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अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे सर्कस उद्योग को सरकारी सहायता की ज़रुरत

भाषा |
अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा यह उद्योग अब सरकार से मदद मांग रहा है, ताकि इस उद्योग को अपना जीवन समर्पित करने वाले रवींद्रन जैसे सैकड़ों कलाकारों और प्रभावित परिवारों की गुज़र-बसर हो सके।
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फ़ोटो साभार : Metro Vaartha

सर्कस में अपनी अद्भुत कलाबाजी के लिये जम कर तालियां बटोरने वाले गंगाधरन दशकों पुराने उन लम्हों को याद कर आज भी रो पड़ते हैं जब टेलीग्राम पर अपने पिता की मौत की खबर मिलने के कुछ ही देर बाद उन्हें जोकर की पोशाक पहन कर दर्शकों का मनोरंजन करने के लिये सर्कस रिंग में जाना पड़ा था।

चाहे कुछ भी हो जाए, शो जारी रहना चाहिए

सर्कस के तंबू में जन्मे गंगाधरन अब 72 साल के हो गए हैं। वह मानते हैं ‘‘चाहे कुछ भी हो जाए, शो जारी रहना चाहिए।’’

गंगाधरन के माता-पिता भी सर्कस में ही काम करने वाले कलाकार थे। बौने लोगों को सर्कस में अक्सर जोकर की भूमिका में दिखाया जाता है, लेकिन गंगाधरन छोटे कद के व्यक्ति नहीं हैं। वह एक अद्भुत कलाबाज है, जिससे उन्हें पहचान मिली।

पीटीआई-भाषा से बातचीत में गंगाधरन ने कहा, "शो मस्ट गो ऑन। यही सत्य है।"

कलाबाजी की अपनी अद्भुत क्षमता के कारण सर्कस के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बने गंगाधरन ने अपने हुनर के दम पर ममूटी, कमल हसन, मिथुन चक्रवर्ती जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ फिल्मों में भी काम किया, जिसका जिक्र वह बहुत गर्व से करते हैं।

तिरुवनंतपुरम के प्रसिद्ध पुथरीकंदम मैदान में चल रहे जंबो सर्कस के कलाकार गंगाधरन इससे पहले जेमिनी सर्कस के साथ थे। वह पिछले 35 वर्षों से भी अधिक समय से इस व्यवसाय में हैं।

ख़ून, पसीने और आंसुओं से बना सर्कस उद्योग अब चरमरा रहा

गंगाधरन जैसे कई लोगों के खून, पसीने और आंसुओं से बना सर्कस उद्योग अब चरमरा रहा है। कभी भारी भीड़ को आकर्षित करने वाले इस सबसे बड़े ‘‘लाइव शो’’ की स्थिति आज पहले से बिल्कुल उलट है।

इस चुनौतीपूर्ण लेकिन मनोरंजक पेशे में शामिल होने के लिए कोई नया कलाकार नहीं आ रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि अब सर्कस में जानवरों की प्रदर्शनी और बच्चों के कलाबाजी प्रशिक्षण पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

जंबो सर्कस के एक पूर्व ट्रैपेज कलाबाज और प्रशिक्षक रवींद्रन (87) ने पीटीआई-भाषा से कहा, "यह उद्योग लंबे समय तक नहीं चल सकता। हमारे पास प्रदर्शन के लिये प्रशिक्षित बच्चे नहीं हैं और जल्द ही मौजूदा कलाकार सेवानिवृत हो जाएंगे। हमारे पास नई तरकीबें सीखने के लिये कोई नहीं है, प्रदर्शन के लिये कोई जानवर भी नहीं है।"

रवींद्रन 87 वर्ष की उम्र में भी जंबो सर्कस में काम कर रहे हैं। अपने करियर के अनुभव और खूबसूरत यादों को उन्होंने सहेज कर रखा है।

अपने अस्तित्व के लिये संघर्ष कर रहा यह उद्योग अब सरकार से मदद मांग रहा है, ताकि इस उद्योग को अपना जीवन समर्पित करने वाले रवींद्रन जैसे सैकड़ों कलाकारों और प्रभावित परिवारों की गुजर-बसर हो सके।

