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तथ्य : चीनी अधिकारियों और डब्ल्यूएचओ ने किस तरह से हैंडल किया कोरोना वायरस मामला

ट्रम्प प्रशासन द्वारा नोवल कोरोना वायरस को लेकर चीनी सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के काम पर किया जाने वाला हमला बेबुनियाद है।
WHO

14 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उस सम्बोधन में उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की "सभी फ़ंडिंग को रोक" देगा। 1948 में स्थापित डब्ल्यूएचओ, संयुक्त राष्ट्र की एक ऐसी प्रमुख एजेंसी है, जिसे दुनिया के स्वास्थ्य में सुधार का काम सौंपा गया है; इसे व्यापक रूप से एक ऐसी एजेंसी के रूप में भी देखा जाता है, जो स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए सबसे उपयुक्त है।

ट्रम्प की घोषणा से एक महीने पहले, 11 मार्च को डब्ल्यूएचओ ने नोवल कोरोना के फैलने,  इसकी गंभीरता और निष्क्रियता के ख़तरनाक स्तर को लेकर गहरी चिंता ज़ाहिर करते हुए इसे एक वैश्विक महामारी घोषित की थी। अप्रैल तक, इस वायरस से कम से कम 2 मिलियन लोग संक्रमित हो चुके थे और दुनिया भर में 183,000 लोगों की मौत हो चुकी थी। ख़ुद ट्रम्प के गृहनगर, न्यूयॉर्क में इस नोवल कोरोना वायरस के प्रकोप से मरने वालों की तादाद 9/11 में मरने वालों की सख्या से कहीं ज़्यादा है। वैश्विक पहल का समन्वय करने में सक्षम एकमात्र इस एजेंसी के वित्त पोषण में कटौती से दुनिया भर के लोग सकते में हैं।

आख़िर ट्रम्प ने संकट के बीच डब्ल्यूएचओ के बजट के 400 मिलियन डॉलर यानी 15% रक़म को वापस क्यों ले लिया, जिसे वह रद्द करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं दिखते हैं ? ट्रम्प का कहना है कि डब्लूएचओ "अपने बुनियादी कार्य करने में" नाकाम रहा है,क्योंकि इसके काम-काज में "गंभीर रूप से कुप्रबंधन देखा गया है और कोरोना वायरस के प्रसार को वह नहीं रोक सका है।" चीनी सरकार और डब्ल्यूएचओ के ख़िलाफ़ ट्रम्प के यह आरोप ग़लत क्यों हैं, इस बारे में विस्तार से बताना ज़रूरी है कि चीनी अधिकारियों ने कोरोनो वायरस से क्यों और क्या सीख ली, और डब्ल्यूएचओ और चीनी अधिकारियों ने इस वायरस को लेकर जानकारी किस तरह से साझा की।

रोग का उभार

दिसंबर के आख़िर में वुहान के डॉक्टरों ने एक ग़ैर-मामूली प्रकार के निमोनिया को होते देखा। 31 दिसंबर को बीजिंग से उच्च स्तरीय टीम अस्पतालों से आ रही रिपोर्टों की जांच करने पहुंची। साल 2019 के उस आख़िरी दिन, चीनी अधिकारियों ने बीजिंग कार्यालय से "निमोनिया मामले के अज्ञात एटियोलॉजि [कारण के लिए इस्तेमाल होने वाला मेडिकल टर्म") के बारे में डब्ल्यूएचओ कार्यालय को सूचित किया।

डब्ल्यूएचओ की स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक़, 2 जनवरी को "घटना प्रबंधन प्रणाली को डब्ल्यूएचओ के तीनों ही स्तरों (देश स्थित कार्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय और मुख्यालय) पर सक्रिय किया गया था।" चार देशों-चीन, थाईलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया ने 20 जनवरी तक घटनाओं की रिपोर्ट दे दी थी, जिन्हें बाद में COVID-19 के रूप में जाना गया। तबतक वुहान सिटी में छह लोगों की मौत हो चुकी थी।

