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कार्टून क्लिक: कुछ जल्दी ही सारा काम (तमाम) नहीं हो गया!

प्रधानमंत्री को शायद याद नहीं कि जिस तेजी से उन्होंने ये काम कंप्लीट किया है, वैसे ही उन्होंने बाकी चीजों का भी काम तमाम.... SORRY.. काम कंप्लीट किया है, जैसे...
कार्टून क्लिक: कुछ जल्दी ही सारा काम (तमाम) नहीं हो गया!

हमारी इस सरकार का भोजन है ''क्रेडिट''. क्रेडिट खाकर ही इस सरकार की साँस चल रही हैं. खाती पहले की सरकारें भी थीं, लेकिन उनके लिए ''क्रेडिट'' डेली का भोजन न होकर, खीर-पूरी की तरह कभी-कभार खाने वाला भोजन हुआ करता था. जिसे वो हफ्ते, दो हफ्ते में खाया करती थीं, लेकिन मोदी सरकार ने क्रेडिट को सुबह-शाम-दुपहर, मंगल-बुध-गुरु-शुक्र-शनि, जनवरी-फरवरी-मार्च, सर्दी-गर्मी बरसात हर मौसम में खाने की चीज बना लिया है. 

इसमें भी करतब की बात ये है कि ये हर तरह का क्रेडिट नहीं खाते, जैसे किसान आंदोलन का क्रेडिट नहीं खाते, न 9 महीने में मारे गए किसानों का क्रेडिट नहीं खाते, न कोविड में मारे गए लाखों लोगों का क्रेडिट खाते, न अस्पतालों में खत्म हुई ऑक्सीजन का क्रेडिट खाते। न सर के बल जमीन पर लेटी अर्थव्यवस्था का क्रेडिट लेते। न बेरोजगारी में मारे-मारे फिरते नौजवानों का क्रेडिट लेते, न बढ़ती महंगाई का क्रेडिट लेते, न पेट्रोल-डीजल-दामों का क्रेडिट लेते। वैसे ये ऐसी सरकार है कि राशन के साथ दिए जाने वाले पांच रुपये के झोले का भी क्रेडिट न छोड़े, जिसमें पांच किलो अनाज होता है और पच्चीस नेता जी की फोटो।

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ''डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स'' का उद्घाटन करते हुए कह रहे हैं कि ''डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स का भी जो काम 24 महीने में पूरा होना था वो सिर्फ 12 महीने के रिकॉर्ड समय में कंप्लीट किया गया है।''. 

लेकिन प्रधानमंत्री को शायद याद नहीं कि जिस तेजी से उन्होंने ये काम कंप्लीट किया है, वैसे ही उन्होंने बाकी चीजों का भी काम तमाम.... SORRY.. काम कंप्लीट किया है, उन्होंने अंग्रेजों के जमाने में आई रेलवे का भी काम तमाम,,,, सॉरी कंप्लीट कर दिया है, जो काम पिछले साठ साल में हुआ, उसे भी कुछ ही साल में ठिकाने लगा दिया है। जिस LIC को लोग सत्तर साल से ''जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी'' मानकर चल रहे थे, अब वो अपनी ही जिंदगी बचाने में लगी हुई है, उसे नहीं मालूम कि अब उसकी ही जिंदगी के साथ और बाद में कोई है कि नहीं'' यही हाल बीएसएनएल और एयर इंडिया जैसी कंपनियों का है। 

हवाई चप्पल वालों को हवाई जहाज में उड़ाने की कहने वाले मोदी जी के दिन रात के परिश्रम से आज हवाई जहाज की हालत चप्पल पहनने की हो गई है. ये वैसे ही है जैसे फ्री की दावत खाने के लिए भंडारे में गए, अंदर गए तो भंडारा खत्म और बाहर आए तो चप्पल गायब। यही हाल यहां हवाई जहाज और हवाई चप्पल वालों दोनों का हुआ है। अच्छे दिन की तलाश में... सॉरी जिंदगी की तलाश में मौत के कितने पास आ गए..वाली हालत है।

पर प्रधानमंत्री इतने उदार और बड़े दिल वाले हैं कि इनका क्रेडिट नहीं लेते। इनका क्रेडिट विपक्ष के लिए छोड़ देते हैं, वैसे ही जैसे ''खुशियां बांटने से खुशियां बढ़ती हैं'' वैसे ही मोदी जी क्रेडिट भी शेयर करते हैं, बढ़िया बढ़िया खाया खुद, खराब खराब विपक्ष के लिए, कम्युनिस्टों के लिए।

हंसी-मजाक के इतर प्रधानमंत्री अपने प्रिय भोजन ''फुटेज, कैमरा और क्रेडिट'' के इतने प्रेमी हैं कि डिफेंस कार्यालयों का उद्घाटन भी किसी डिफेंस या सेना से जुड़े आदमी पर नहीं कराया, न किसी सेनाध्यक्ष से, न किसी जनरल से, मेजर से, न रक्षा मंत्री से. प्रधानमंत्री भोजन के रूप में ''फुटेज'' का सेवन तो तब से ही कर रहे हैं जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद, जब JNU में स्थापित की गई एक मूर्ती का उद्घाटन भी उन्होंने ही कर दिया, तब से ये यकीन बढ़ गया है कि जल्द ही मोहल्ले में बनने वाली नालियों और खड़ंजों का उद्घाटन भी वे ही किया करेंगे।

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