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अग्निवीर की पकी फ़सल के इंतज़ार में भारत का कॉर्पोरेट जगत

कॉर्पोरेट भी इस योजना से सस्ते और युवा मजदूरों की देश में तैयार होती खेती के इंतज़ार में सपने संजोने लगा है। महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने सोमवार को कहा कि महिंद्रा समूह इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित, सक्षम और युवा अग्निवीरों का अपने यहां भर्ती के लिए स्वागत करेगा।
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हाल में केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई सेना भर्ती योजना 'अग्निपथ' का विरोध पूरे देश में तेज होता जा रहा है। ऐसा कोई राज्य नहीं रह गया है जो इन प्रदर्शनों से अब अछूता हो।

इसी बीच प्रदर्शनों और युवाओं का गुस्सा फूटता देख सेना ने कल एक प्रेस कांफ्रेंस की। अग्निपथ योजना पर सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि सेना में बढ़ती औसतन उम्र को देखते हुए यह सुधार लंबे समय से लंबित था।

अब तक केंद्र द्वारा लाए गए सभी कानूनों और सरकारी योजनाओं पर जैसा सरकार का हठी रवैया देखने को मिला है, उन्होंने उसे ही कुछ अपने अंदाज में पेश करते हुए कहा कि, "यह योजना किसी भी हाल में वापस नहीं होगी।"

शायद वो प्रेस कॉन्फ्रेंस संबोधित करने से पहले इस सरकार का "यू टर्न का इतिहास" पढ़ना भूल गए थे।  

इसी बीच, कॉर्पोरेट भी इस योजना से सस्ते और युवा मजदूरों की देश में तैयार होती खेती के इंतज़ार में सपने संजोने लगा है।

महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने सोमवार को कहा कि महिंद्रा समूह इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित, सक्षम और युवा अग्निवीरों का अपने यहां भर्ती के लिए स्वागत करेगा।

उन्होंने रक्षा सेवाओं में चार साल के कार्यकाल के लिए 17.5 साल से 23 साल तक के युवाओं की भर्ती योजना पर कहा कि इन अग्निवीरों के लिए कॉरपोरेट क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

महिंद्रा ने ट्वीट किया, ‘‘अग्निपथ कार्यक्रम के विरोध में हुई हिंसा से दुखी हूं। जब पिछले साल इस योजना पर विचार किया गया था, तो मैंने कहा था और उस बात को मैं दोहराता हूं- अग्निवीरों का अनुशासन और कौशल उन्हें रोजगार के योग्य बना देगा।’’

शायद कुछ सालों में हमें देखने को मिले कि भारत का कॉर्पोरेट जगत भी सरकार से प्रेरणा लेकर अपनी कंपनियों में 4 साल के ठेके पर कामगारों को रखे और "बूढ़े हाथों" की छंटनी करने लगे। यह भी मुमकिन है कि फिर सरकार ही दोबारा लेबर कोड में बदलाव कर इसे कानूनी जामा भी पहना दे। 

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