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कज़ाख़िस्तान में पूरा हुआ CSTO का मिशन 

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बुधवार को क्रेमलिन में रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु के साथ कज़ाख़िस्तान मिशन के बारे में कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीट ऑर्गनाइजेशन की “वर्किंग मीटिंग” के बाद दी गई चेतावनी को सावधानी से विश्लेषित करने की आवश्यकता है। 
CSTO
कज़ाख़िस्तान के अल्माटी में 13 जनवरी 2022 में सीएसटीओ मिशन के समापन समारोह के दौरान राष्ट्रीय ध्वज को समेटते रूसी सैनिक। 

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की क्रेमलिन में बुधवार को रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु के साथ के सीएसटीओ के कज़ाख़िस्तान मिशन के बारे में चेतावनी को सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने की आवश्यकता है। 

जैसा कि पुतिन का स्वभाव है, वे कहे से ज्यादा बिना कहे बहुत कुछ कह जाते हैं। 

पुतिन ने पूरी दुनिया, मध्य एशिया, एशिया-प्रशांत, यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका तक के श्रोता-दर्शकों को ध्यान में रखते हुए यह बात की- लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता रूसी जनता के प्रति खुद को जवाबदेह रखना है। 

65 प्रतिशत रेटिंग वाले एक राजनेता के लिए इस तरह की अपनी जवाबदेही को सावधानीपूर्वक दर्शाने की वास्तव में आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन पुतिन जो अपने पूरे राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान अपने निर्णयों और राजनय को रूसी जनता के प्रति युक्तिसंगत बनाने के दायित्व की गहरी भावना का प्रदर्शन करते रहे हैं, उनके लिए ऐसा करना लाजिमी है। 

यह रूस के वर्तमान इतिहास में, और विशेष रूप से इस महत्त्वपूर्ण क्षण में और अधिक होना चाहिए, जब पश्चिमी देशों, विशेष रूप से बाइडेन प्रशासन द्वारा "छद्म युद्ध" और दुष्प्रचार के जरिए रूस में फूट के बीज डालने का चलाया जा रहा अभियान अपने चरम पर है। 

क्रेमलिन की फटकार से कम से कम आधा दर्जन मायने निकलते हैं। सबसे पहले और सबसे महत्त्वपूर्ण तो यह कि पुतिन ने अपने लोगों के साथ राष्ट्रीय गौरव की अपनी अपार भावना को साझा किया कि जैसा कि ओल्ड टेस्टामेंट कहता है, "जैसे ही आसमान में उसने बादल का एक टुकड़ा देखा, जो एक आदमी के हाथ की हथेली का आकार का था, जो समुद्र से ऊपर उठ रहा था", वैसे ही वे फुर्ती से "हमारे सबसे जिगरी दोस्त और सहयोगी" कज़ाख़िस्तान की रक्षा के लिए आगे आए। 

दूसरा, सीएसटीओ का बपतिस्मा शुरू से आलोचना का शिकार रहा है, और आखिरकार, अब उसे पीछे मुड़कर नहीं देखना है। इसका मिशन "घड़ी की तरह काम किया है : फुर्ती से, अबाध गति और कुशलता से।" 

यूरेशियन महाद्वीप पर एक सुरक्षा संगठन अपनी बसावट और नाम के साथ नामूदार हुआ है। और "सोवियत-संघ युग के बाद खाली पड़ी जगह" में सामूहिक सुरक्षा के सिद्धांत को व्यवहार में आजमाया गया है,और इसने शानदार ढंग से काम किया है। 

इस सैन्य गठबंधन के सबसे छोटे सदस्य देश आर्मेनिया (जिसकी जनसंख्या महज 30 लाख है) ने इस मिशन का नेतृत्व किया है। इस तथ्य पर पुतिन ने विशेष रूप से ध्यान दिया है। 

तीसरे, कज़ाख़िस्तान में एक जटिल स्थिति पैदा हो गई थी, जहां ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर उबाल खाए लोगों के विरोध प्रदर्शनों को सशस्त्र समूहों ने अपने अलग एजेंडे से हथिया लिया था। उन्होंने राज्य के प्रशासनिक तंत्र को पंगु बनाने की नीयत से उसके "सुरक्षा बलों को अपने घेरे में ले लिया था और उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया" था। 

सीएसटीओ बलों ने उनसे निबटने के लिए कजाख की सभी महत्त्वपूर्ण संरचनाओं और बुनियादी सुविधाओं की सुरक्षा का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया। इसके बाद, 1600 कज़ाख सैन्यकर्मियों और कानून लागू करने वाली इकाइयों को आतंकवादियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने और उन पर तेजी से काबू पाने के लिए खुली छूट दे दी गई। 

