घाटी पहुँचा था। श्रीनगर हवाई अड्डे से निकलकर वह सीधे एक स्थानीय व्यापारी के यहाँ गया। दो दिन के बाद, 18 मार्च को जाकर एक सरकारी अस्पताल में अपनी जाँच कराई। जाँच के दौरान डॉक्टरों को संदेह हुआ कि यह व्यक्ति COVID-19 से पीड़ित हो सकता है, और उन्होंने इसे एक अन्य अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। हालांकि उसने इसका अनुपालन नहीं किया और अपने घर चला गया। अगले तीन तक बंदा अपने घर पर ही बना रहा और 21 मार्च को SMHS में नजर आया, जहाँ पर डॉक्टरों ने उसे किसी अन्य अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जाँच हुई और तब जाकर पक्का हुआ कि ये साहब COVID-19 में पॉजिटिव पाए गए हैं, और घाटी में इस प्रकार का यह चौथा पोजिटिव मामला प्रकाश में आया। हालांकि डॉक्टरों को संदेह है कि इन सज्जन ने इस बीच कई अन्य लोगों को इस वायरस से संक्रमित कर दिया होगा।

अब जाकर प्रशासन हरकत में आया है और इससे मिलते जुलते मामलों, जिसमें अपने यात्रा विवरण छुपाने के प्रयास किये गए हैं या जो इस बात से बेखबर हों कि वे खुद इस बीमारी में जकड़े हो सकते हैं, और कई अन्य में यह वायरस अनजाने में फैला रहे हों, से सम्बन्धित मामलों की जाँच में कड़ाई से जुट गया है। ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए प्रशासन ने मंगलवार से हवाई यातायात निलंबित कर दिया है और इस नवगठित केंद्र शासित प्रदेश की सीमाओं को सील कर दिया है। COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए पहले से ही ट्रेन और अंतरराज्यीय बस सेवाओं को निरस्त कर दिया गया था। हालाँकि निलंबन की इस घोषणा से पहले से पहुँच चुके लोगों में से कई लोगों का कोई पता-ठिकाना नहीं लग पाया है।

COVID-19 के बारे में कश्मीर स्वास्थ्य सेवा के नोडल अधिकारी द्वारा प्रस्तुत किए गए शनिवार के आंकड़ों के हिसाब से कुल 3,426 लोग घरेलू यात्रा कर श्रीनगर हवाई अड्डे पहुंचे; जबकि 288 ऐसे कश्मीरी भी हवाई अड्डे पर पहुँचे, जिनका यात्रा इतिहास भारत से बाहर का रहा था। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने अपनी विदेश यात्रा के इतिहास का खुलासा नहीं किया। ऐसे लोगों के बारे में विवरण के पंजीकरण की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है।

सड़क मार्ग से यात्रा करने वालों के सम्बन्ध में शनिवार तक प्राप्त आँकड़े दर्शाते हैं कि कुल 1,831 वाहनों की लोअर मुंडा में स्क्रीनिंग की गई, जिसमें कुल 2,870 यात्री पहुँचे थे।

श्रीनगर में इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे एक अधिकारी ने न्यूज़क्लिक से अपनी बातचीत में बताया है कि अपनी यात्रा के इतिहास को छुपाने के अलावा भी कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी स्क्रीनिंग तक नहीं होने दी। वे कहते हैं “कुछ लोगों ने सीधे हवाई मार्ग के विकल्प को चुनने के बजाय कई अन्य मार्गों से घाटी में प्रवेश के रास्ते अपनाए। और वे आसानी से यहाँ प्रवेश पा गये”। वे आगे कहते हैं कि ऐसे भी उदाहरण देखने को मिले हैं कि लोग आये तो किसी अन्य देश से, लेकिन उन्होंने खुद को उन देशों में छात्र के रूप में दर्शाया जो COVID-19 से कम प्रभावित देश थे।

इसी बीच देखने में आया है कि इस सम्बन्ध में उपायुक्त और श्रीनगर महापौर के बीच वाकयुद्ध भी चल रहा है। जहाँ उप-आयुक्त का मानना है कि हमें इस अभूतपूर्व स्थिति से निपटने के लिए बेहद सख्त कदम उठाने की जरूरत है, वहीँ महापौर को लगता है कि अंधाधुंध क्वारंटाइन के कारण बाहर से आ रहे यात्रियों के मन में भय व्याप्त हो रहा है और इसी के चलते इस अनिवार्य क्वारंटाइन की शर्त से बचने के लिए ये लोग अपने यात्रा इतिहास को छिपाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

बिना अपनी स्क्रीनिंग कराये और यात्रा इतिहास को छिपाने को लेकर अपनी टिप्पणी में डीसी श्रीनगर, शहीद इकबाल चौधरी ने ट्वीट में कहा है: “यकीन कीजिये मेरी बात पर, यदि रोज रोज की घटनाओं का सारांश भी यदि मैं आप सबके सामने साझा कर दूँ तो कश्मीर में ऐसा कोई नहीं होगा जो चैन से सो सके। हमें अपने अहम को ताक़ पर रखकर मिल-जुलकर काम करना चाहिए, एक दूसरे की मदद करनी चाहिए, ना कि खौफजदा होकर हंगामा मचाना। यह तीसरा विश्व युद्ध है। इससे कम हर्गिज नहीं। एक बार यह गुज़र जाता है तो सारी ज़िंदगी पड़ी है इन सबके लिए”

इस बीच प्रशासन ने उन सभी छात्रों और यात्रियों से अपील की है जिनका यात्रा इतिहास इन COVID-19 से प्रभावित देशों और देश के अन्य प्रभावित हिस्सों से आने का रहा है, और अभी तक अपनी यात्रा इतिहास को सार्वजानिक नहीं किया है। इन्हें तत्काल यह जानकारी अपने स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों या COVID-19 हेल्पलाइन नंबर पर देने के लिए कहा गया है। एडवाइजरी के अनुसार परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और आम जनों से ऐसे मामलों को प्रशासन के ध्यान में लाने की अपील की गई है, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य के मद्देनज़र आवश्यक उपाय सरकार द्वारा उठाये जा सकें।

अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

COVID-19: Authorities Fear People Hiding Travel History May Spread Disease in J&K

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