Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

छत्तीसगढ़: अनियमित कर्मचारियों का बघेल सरकार के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन, आंदोलन तेज़ करने की चेतावनी

प्रदेशभर के अनियमित कर्मचारियों ने भारी संख्या में एकत्र होकर अपना विरोध दर्ज करवाया, साथ ही सीएम बघेल के आवास घेराव के लिए भी निकले, जिन्हें के बाद में पुलिस द्वारा रोक लिया गया।
protest

छत्तीसगढ़ में चुनावी गहमागहमी के बीच सरकार के अलग-अलग विभागों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों ने भूपेश बघेल सरकार और सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के खिलाफ वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है। बीते रविवार,11 जून को नवा रायपुर में प्रदेशभर के अनियमित कर्मचारियों ने भारी संख्या में एकत्र होकर अपना विरोध दर्ज करवाया। इस दौरान हज़ारों प्रदर्शनकारी कर्मचारी सीएम बघेल के आवास घेराव के लिए भी निकले, जिन्हें बाद में पुलिस द्वारा रोक लिया गया। जिसके बाद इन कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा और जमकर नारेबाज़ी की।

बता दें कि छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा ने इस प्रदर्शन का ऐलान हफ्ते भर पहले ही कर दिया था। जिसके बाद इस धरना प्रदर्शन को प्रदेशभर के कई अन्य कर्मचारी संघों और संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया था। ये सभी अनियमित कर्मचारी बीते लंबे समय से सरकार के समक्ष अपनी मांगों को लेकर गुहार लगा रहे हैं, साथ ही कांग्रेस को उसके मेनिफेस्टो में किए वादे की भी याद दिला रहे हैं लेकिन अब तक सरकार का कोई सकारात्मक रुख सामने नहीं आया है।

चरणबद्ध होगा प्रदर्शन, आंदोलन तेज़ करने की चेतावनी

अनियमित कर्मचारी मोर्चा के गोपाल प्रसाद साहू ने न्यूज़क्लिक को बताया कि ये अनियमित कर्मचारियों के प्रदर्शन का पहला चरण था। इसके बाद अगर दस दिन में सरकार की ओर से कोई पहल नहीं होती तो 25 तारीख को सभी कर्मचारी सभी अनियमित कर्मचारी प्रदेश भर में अपने घरों की दीवारों पर अपनी मांगों और उससे जुड़े दर्द को लिखेंगे। इसके बाद भी यदि सरकार मांगों पर फैसला नहीं करती तो तीसरे चरण में मानसून विधानसभा सत्र के दौरान बड़ा आंदोलन करेंगे।

इसे पढ़ें: छत्तीसगढ़: अनियमित कर्मचारी फिर सड़कों पर उतरने को तैयार, 11 जून को करेंगे सीएम आवास का घेराव

गोपाल प्रसाद साहू के मुताबिक नियमितीकरण को लेकर कर्मचारियों का संघर्ष बीते कई सालों से जारी है। साल 2018 में विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस और उसके नेताओं ने सभी कर्मचारियों से ये वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद 10 दिन के भीतर ही अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। उनके जन घोषणा पत्र में भी इसका लिखित जिक्र है। लेकिन अब जब सरकार का पूरा कार्यकाल समाप्त होने को है तब भी इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा, उलटा अनियमित कर्मचारियों की छंटनी पर आमादा है।

क्या है अनियमित कर्मचारियों की मांगें?

* समस्त अनियमित कर्मचारियों का नियमतिकरण।

* निकाले गए अनियमित कर्मचारियों की बहाली।

* आंशिक कर्मचारियों को पूर्णकालिक किया जाए।

* आउटसोर्सिंग ठेका बंद हो।

* दिवंगत शिक्षाकर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति मिले।

प्रदर्शन में शामिल कई कर्मचारियों ने बताया कि इस वक्त छत्तीसगढ़ में 5 से 6 लाख अनियमित कर्मचारी हैं, जो विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत हैं इसमें दैनिक वेतन भोगी से लेकर संविदा कर्मी, श्रमायुक्त दर पर कार्यरत श्रमिक, ठेका कर्मी और शिक्षाकर्मी समेत कई कैटेगरी के कर्मचारी शामिल हैं। इन कर्मचारियों को सरकार और इस चुनावी साल से बहुत उम्मीदें थी क्योंकि वो बीते कई सालों से इन विभागों में अनियमित कर्मचारियों के तौर पर काम कर रहे हैं, और नियमित होने का इंतज़ार भी। लेकिन सरकार इन्हें नियमित करना तो दूर इनकी छंटनी कर रही है, जिसे लेकर इनके सामने रोज़गार का नया संकट खड़ा हो गया है।

कहां तो नियमित करने का वादा था, कहां छटंनी शुरू हो गई

इन कर्मचारियों की मानें, तो कांग्रेस सरकार ने अपने वादे के विपरीत 10 हजार से अधिक अनियमित कर्मचारियों जैसे स्कूल सफाई कर्मचारी, महिला पुलिस वालेंटियर, अतिथि शिक्षकों, शिक्षण सेवक, स्वस्थ्य कर्मचारियों, ग्रामीण विकास विभाग के कंप्यूटर ऑपरेटरों की छंटनी कर दी, और ये छंटनी निरंतर जारी है। इतना ही नहीं मार्च 2017 के बाद न्यूनतम वेतन और अगस्त 2019 के बाद संविदा वेतन में बढ़ोत्तरी भी नहीं की गई। वहीं, ठेका कर्मियों का पहले से ही शोषण जारी है, ऐसे में सालों से बिना किसी सुविधा, साधन और नियुक्ति पत्र के नौकरी करने वाले ये छोटे कर्मचारी अब मजबूरन सड़कों पर उतर रहे हैं।

गौरतलब है कि इस प्रदर्शन को लेकर फिलहाल सरकार ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अपने एक बयान में कहा है कि अनियमित कर्मचारियों को लेकर सरकार गंभीर है और चुनाव से पहले इन कर्मचारियों के लिए कोई ना कोई निर्णय लिया जाएगा। हालांकि इस चुनावी साल में छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार अपने ही नियमितीकरण के वादे में उलझ गई है। मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ के हजारों संविदाकर्मी सभी 33 जिलों में नियमितीकरण रथ यात्रा निकाल रहे हैं, तो वहीं राज्य के युवाओं, महिलाओं और अन्य कर्मचारी संगठनों के निशाने पर सरकार पहले से ही है।

इसे भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ :'संविदा नियमितीकरण रथयात्रा' के 15 दिन पूरे, सरकार पर वादाख़िलाफ़ी कर नई भर्तियां करने का आरोप!

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest