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23 साल पुराने केस में कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत, बनारस की कोर्ट ने दिया था गिऱफ़्तारी का आदेश

23 साल पुराने मामले में 07 नवंबर 2023 को बनारस के विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने सुरजेवाला के ख़िलाफ़ कड़ा रुख अपनाते हुए ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी किया था।
Randeep
फोटो साभार : एनडीटीवी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला को सुप्रीम कोर्ट ने 23 साल पुराने मामले में बड़ी राहत दी है। बनारस की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो दिन पहले इनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस वारंट पर पांच सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। साथ ही यह भी कहा है कि वह वारंट रद्द कराने के लिए चार हफ्ते के अंदर बनारस की एमपी-एमएलए कोर्ट में अपनी अर्जी दाखिल करें।

वाराणसी में साल 2000 में चर्चित संवादिनी कांड को लेकर मंडलायुक्त की अदालत और कार्यालय परिसर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस मामले में कांग्रेस के कई नेता गिरफ्तार किए गए थे। कमिश्नरी परिसर में तोड़फोड़ और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप तत्कालीन कांग्रेस युवा नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ ही पार्टी के कई नेताओं पर लगा था। इसी मामले का ट्रायल विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत में चल रहा है। 23 साल पुराने इस मामले में सुरजेवाला के खिलाफ आरोप तय होना बाकी है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ चल रहे 23 साल पुराने मामले में 07 नवंबर 2023 को बनारस के विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने सुरजेवाला के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए गैर-जमानती वारंट जारी किया था। साथ ही दिल्ली के पुलिस आयुक्त को 21 नवंबर 2023 को सांसद को बनारस की कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इसमें कोई त्रुटि नहीं होनी चाहिए।

विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने कहा कि अभियुक्त सुरजेवाला के खिलाफ कई मर्तबा गैर-जमानती वारंट जारी किए गए, फिर भी वह कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते 23 साल पुराने मामले का जल्द निस्तारण किया जाना है। आशंका जताई जा रही थी कि दिल्ली पुलिस किसी भी दिन सुरजेवाला को गिरफ्तार कर बनारस कोर्ट में हाजिर कर सकती है।

कांग्रेस नेता रणदीप सुरेजवाला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में इस आशय की अर्जी दी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बाबत कोई आदेश ही पारित नहीं किया है। सिंघवी ने यह भी कहा कि यह घटना 23 साल पुरानी है। उस समय रणदीप सुरजेवाला यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे। वह तीन बार बनारस के कोर्ट में पेश हो चुके हैं। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से सुरजेवाला को फौरी तौर पर राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर पांच हफ्ते के लिए रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सुरजेवाला की गिरफ्तारी के वारंट पर अमल नहीं किया जाएगा। उन्हें चार हफ्ते के अंदर ट्रायल कोर्ट जाकर गैर-जमानती वारंट रद्द करने की अर्जी दाखिल करनी होगी।

23 साल पुराने मामले में ये वारंट जारी हुआ था। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है और कांग्रेस नेता को राहत मिली है। सुरजेवाला को अब 5 सप्ताह तक वाराणसी की कोर्ट में पेश होने से राहत मिलेगी। कांग्रेस नेता पर इस मामले में कमिश्नरी में प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ और सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने का आरोप है। इस मामले में युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष रणदीप सिंह सुरजेवाला समेत अन्य लोग आरोपी हैं। इस मामले में कैंट थाना पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। सुरजेवाला के खिलाफ अभी आरोप तय होना बाकी है। सुरजेवाला ने अदालत से आरोप से डिस्चार्ज किए जाने का अनुरोध किया था।

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