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परिवार के किसी सदस्य के कोरोना से संक्रमित होने पर उम्मीदवार सीए परीक्षा से हट सकते हैं : न्यायालय

पीठ ने कहा कि आईसीएआई की योजना के अनुसार ऐसे उम्मीदवार को परीक्षा से हटने (ऑप्ट-आउट) की अनुमति दी जाएगी और इसे प्रयास के रूप में नहीं गिना जाएगा तथा ऐसे उम्मीदवार को अगली परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा मुहैया करायी गयी योजना पर्याप्त नहीं है। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि सीए की आगामी परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवार इससे हट सकते हैं, अगर वे या उनके परिवार का कोई सदस्य कोविड-19 से पीड़ित हुआ है।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि परीक्षा से हटने के अनुरोध के साथ परिवार के सदस्यों के लिए किसी पंजीकृत चिकित्सक द्वारा जारी चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाता है तो उम्मीदवार को आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट पेश करने की आवश्यकता नहीं है।

पीठ ने कहा कि कोई उम्मीदवार जो खुद कोरोना से संक्रमित रहा है या उसके परिवार का कोई भी सदस्य इस बीमारी की चपेट में आया है और वह इस वजह से परीक्षा में शामिल होने या परीक्षा की तैयारी में असमर्थ है, तो वह परीक्षा से हटने का विकल्प चुन सकता है। पीठ ने कहा कि किसी उम्मीदवार के इस वजह से परीक्षा से हटने को उसके प्रयासों में नहीं गिना जाएगा। ऐसे उम्मीदवार पुराने और नए पाठ्यक्रम दोनों के लिए अगली परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।

परीक्षा की अवधि के दौरान लॉकडाउन से प्रभावित उम्मीदवारों के संबंध में पीठ ने कहा कि आईसीएआई की योजना के अनुसार ऐसे उम्मीदवार को परीक्षा से हटने (ऑप्ट-आउट) की अनुमति दी जाएगी और इसे प्रयास के रूप में नहीं गिना जाएगा तथा ऐसे उम्मीदवार को अगली परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।

पीठ ने कहा कि यह भी स्पष्ट किया जाता है कि यदि कोई उम्मीदवार परीक्षा के दौरान कोविड-19 से पीड़ित हो जाता है तो उसे परीक्षा से हटने की अनुमति दी जाएगी और इसे प्रयास के रूप में नहीं गिना जाएगा। वे अगले साल परीक्षा दे सकते हैं। उम्मीदवारों को नियमानुसार ‘बैकअप’ परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि आईसीएआई द्वारा दायर नोट में कुछ गंभीर मुद्दों का जिक्र नहीं किया गया है और यह उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने आरटी-पीसीआर रिपोर्ट के मुद्दे का जिक्र किया।

पीठ उम्मीदवारों के लिए ‘ऑप्ट-आउट’ विकल्प, परीक्षा स्थगित करने और इस साल केंद्रों की संख्या में वृद्धि सहित विभिन्न राहत के अनुरोध वाली कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही थी।

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