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...ये भी बता देते कितने 'देशभक्त पार्टी' के हैं!

प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी आंकड़ों में ये बात सामने आई है कि PMLA के तहत कुल दर्ज मामलों में से 2.98 फीसदी मामले राजनेताओं के ख़िलाफ़ हैं, लेकिन आज दौर में ये सवाल तो पूछना बनता है कि ये सभी विपक्षी हैं या इनमें कुछ हमारी 'देशभक्त पार्टी' के भी हैं!
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यूं तो आज के दौर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को हमारी 'राष्ट्रवादी सरकार' एक बेहद ताकतवर और सशक्त संस्था का तमगा देती है दावा करती है कि 'आज की' ये ताकतवर ED बड़े से बड़े नेताओं को भी नहीं छोड़ती है लेकिन आंकडें तो कुछ और ही कहते नज़र आते हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग के ख़िलाफ़ ED की ताकत और कार्रवाई की बड़ी-बड़ी बाते की जाती हैं लेकिन जब ख़ुद ED आंकडें जारी करती है तो तस्वीर कुछ और ही नज़र आती है ख़ासकर तब जब मामला हमारे 'पाक-साफ़' राजनेताओं का हो।

वैसे तो ED कई कारणों से आजकल चर्चा में रहता है हालांकि इसबार ED अपने द्वारा पेश किए एक आंकड़े की वजह से चर्चा में है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी आंकड़ों में ये बात सामने आई है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कुल दर्ज मामलों में से महज़ 2.98 फीसदी मामले राजनेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज हैं।

उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक़ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जनवरी 2023 तक कुल 5,096 मामले दर्ज किए हैं। इन 5,096 मामलों में से केवल 176 (2.98 फीसदी) मामले ही वर्तमान अथवा पूर्व सांसदों, विधायकों या राजनेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज हैं।

लेकिन अगर ईडी ये भी बता देती कि इन 176 राजनेताओं में कोई एक हमारी देशभक्त पार्टी यानी केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का भी है तो ईडी की वाहवाही कुछ और होती। 

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