ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर न्यायालय के फैसले से कई बड़े सवाल उठे हैं: माकपा
नयी दिल्ली: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बुधवार को कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण बरकरार रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले से कुछ बड़े सवाल उठे हैं , जिनके जवाब देने की जरूरत है।
शीर्ष अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को बरकरार रखा था। अदालत ने कहा था कि यह आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता।
पार्टी ने एक बयान में आग्रह किया, “माकपा शिक्षा व नौकरियों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का विरोध नहीं करती। लेकिन उच्चतम के आदेश से कुछ बड़े सवाल उठे हैं, जिनके जवाब दिए जाने की जरूरत है। ईडब्ल्यूएस पर व्यापक चिंताओं की समीक्षा करें।”
बयान में कहा गया है कि ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ उठाने के लिए आठ लाख रुपये वार्षिक आय, पांच एकड़ से कम कृषि भूमि, 1000 वर्ग फुट का आवासीय फ्लैट और एक अधिसूचित नगर पालिका में 100 वर्ग गज के आवासीय भूखंड की सीमा निर्धारित की गई है और माकपा हमेशा इन मानंदडों पर सवाल उठाती रही है।
पार्टी ने कहा, “न्यूनतम वेतन और कर मुक्ति की सीमा बहुत कम रखी गई है। इन मानदंडों से बड़ी संख्या में वे लोग आरक्षण का लाभ ले सकते हैं, जो वास्तव में गरीब और निराश्रित नहीं है। असल में, इससे गरीब से गरीब व्यक्ति से भेदभाव होता है। इसलिए, सरकार ईडब्ल्यूएस आरक्षण की अपनी नीति में इस चिंता पर विचार करे।”
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