...साहिब का "रेड कार्पेट" वेलकम!
...सर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, पीएम आ सकते हैं। अब इसके आगे कुछ कहने या लिखने की आवश्यकता नहीं है। आप समझ ही गए होंगे कि ये कार्टून किस तरफ़ इशारा कर रहा है
और ये पंक्तियां किस पीड़ा से लिखी जा रही हैं, जी नहीं, उस दुख या पीड़ा की बात हम नहीं कर रहे जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोरबी पुुल हादसे के बाद भी कल, 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर हुए कार्यक्रम में जताई। कि मेरा दिल मोरबी में है, लेकिन मैं कर्तव्य पथ पर हूं। आज उसी चुनावी पथ...सॉरी कर्तव्य पथ पर चलकर वे मोरबी सिविल अस्पताल जा रहे हैं, जहां उनके स्वागत की ऐसी तैयारियां की जा रही हैं जैसे कोई उत्सव या उदघाटन कार्यक्रम की तैयारी की जाती हैं।
अरसे से बेहाल-बदहाल अस्पताल को झटपट सजाया जा रहा है, यानी अपनी नाकामी को छिपाया जा रहा है। जैसे मोरबी पुल हादसे के पीछे सरकार और भ्रष्ट तंत्र की नाकामी को छिपाने की कोशिश की जा रही है। जैसे प्रधानमंत्री अपने चुनाव प्रचार की लालसा छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे ही बिल्कुल उनके गृह राज्य गुजरात का यह अस्पताल कर रहा है। अस्पताल में तुरत-फुरत में प्लास्टर और रंग-रोगन किया जा रहा है। बंद पड़े पानी के कूलर बदले जा रहे हैं। मरीजों को नए गद्दे और बेडशीट दी जा रही है। ख़ैर…..अब तैयारी पूरी है, लाल कालीन बिछ चुका यानी रेड कार्पेट वेलकम की तैयारी हो चुकी है, भले ही यह मृतकों और घायलों के खून से लाल है।
पीएम की मुलाकात से पहले मोरबी सिविल अस्पताल की पुताई शुरू !
जिसने भी ऑर्डर दिए उनको शर्म आनी चाहिए,
जब सफाई रखनी थी तब रख नही पाए, और जब इतनी मौत होने के बाद देश रो रहा हैं तब आप रंगरोगान कर रहे हैं. #GujaratModel pic.twitter.com/LJC69cFCmt
— Shankersinh Vaghela (@ShankersinhBapu) November 1, 2022
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