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‘हेट स्पीच’ के मामले 6 गुना बढ़े, कब कसेगा क़ानून का शिकंजा?

2014 में देश में हेट स्पीच के कुल 336 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2020 में 1,804 मामले दर्ज हुए हैं। कुल मिलाकर सात साल में हेट स्पीच के मामले छह गुना तक बढ़े हैं।
hate speech
फाइल फोटो।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के ख़ैराबाद में मुस्लिम महिलाओं को रेप की धमकी देने वाले महंत बजरंग मुनि को तक़रीबन दो सप्ताह बाद यूपी पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है।

यूपी पुलिस ने अनुपम मिश्रा उर्फ बजरंग मुनि को सीतापुर में गिरफ्तार किया, रात में ही उसे कोर्ट में पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि योगी सरकार वन और टू में बजरंग मुनि नामी ऐसा एक मात्र ‘महंत’ है जिसे हेट स्पीच के मामले में यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है।

2014 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद हेट स्पीच के मामलों में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है, इसका अंदाज़ा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों से भी पता चलता है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक़ देश में हर साल धारा 153A के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2014 में देश में हेट स्पीच के कुल 336 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2020 में 1,804 मामले दर्ज हुए हैं। कुल मिलाकर सात साल में हेट स्पीच के मामले छह गुना तक बढ़े हैं।

क्या है हेट स्पीच ?

साल 2017 में लॉ कमीशन ने 267वीं रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में लॉ कमीशन ने हेट स्पीच पर भी प्रकाश डाला था। लॉ कमीशन के मुताबिक़ 'हेट स्पीच कोई भी लिखा या बोला हुआ शब्द, इशारा, कोई प्रस्तुति हो सकता है, जिसे देखकर या सुनकर डर पैदा हो या हिंसा को बढ़ावा मिले।'

भारत में भड़काऊ भाषण देने पर भारतीय दंड सहिंता की धारा 153A और 153AA के तहत मामला दर्ज किया जाता है.कई मामलों में धारा 505 भी जोड़ी जाती है। इसके तहत भड़काऊ भाषण करना अपराध है। लेकिन अब यह अपराध आम होता जा रहा है। इस अपराध को करने वाले ‘अपराधियों’ के हौसले इसलिये भी बुलंद हैं क्योंकि पुलिस की ओर से उन पर उचित कार्रावाई नहीं की जाती।

हेट स्पीच और पुलिस कार्रवाई

मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय के सभागार में 11 जनवरी को ‘हिंदू पंचायत’ आयोजित हुई। इस पंचायत में शंकराचार्य परिषद के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने मुसलमान एंव ईसाई समुदाय के ख़िलाफ भड़काऊ भाषण तो दिये ही इसके अलावा अपनी फौज बनाने का भी आह्वान किया।

आनंद स्वरूप ने कहा कि “हम अपनी तैयारी के साथ काम करते हैं, हम पुलिस के बल पर काम नहीं करते, आने वाले तीन वर्षों में हमें एक करोड़ युवाओं की फौज चाहिए जो तलवार से लैस हो।अब स्वंयसेवक की जरूरत नहीं है, स्वंय सेना की जरूरत है, आप अपने पास हथियार रखिये, भाला रखिये, त्रिशूल रखिए, तलवार रखिए, अब युद्ध की घोषणा हो चुकी है, युद्ध का शंखनाद शंकराचार्य परिषद ने कर दिया है और यह युद्ध हिंदू राष्ट्र बनने तक जारी रहेगा।”

आनंद स्वरूप ने इसके अलावा मुसलमानों और ईसाईयों के ख़िलाफ भड़काऊ भाषण देते हुए कहा कि “यदि तुम (मुसलमान) मुझसे जुड़े रहना चाहते हो तो सबसे पहले तुमको कुरान छोड़ना होगा, नमाज़ छोड़ना होगा। आप (हिंदू) यह तय कीजिये कि मुसलमान की दुकान से कोई सामना नहीं खरीदेंगे, आप उनका (मुसलमानों का) आर्थिक बहिष्कार करिये, सामाजिक बहिष्कार करिये राजनीतिक बहिष्कार करिये, सब इस्लाम छोड़-छोड़कर हिंदू धर्म में आएंगे और जो बचेगा वह चार साल बाद जब हिंदू राष्ट्र बनेगा तो उसे मताधिकार नहीं होगा। हिंदू राष्ट्र में किसी भी मुस्लिम और ईसाई को मतदान का अधिकार नहीं होगा।” आनंद स्वरूप ने इसके अलावा इस्लामिक धर्म ग्रंथ कुरान पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की।

सीसीएस यूनिवर्सिटी के वीडियो

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। माकपा नेता पूर्व सांसद सुभाषिनी अली सहगल ने उत्तर प्रदेश डीजीपी को पत्र लिख कर मुकदमा दर्ज  कर कार्रवाई करने दिलाने की मांग की। मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह ने उस दौरान कहा, 'हमें अभी तक कॉलेज के कर्मचारियों से कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन साइबर सेल इस मामले की जांच कर रही है।' वहीं चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय के वीसी एनके तनेजा ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ‘कॉलेज या यूनिवर्सिटी का इस आयोजन से कोई लेनादेना नहीं है। हम लोगों ने कार्यक्रम करने के लिए सिर्फ जगह दी थी। यह आयोजन यूनिवर्सिटी का नहीं था।’ जबकि प्रोफेसर तनेजा इस ‘हिंदू पंचायत’ में शामिल थे।

हेट स्पीच के इस मामले को एक साल से भी अधिक समय बीत गया है। विश्विद्यालय के तत्कालीन वीसी एन.के तनेजा भी सेवानिवृत होने के बाद अधिकारिक तौर से आरएसएस से जुड़ चुके हैं। उन्हें पिछले महीने आरएसएस ने मेरठ प्रांत का सह संघचालक नियुक्त किया है।

वहीं आनंद स्वरूप भी लगातार ‘पंचायतें’ में शामिल होकर हिंदू राष्ट्र बनाने के अपने ‘मिशन’ के आगे बढ़ा रहे हैं। वे हरिद्वार में आयोजित चर्चित ‘धर्म संसद’ में शामलि थे। चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में हेट स्पीच मामले में उन पर क्या कार्रावाई हुई?यह जानने के लिये हमने मेरठ के सीओ सिविल लाइन देवेश सिंह से संपर्क किया।

देवेश सिंह ने कार्रावाई के सवाल पर दो टूक कहा कि ‘कोई कार्रावाई नहीं हुई।’ यह पूछे जाने पर कि कार्रावाई क्यों नहीं हुई? तो उन्होंने फ़ोन पर बात करने में असहजता का हवाला देकर कॉल कट कर दिया। हमने अपने सवालों मेरठ के एसपी सिटी क्राइम को भी मेल किए हैं, लेकिन इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक उनका जवाब नहीं आया।

यति की ज़हरवाणी और यूपी पुलिस

बीते एक वर्ष में यति नरसिंहानंद सरस्वती का नाम मीडिया की सुर्खियों में रहा है। नरसिंहानंद का असली नाम दीपक त्यागी है वह जूना अखाड़ा का महामंडलेश्वर भी है। हाल ही में यति ने दिल्ली के बुराड़ी में एक हिंदू महापंचायत में कहा था कि अगर देश में मुस्लिम प्रधानमंत्री बनता है, तो अगले 20 साल में 50% हिंदुओं का धर्मपरिवर्तन हो जाएगा।

इसके साथ ही यति ने हिंदूओं से हथियार उठाने का आह्वान किया था। हरिद्वार ‘धर्म संसद’ में भड़काऊ बयान देने के आरोप का सामना करने वाला यति ज़मानत पर बाहर है। यति द्वारा मुसलमानों के ख़िलाफ भड़काऊ भाषण देने के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं पर अमर्यादित टिप्पणियां करने से लेकर भाजपा की महिला नेत्रियों पर अमर्यादित टिप्पणियां की गईं हैं।

