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कार्टून क्लिक: चीन हां जी….चीन ना जी

पूछने वाले पूछ रहे हैं कि जब मोदी जी ने अपने गृह राज्य गुजरात में ही देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति चीन की मदद से स्थापित कराई है। देश की शान मेट्रो के डिब्बे भी चीन से बनकर आए हैं। और जब खुद भारत के चीन से व्यापारिक और राजनीतिक रिश्ते कायम हैं तो फिर इस संदेश के क्या मायने हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर नेपाल के लुंबिनी पहुंचे थे। वह पहले यूपी के कुशीनगर पहुंचे और महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वहीं से हेलिकॉप्टर के जरिए सीधे लुंबिनी पहुंचे, जहां खासतौर पर हेलिपैड बनाया गया था। लेकिन वह लुंबिनी से महज 20 किलोमीटर दूर ही बने भैरहवा एयरपोर्ट पर नहीं उतरे, जो नेपाल का दूसरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। कहा जा रहा है कि इसकी वजह यह थी कि इस एयरपोर्ट को चीन की मदद से तैयार किया गया है और भारत इससे दूरी बनाते दिखना चाहता है। जबकि प्रधानमंत्री मोदी के लुंबिनी पहुंचने से कुछ ही घंटे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने भैरहवा में नेपाल के दूसरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया, जिसका नाम गौतम बुद्ध इंटरनेशनल एयरपोर्ट रखा गया है। ऐसे में इस एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का न उतरना चर्चाओं का विषय तो बनना ही था।

लेकिन पूछने वाले पूछ रहे हैं कि जब मोदी जी ने अपने गृह राज्य गुजरात में ही देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति चीन की मदद से स्थापित कराई है। देश की शान मेट्रो के डिब्बे भी चीन से बनकर आए हैं। और जब खुद भारत के चीन से व्यापारिक और राजनीतिक रिश्ते कायम हैं तो फिर इस संदेश के क्या मायने हैं।

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