चौथा, कज़ाख़िस्तान में स्थिति एक हफ्ते में ही पूरी तरह से स्थिर हो गई है। बृहस्पतिवार से सीएसटीओ की सैन्य टुकड़ियों की अपने बैरक में वापसी शुरू हो गई है, जो 19 जनवरी तक पूरी हो जाएगी। यह एक साझा प्रयास था, जिसे बेहद शानदार ढंग से अंजाम दिया गया। 

पांचवां, पुतिन ने जनरल स्टाफ को आदेश दिए हैं कि रूसी सीमा के पार उत्पन्न आकस्मिक संकट का हल करने के लिए सैन्य तैनाती से जुड़े कज़ाख मिशन के अनुभवों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण" किया जाए और "यदि आवश्यक हो तो तदनुसार उसमें सुधार किया जाए।" जाहिर है कि  क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में यह एक नया खाका उभर रहा है। 

अंत में, पुतिन ने इस मिशन की कामयाबी की शाबाशी देने के लिए सैन्य विमानन परिवहन शब्द का चुनाव किया। इसे अमेरिका समर्थित नेतृत्व द्वारा कीव में नई स्थिति पैदा करने के किसी दुस्साहसवाद के खिलाफ एक प्रतिरोधक के रूप में धरातल पर काम करना है। 

सीएसटीओ मिशन की परिणति अमेरिका के दुष्प्रचारकों, विशेष रूप से उसके बड़बोले विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के लिए एक बड़ी फटकार है। लेकिन यह चेतावनी किसी भी प्रकार के विवाद से बचती है और राजनीतिक कारणों से उकसाने वालों की भरपूर उपेक्षा करती है। दरअसल, पत्थर फेंकने वाले अब खुद ही खामोश हो गए हैं। 

संकट में अपने सहयोगियों की मदद के लिए सैन्य बल का उपयोग करने के लिए रूसी राजनीतिक इच्छाशक्ति के इस प्रदर्शन का पूरे मध्य एशियाई क्षेत्र और कैस्पियन और काकेशस में एक बड़ा संदेश गया है। अज़रबैजान और तुर्की को इस तथ्य से उचित निष्कर्ष निकालने के लिए छोड़ दिया गया है कि संकट का समय आने पर अर्मेनियाई नेतृत्व क्रेमलिन के साथ लॉकस्टेप में चला गया था। 

निस्संदेह, पिछले दस दिनों के गहरे अनुभव ने रूसी-कजाख गठबंधन को और मजबूत करने में योगदान दिया है।मास्को तोकायेव के नेतृत्व का समर्थन कर रहा है।इसके व्यापक भू-राजनीतिक प्रभाव हैं। अब फाइव आईज के लिए मध्य एशिया में कहीं भी चीन या रूस को अस्थिर करने के लिए आधार प्राप्त करना लगभग असंभव है। 

कज़ाख अधिकारियों ने अपने देश में तख्तापलट की साजिश रचने के लिए विदेशों में बैठे "एक मात्र सूत्रधार" की ओर उंगली उठाई है। यदि उस "अकेली स्रोत" की रणनीति रूस की 7600 किलोमीटर लंबी खुली दक्षिणी सीमा की सुरक्षा के लिए ऐसे वक्त चुनौती पेश करने की थी, जब क्रेमलिन पश्चिमी सीमा पर नाटो और अमेरिका से गंभीर सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, तो चीजें अलग तरह से अपना काम कर चुकी हैं। मॉस्को ने बहुत ही थोड़े में सेना को कई मोर्चों पर लामबंद करने, उसे तैनात करने और उसे संचालित करने की अपनी सैन्य क्षमता दिखाई है। 

शोइगु ने अपने वक्तव्य में कज़ाख़िस्तान में सीएसटीओ मिशन में रूसी एयरबोर्न फोर्सेज के कमांडर जनरल आंद्रेई सेरड्यूकोव के नाम का "जमीन स्तर पर बलों के कमांडर" के रूप में उल्लेख किया। 

यूक्रेन के ही डोनेट्स्क क्षेत्र के रहने वाले जनरल ने दो चेचन्याई युद्धों (1994-1996 तथा 1999-2009 के दौरान) और 2014 से क्रीमिया और डोनबास में चलाए गए अभियानों में काफी ख्याति अर्जित की थी। पुतिन ने हाल ही में अमेरिका पर चेचन्या में इस्लामी उग्रवाद को भड़काने और समर्थन करने का सीधे तौर पर आरोप लगाया था और दावा किया कि इसका अनुभवजन्य साक्ष्य है। 

वर्तमान में इस महत्त्वपूर्ण मोड़ पर कज़ाख़िस्तान मिशन की कमान के लिए सेरड्यूकोव का चुनाव और क्रेमलिन की चेतावनी की सुर्खियां पश्चिम के लिए एक बड़ा संदेश देती हैं। 

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे गए लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

CSTO’s Mission Accomplished in Kazakhstan

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