महिलाओं पर इस कथित साधू की अमर्यादित टिप्पणियों पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी एक्शन लिया है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा कई बार यति नरसिंहानंद की शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन यूपी पुलिस की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया गया। पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो यति के खिलाफ जिले के विभिन्न थानों में संगीन धाराओं के 9 मामले दर्ज हैं जिनमें से तीन केस केवल महिलाओं के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के ही हैं। महिला आयोग की अध्यक्ष ने 10 जनवरी 2022 को यूपी के डीजीपी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम की धारा 10 (1) 1990 का हवाला देते कहा था कि किसी महिला को घूरना और फब्तियां कसना आदि अपराध है। लेकिन इसके बावजूद यति नरसिंहनंद को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया।

क़ानून के राज़ पर उठते सवाल

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह, यति नरिसंहानंद की गिरफ्तारी के लिये राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा डीजीपी को पत्र लिखे जाने पर हैरानी जताते हैं। विक्रम सिंह का कहना है कि यह डीजीपी के स्तर का मामला ही नहीं है, यह मामला तो स्थानीय पुलिस का है। ज़ाहिर है स्थानीय पुलिस ने सही काम नहीं किया इसीलिये महिला आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखा है। इस संवाददाता से बात करते हुए पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि क़ानून की आंखों पर पट्टी इसलिये है क्योंकि क़ानून की नज़र में सब बराबर हैं, उसकी नज़र में कोई भाई भतीजा नही हैं, क़ानून में कोई माफी का ख़ाना नहीं है। फिर चाहे मेरे पिता हों या बेटा अगर हम यह ‘ट्रेंड’ बनाने लग जाएं कि हमारे बेटा है, या हमारा रिश्तेदार है इसलिये नरमी बरती जाए तो फिर तो चल क़ानून का राज चल चुका! विक्रम सिंह कहते हैं कि इस वक्त मश्विरा नहीं बल्कि नसीहत देने की जरूरत है कि यदि कोई भी क़ानून की लक्ष्मण रेखा तोड़ता है तो उसके साथ क़ानून वही व्यवहार जिसका वह हक़दार है।

हेट स्पीच देने वाले कथित ‘बाबओं’ की गिरफ्तारी न होने पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए विक्रम सिंह कहते हैं कि क़ानून किसी तरह का भेदभाव नहीं मानता है, जो भी क़ानून का उल्लघन कर रहा है, फिर वह अकबरुद्दीन ओवैसी हों या फिर कोई तथाकथित महंत किसी के साथ नरमी बरतने की जरूरत नहीं है। विक्रम सिंह अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं कि ये जो छुटभैय्ये नेता आज कल माहौल खराब करने के लिए हेट स्पीच फैला रहे हैं, हमारे वक्त में ऐसा करने की हिम्मत किसी में भी नहीं होती थी। क़ानून अगर दोहरे मापदंड लेकर चलेगा तो फिर क़ानून का राज स्थापित नहीं हो पाएगा। विक्रम सिंह ने बार-बार दोहराया कि कोई भी शख्स जो किसी के धर्म, जाति, समाज पर अमर्यादित टिप्पणी करता है तो क़ानून की नज़र में वह अपराधी है और उसे उसके अपराध की सज़ा मिलनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है, फिर क़ानून का राज स्थापित करने के दावे सिर्फ दावे ही हैं। योगी सरकार 2.0 में हेट स्पीच करने वाले बजरंग मुनि की गिरफ्तारी अपने पीछे सवाल छोड़ गई है कि यति नरसिंहानंद और स्वरूप आनंद जैसे ‘ज़हरजीवियों’ की गिरफ्तारी कब होगी?

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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