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अडानी मामले पर समिति के निष्कर्ष अनुमान के मुताबिक़, क्लीनचिट की बात फ़र्ज़ी : कांग्रेस

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि रिपोर्ट में कुछ ऐसी बातें की गई हैं जिनसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग को बल मिलता है।
Jairam ramesh
फ़ोटो साभार: PTI

नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में जो निष्कर्ष निकाले गए हैं वे पूर्वानुमान के अनुसार हैं, लेकिन यह बात फ़र्ज़ी है कि अडानी समूह को क्लीचिट मिल गई है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में कुछ ऐसी बातें की गई हैं जिनसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग को बल मिलता है।

उन्होने एक बयान में कहा, ‘‘कांग्रेस लंबे समय से यह कहती आ रही है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति का बहुत ही सीमित अधिकार क्षेत्र है और शायद यह ‘मोदानी घोटाले’ की जटिलता को देखते हुए इसको बेनकाब नहीं कर सके।’’

उनके मुताबिक, ‘‘यह समिति अडानी समूह द्वारा सेबी के कानूनों का उल्लंघन किए जाने के संदर्भ में किसी स्पष्ट निष्कर्ष पर पहुंचने में सफल नहीं रही। जब कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकला तो समिति ने यह निकर्ष निकाला कि सेबी की तरफ से कोई नियामकीय विफलता नहीं हुई है।’’

रमेश का कहना है, ‘‘हम इस रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 106 और 144 में दिए गए दो बिंदुओं का उल्लेख करना चाहते हैं जिससे जेपीसी के औचित्य को बल मिलता है।’’

रमेश ने रिपोर्ट के एक अंश उृद्ध करते हुए कहा, ‘‘सेबी इसको लेकर संतुष्ट नहीं है कि एफपीआई को धन देने वाले लोगों का अडानी से कोई संबंध नहीं है।’’

उन्होंने दावा किया कि रिपोर्ट में की गई इस बात से कांग्रेस के इस सवाल की पुष्टि होती है कि 20 हजार करोड़ रुपये कहां से आए?

रमेश के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अडानी के 4.8 करोड़ शेयर उस समय ख्ररीदे जब यह 1031 रुपये से बढ़कर 3859 रुपये हो गया था।

उन्होंने कहा कि इससे सवाल खड़ा होता है कि एलआईसी के किसके हितों की पूर्ति कर रही थी?

रमेश ने कहा, ‘‘समिति के निष्कर्ष अनुमान के मुताबिक हैं। समिति की रिपोर्ट को अडानी को क्लिनचिट दिए जाने की बात करना पूरी तरह फ़र्ज़ी है।’’

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि वह अडानी समूह के शेयरों में हुई तेजी को लेकर किसी तरह की नियामकीय विफलता का निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है।

समिति ने यह भी कहा है कि सेबी विदेशी संस्थाओं से धन प्रवाह के कथित उल्लंघन की अपनी जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी है।

छह सदस्यीय समिति ने हालांकि कहा कि अमेरिका की वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडानी समूह के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजीशन’ (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) बनाने का एक सबूत था और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भाव गिरने पर इन सौदों में मुनाफा दर्ज किया गया।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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