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तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई की मांग को लेकर माकपा ने कोलकाता में निकाला विरोध मार्च

माकपा पश्चिम बंगाल के सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा है कि गुजरात नरसंहार को न्याय का 'मजाक' बनाकर मिटाया नहीं जा सकता है।
West Bengal

वामपंथी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य प्रमुख हस्तियों ने रविवार को कोलकाता में गिरफ्तार सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई की मांग की। माकपा ने जालसाजी, आपराधिक साजिश और चोट पहुंचाने और अपमान के इरादे से की गई आपराधिक कार्यवाही के एक ताजा मामले में सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की है।

एनजीओ, सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) की सचिव सेतलवाड़ को अहमदाबाद अपराध शाखा के इंस्पेक्टर डीबी बराड द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शनिवार को मुंबई के उनके जुहू स्थित घर से हिरासत में लिया गया था। इसके बाद उन्हे अहमदाबाद लाया गया और रविवार को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार कर लिया गया था।

2002 के गोधरा दंगों के मामले में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी।माकपा पश्चिम बंगाल सचिव मोहम्मद सलीम ने रविवार को कोलकाता में सेतलवाड़ की रिहाई की मांग को लेकर एक जुलूस के बाद सभा को संबोधित करते हुए कहा “यदि न्यायाधीश या न्यायालय, न्याय नहीं दे सकते हैं, तो आम लोग सड़कों पर उतरेंगे और न्याय छीन लेंगे। सनद रहे कि अंग्रेज भी भारतीयों के भीतर न्याय के आंदोलन को दबा नहीं पाए थे।”

वामपंथी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य प्रमुख हस्तियों ने रविवार को कोलकाता में गिरफ्तार सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई की मांग की। मोहम्मद सलीम वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस, प्रमुख अभिनेता बादशा मैत्रा, सामाजिक कार्यकर्ता सायरा शाह हलीम और अन्य प्रमुख हस्तियों सहित हजारों लोगों ने सेतलवाड़ की "अन्यायपूर्ण" गिरफ्तारी का विरोध करते हुए पार्क सर्कस को एंटली मार्केट से जोड़ने वाली बारिश से लथपथ सड़क पर मार्च किया।

सेतलवाड़ की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए सलीम ने कहा, "न्याय के नाम पर मजाक करने से गुजरात नरसंहार के निशान मिटाए नहीं जा सकते हैं। मोदी और अमित शाह किसी भी तरह से अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर सकते हैं। हर किसी की रीढ़ कमजोर नहीं होती है जो डर के मारे झुक जाए। तीस्ता सेतलवाड़ ने गुजरात नरसंहार के बाद सच्चाई को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सलीम ने तीस्ता की हिम्मत की दाद देते हुए कहा कि, "क्यों फरवरी 2002 में अहमदाबाद में उग्र भीड़ ने एहसान जाफरी [गुजरात कांग्रेस नेता और सांसद] को क्यों जला दिया था और न तो पुलिस और न ही सेना ने उनका बचाव किया" सलीम ने कहा, "तीस्ता के प्रयासों के चलते बहुत सारी जानकारी सामने आई और नरसंहार में शामिल कई लोगों के नाम सार्वजनिक किए गए।”

विरोध मार्च की शुरुआत से पहले, बोस ने मीडिया को बताया कि "नरसंहार के बाद गुजरात के तबाह हुए लोगों के साथ खड़ी" सेतलवाड़ की गिरफ्तारी "लोकतंत्र पर हमला" है। हम तीस्ता सेतलवाड़ सहित सभी मानवाधिकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं।

सेतलवाड़ करीब दो दशकों से दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रही है। उनकी किताब ‘फुट सोल्जर ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन’ में गुजरात दंगों के कई सबूत दिए गए हैं। प्राथमिकी में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार और निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट का भी नाम है, जो पहले से ही एक अन्य मामले में जेल में बंद है। तीनों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज़ किया गया है, जिसमें 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में उपयोग करना), 120 (बी) (आपराधिक साजिश), 194 देना या पूंजी अपराध की दोषसिद्धि हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत गढ़ना) और 211 (घायल करने के इरादे से अपराध का झूठा आरोप) जैसी धाराएँ शामिल हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

CPI(M) Protest March in Kolkata Demands Release of Teesta Setalvad

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