सर्कस बचाए रखने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग

जेमिनी सर्कस और जंबो सर्कस के मालिक अजय शंकर ने इस उद्योग को बचाए रखने के लिये सरकारी हस्तक्षेप की मांग की।

अजय शंकर ने कहा, "हम कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन में तीन साल तक परेशान हुए। लेकिन मैं नहीं रुका क्योंकि सर्कस पर 200 से अधिक परिवार निर्भर हैं।"

उन्होंने कहा कि बड़ी आर्थिक मंदी के बाद बाजार जब फिर से खुले तो सर्कस कंपनियों ने भी रिकार्ड भीड़ को आकर्षित करना शुरू कर दिया। दूसरी नौकरी की तलाश में सर्कस छोड़ चुके लोग भी वापस रिंग में लौट आए।

नक़द ऋण प्रदान करने का आग्रह

अजय शंकर ने कहा कि लेकिन उस वक्त का क्या जब सर्कस काम नहीं कर सकता। उन्होंने सरकार से इस उद्योग को ऑफ-सीजन के दौरान कुछ नकद ऋण प्रदान करने का आग्रह किया।

शंकर ने कहा, "हमें प्रतिदिन डेढ़ लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। हम ऑफ-सीजन में तभी गुजारा कर सकते हैं जब हमें (पीक सीजन के दौरान हुए) उस खर्च से अधिक रकम मिल जाए।"

केरल सरकार ने कहा है कि वह सर्कस उद्योग की मांगों पर विचार करेगी। राज्य के संस्कृति मंत्री साजी चेरियन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''अगर वे अपनी मांगों के संबंध में सरकार को ज्ञापन सौंपते हैं, तो उस पर अनुकूल विचार किया जाएगा।''

केरल का थालास्सेरी जिला सर्कस के लिये मशहूर

केरल का थालास्सेरी जिला सर्कस के लिये मशहूर है। कहा जाता है कि देश में पहली सर्कस कंपनियों में से एक की स्थापना थालास्सेरी में की गई थी। केरल में स्थापित प्रत्येक सर्कस कंपनी के मालिक थालास्सेरी जिले से होते हैं और इस उद्योग में काम करने वाले लोग भी आमतौर पर इसी शहर से संबंधित होते हैं।

नए कलाकारों की कमी के कारण अजय शंकर सर्कस के भविष्य को लेकर संशय में हैं। उन्होंने कहा, "हम अब केवल 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को ही सर्कस में भर्ती कर सकते हैं। हमें इच्छुक बच्चों को प्रशिक्षित करने की अनुमति मिलनी चाहिए जो वयस्क होने पर हमारे साथ जुड़ सकते हैं। केवल अच्छे प्रदर्शन करने वाले लोग ही इन बच्चों को प्रशिक्षित कर सकते हैं और यदि हमारे पास नये बच्चे नहीं आएंगे तब हमारे पास अच्छे प्रशिक्षक भी नहीं होंगे।"

उन्होंने कहा ‘‘कभी जेमिनी सर्कस में हमारे पास 44 हाथी, 19 शेर, 30 बाघ, कई भालू, तेंदुए और दरियाई घोड़े थे। यही वजह है कि जेमिनी सर्कस इतना प्रख्यात था।’’

अजय शंकर को फिर भी, निराशा के बीच, आशा की एक किरण दिखाई देती है। क्योंकि भारतीय नृत्य कलाकारों की जोड़ी तान्या और मुकेश छोटी उम्र से जंबो सर्कस का हिस्सा थे। दोनों में प्यार हुआ और उन्होंने शादी कर ली। इस जोड़ी ने लोकप्रिय टेलीविजन शो ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ में भी हिस्सा लिया और उपविजेता बने।

मुकेश ने अभिनेता शाहरुख खान के साथ बिताये वक्त को याद किया और कहा, "हमने एशिया गॉट टैलेंट शो में भी हिस्सा लिया था।"

प्रतिभाओं को सरकारी स्तर पर पहचान मिलनी चाहिए

अजय शंकर ने कहा कि इन प्रतिभाओं को सरकारी स्तर पर पहचान मिलनी चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि यह उद्योग अगले 30 साल या इससे ज्यादा वर्षों तक जीवित रहेगा, क्योंकि उन्हें लोगों के भीतर लाइव कार्यक्रमों को देखने की नई रुचि दिखाई देती है।

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