4 जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने सार्वजनिक रूप से इस बात की घोषणा कर दी थी कि चीनी अधिकारियों ने उसे सूचित किया है कि "वुहान में निमोनिया मामलों के एक कलस्टर में किसी की मौत नहीं" हुई है। डब्ल्यूएचओ ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी इसकी सूचना दे दी थी। ठीक अगले दिन, 5 जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने अपनी पहली जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट प्रकाशित की। डब्ल्यूएचओ ने लिखा, " सूचित किये गये अज्ञात एटियलॉजि वाले इस निमोनिया के क्लस्टर के समग्र जोखिम को निर्धारित करने को लेकर जानकारी बहुत ही सीमित है। रोगियों में बताये गये लक्षण सांस से जुड़े अनेक रोगों के लिए आम हैं, और सर्दी के मौसम में निमोनिया को होना तो बहुत ही सामान्य बात है; हालांकि, निमोनिया के 44 मामलों वाली इस घटना को समय और स्थान को देखते हुए अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत को सावधानी से नियंत्रित किया जाना चाहिए।”

यह जानना अहम है कि वुहान शहर की आबादी लगभग 11 मिलियन है और हुबेई प्रांत की आबादी लगभग 58 मिलियन है। जिन 44 मामलों को निमोनिया कहा गया था, वे चिंता के विषय तो थे, लेकिन उस समय तक इसे वैश्विक ख़तरा बताने की ज़रूरत नहीं थी।

मनुष्य को मनुष्य से होने वाले संचरण के सुबूत

किसी वायरस को ख़तरनाक तभी माना जा सकता है, अगर यह साबित किया जा सके कि यह वायरस किसी संक्रमित मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलता है। यह बात 20 जनवरी तक चीनी अधिकारियों के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ के सामने भी स्पष्ट नहीं हो पायी थी।

वुहान नगरपालिका स्वास्थ्य आयोग ने 31 दिसंबर को घोषणा की थी कि इस समय मनुष्य-से-मनुष्य के बीच इसके फैलने का कोई सुबूत नहीं था (उदाहरण के लिए, कोई भी चिकित्सा कर्मचारी संक्रमित नहीं था)। 4 जनवरी को इस निष्कर्ष का सत्यापन चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग की पहली विशेषज्ञ टीम ने भी किया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग और वुहान नगर पालिका स्वास्थ्य आयोग,दोनों ही संस्थाओं ने नियमित अंतराल पर बताया कि मनुष्य-से-मनुष्य के बीच इसके फैलने का कोई स्पष्ट सुबूत नहीं था। 15 जनवरी को वुहान नगरपालिका स्वास्थ्य आयोग ने इस बात को फिर से दोहराया, लेकिन उस समय यह भी कहा गया कि मनुष्य-से-मनुष्य के बीच इसके सीमित संचरण की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है; हालांकि, आयोग ने कहा था कि मनुष्य-से मनुष्य के बीच इसके निरंतर संचरण की संभावना कम ही है।

मनुष्य-से-मनुष्य के बीच होने वाले संचरण को सत्यापित करने वाला पहला आधिकारिक बयान 20 जनवरी को चीन के प्रमुख श्वसन रोग विशेषज्ञ, झोंग नानशान द्वारा दिया गया था। अगले ही दिन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि नोवल कोरोना वायरस का एक वर्ग B संक्रामक रोग है और इसके रोकथाम के लिए उसी तरीक़े को अपनाना पड़ा,जो वर्ग A की रोकथाम के लिए ज़रूरी है।

इस अधिसूचना के साथ ही सब कुछ बदल गया। 23 जनवरी को वुहान को बंद कर दिया गया था, और चीनी सरकार ने आपातकालीन आधार पर काम करना शुरू कर दिया था।

कोरोना वायरस और डब्ल्यूएचओ

चीन ने इस वायरस के बारे में डब्ल्यूएचओ को सबसे पहले 31 दिसंबर को जानकारी दी थी। एक नियमित आधार पर, चीनी सरकार 3 जनवरी तक बीजिंग स्थित डब्ल्यूएचओ कार्यालय को सूचना भेजती रही और इस बारे में हांगकांग, मकाओ और ताइवान और सम्बन्धित देशों और क्षेत्रों को सूचित करती रही। 4 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर आम लोगों के लिए संक्षेप में जानकारी दी थी कि वुहान में एक "क्लस्टर" है और इसकी जांच-पड़ताल चल रही है।

चीनी अधिकारियों ने इस वायरल निमोनिया के कारण को सुनिश्चित करने की दिशा में चल रही शुरुआती प्रगति के बारे में डब्ल्यूएचओ को 9 जनवरी को बताया। इस बात को समझने की ज़रूरत है कि उस समय इस वायरस के बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी। अभी ठीक दो दिन पहले ही, यानी 7 जनवरी को चीनी सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने इस नोवल कोरोना वायरस (nCoV) की पहचान की थी।

डब्ल्यूएचओ ने 9 जनवरी को अपनी वेबसाइट पर एक नोट पोस्ट किया था। इसमें दो बातें थीं: पहली बात तो यह कि चीनी जांचकर्ताओं ने उस नोवल वायरस की प्रारंभिक पहचान कर ली थी, जो इतनी कम अवधि में "एक उल्लेखनीय कामयाबी है और यह बात नये प्रकोपों के प्रबंधन को को लेकर चीन की बढ़ी हुई क्षमता को दिखाती है"; दूसरी बात कि ऐसे वायरस जटिल होते हैं, क्योंकि "कुछ वायरस तो व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से संचरित हो जाते हैं, जबकि अन्य वायरस ऐसा नहीं कर पाते हैं। चीनी अधिकारियों के मुताबिक़, विचाराधीन वायरस कुछ रोगियों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और लोगों के बीच आसानी से संचारित नहीं होता है।” 11 जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने आम लोगों को सूचित किया कि उसे "चीनी अधिकारियों से नोवल कोरोना वायरस के आनुवांशिक सिक्वेंस" मिले हैं; उस दिन, डब्ल्यूएचओ ने इसे लेकर एक अंतरिम गाइडलाइन जारी की, जिसमें बताया गया कि अगर यह व्यापक रूप से फैलता है,तो इसकी तैयारी कैसे की जाये।

दो दिन बाद, यानी 13 जनवरी को इस घातक वायरस के बारे में बढ़ती समझ के आधार पर चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (NHC) ने वुहान सिटी को सार्वजनिक समारोहों को कम करने और परिवहन केंद्रों पर लोगों के तापमान की जांच करने का निर्देश दिया। यह पब्लिक डोमेन में था। डब्ल्यूएचओ की तकनीकी टीम ने 14 जनवरी को एक प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की, जिसमें उन्होंने बताया कि मनुष्य-से-मनुष्य के बीच, ख़ास तौर पर परिवार के सदस्यों के ज़रिये होने वाला इस कोरोना वायरस (41 पुष्ट मामलों में) का संचरण सीमित है, और इससे एक संभावित व्यापक प्रकोप में बदल जाने का जोखिम है।”

चीनी अधिकारियों और डब्लूएचओ ने 14 जनवरी तक जो बातें साफ़ कर दी थीं, वे थीं: यह एक नये तरह का कोरोना वायरस है, जिसकी मनुष्य-से-मनुष्य की बीच फैलने की क्षमता सीमित है और तबतक यह चीन के भीतर तक ही सीमित था, लेकिन एक शख़्स के ज़रिये यह संक्रमण वुहान से थाईलैंड चला गया था। ये सभी सार्वजनिक बयान थे।

बहुत ही अजीब तरीक़े से एसोसिएटेड प्रेस ने 15 अप्रैल को एक ख़बर बनायी थी, जिसमें कहा गया था कि चीनी सरकार ने 14 से 20 जनवरी तक यानी छह अहम दिनों तक इसके फैलने की ख़बर जनता को नहीं दी थी; वास्तव में चीनी सरकार ने 3 जनवरी को अमेरिकी सीडीसी और डब्ल्यूएचओ को सूचित कर दिया था, और 14 जनवरी तक उन्हें जो कुछ पता था, उनके बारे में सार्वजनिक बयान भी दे दिये गये थे। 20 जनवरी को वायरस की इस घातकता को लेकर की गयी डॉ झोंग नानशान की घोषणा के बाद सब कुछ बदल गया।

सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल

डॉ. झोंग नानशान की घोषणा के बाद और महामारी विज्ञान को लेकर और ज़्यादा हो रहे काम के आधार पर, डब्ल्यूएचओ ने 21 जनवरी को कहा कि मनुष्य-से-मनुष्य के बीच इसके फैलने का सबूत है, हालांकि उस समय भी इस बात का कोई निर्णायक सुबूत नहीं था कि संचरण लगातार हो रहा हो। जिस समय डॉ झोंग ने यह बयान दिया था, उसी समय डब्ल्यूएचओ की एक टीम वुहान के एक इलाक़े के दौरे पर थी। 22 जनवरी को डब्ल्यूएचओ की इस टीम के मिशन के बयान में बताया गया, “महामारी विज्ञान की व्यापक जांच-पड़ताल और राष्ट्रीय स्तर पर नये परीक्षण किट की तैनाती के ज़रिये एकत्र किये गये आंकड़ों से पता चलता है कि वुहान में मनुनष्य-से-मनुष्य के बीच यह रोग फैल रहा है। लेकिन,मनुष्य-से-मनुष्य के बीच इसके फैलने की पूरी सीमा को समझने के लिए महामारी विज्ञान के आंकड़ों के और अधिक विश्लेषण की ज़रूरत है।”

विश्‍व स्वास्थ्‍य संगठन के महानिदेशक ने 22 जनवरी को डब्ल्यूएचओ की इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन (2005) आपातकालीन समिति का गठन किया, जिसमें "सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल" घोषित किये जाने का फ़ैसला लिया गया। यह 15 सदस्यीय समिति संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा और थाईलैंड के अधिकारियों से मिलकर बनी थी। इस समिति में सभी की राय समान नहीं थी; आख़िरकार समिति ने आपातकाल घोषित करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह सुझाव भी दिया कि स्थिति का आकलन करने के लिए 10 दिन बाद फिर से एक बैठक होनी चाहिए। समिति ने दुनिया भर के देशों को सलाह देते हुए कहा था, “संभव है कि आगे किसी भी देश में इस महामारी के मामले मिल सकते हैं। इस तरह, सभी देशों को इसके रोकथाम को लेकर तैयार किया जाना चाहिए, जिस तैयारी में सक्रिय निगरानी, शीघ्र पहचान, आइसोलेशन और मामले  का प्रबंधन, संपर्क को चिह्नित करना और 2019-nCoV संक्रमण के आगे प्रसार को रोकना और WHO के साथ पूरे आंकड़े को साझा करना शामिल है।”

10 दिनों के बनिस्पत पहले ही जब इस समिति ने अगली बैठक 30 जनवरी को आयोजित की, तो समिति ने "इस अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल" घोषित करने का फ़ैसला किया। इस तरह के आपातकाल को "असाधारण घटना" के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि "बीमारी के अंतर्राष्ट्रीय प्रसार" के कारण एक जोखिम भरी होती है और इसके लिए "एक समन्वित अंतर्राष्ट्रीय पहल" की ज़रूरत होती है।

इस तरह,डब्ल्यूएचओ ने पहली बार 5 जनवरी को इस वायरस की सार्वजनिक घोषणा कर दी थी;  इसके तीन सप्ताह बाद, यानी इस वायरस के बारे में ज़्यादा जानकारी एकत्र करने और इसके फ़ैलने के बाद और इस बीमारी को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की संस्थागत परिभाषा के अनुरूप पाने के बाद ही विश्‍व स्वास्थ्‍य संगठन ने इसकी समुचित घोषणा की थी।

(लेखक विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वह उस ग्लोबट्रॉट्टर में एक राइटिंग फेलो और मुख्य संवाददाता हैं, जो इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टिट्युट की एक परियोजना है। वह लेफ्टवर्ड बुक्स के मुख्य संपादक और ट्राईकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं। उन्होंने बीस से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें द डार्कर नेशंस और द पुअरर नेशंस शामिल हैं। उनकी नवीनतम पुस्तक वाशिंगटन बुल्लेट्स है, जिसमें ईवो मोरालेस आयमा ने परिचय लिखा है।)

(यह दो-भागों वाली श्रृंखला का पहला भाग है, जो पूरी तरह यहां उपलब्ध होगा।)

इस लेख को इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूशन की एक परियोजना, ग्लोबेट्रॉटर द्वारा तैयार किया गया था।

सौजन्य: इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूशन

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

How the Chinese Authorities and the WHO Handled the Coronavirus

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