अदालत का मंडी हाउस से विकलांग प्रदर्शनकारियों को हटाने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से इंकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया, जिसमें विकलांग प्रदर्शनकारियों को मंडी हाउस से हटाये जाने का अनुरोध किया गया था।
याचिका में मंडी हाउस से विकलांग प्रदर्शनकारियों को हटाये जाने और प्रदर्शन के कारण प्रभावित सड़कों को आम यातायात के लिए खोलने के निर्देश देने का निवेदन किया गया था।
रेलवे में नौकरी की मांग को लेकर विकलांग लोगों के प्रदर्शन के कारण मंडी हाउस के एक हिस्से और निकटवर्ती दो सड़कों को 26 नवम्बर से बंद किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की एक पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारियों से संपर्क किये बगैर ही अदालत का रूख कर लिया।
अदालत ने याचिकाकर्ता बजरंग वत्स को पहले अधिकारियों के पास जाने के निर्देश दिये और उसकी याचिका का ख़ारिज कर दिया।वत्स ने अपनी याचिका में कहा था कि प्रदर्शन के कारण पुलिस ने यहां सिकंदरा रोड को आईटीओ से मंडी हाउस तक यातायात के लिए बंद कर दिया जबकि तिलक मार्ग लाल बत्ती से भगवानदास रोड को दोनों ओर से मंडी हाउस तक बंद कर दिया।
याचिका में यह भी कहा गया कि क्षेत्र में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध है लेकिन पुलिस प्रदर्शनकारियों को नहीं हटा रही है।
आपको बता दें कि साल 2018 में रेलवे भर्ती बोर्ड के ग्रुप डी की लिखित परीक्षा में ये विकलांग अभ्यर्थी पास हो गए थे। लिखित परीक्षा के रिजल्ट जब आये तब कट ऑफ मार्क नहीं दिखाया गया। जो लोग लिखित परीक्षा में पास हुए थे उन्हें कहा गया था कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होगा। छात्र डाक्यूमेंट बनवाने में जुट गए। लेकिन कुछ दिन के बाद रेलवे ने सीटों की संख्या बढ़ाकर दुबारा नतीजे निकाल दिए।
इस रिवाइज़्ड नतीजों में इन विकलांगों का नाम गायब था। जिन्होंने शुरू में प्रदर्शन किया पहले तो उन्हें लिखित में पास कर दिया गया फिर बिना कारण बताए फेल भी कर दिया गया। इनका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन नहीं हुआ लेकिन बाद में इन्हें बताया गया कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद यह लोग फेल हैं और इनका चयन नहीं हुआ है।
इंसाफ की मांग लेकर ये अभ्यर्थी पिछले 13 दिनों से दिल्ली के मंडी हाउस में विकलांग कोर्ट सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जाती , तब तक वह मंडी हॉउस से नहीं हटेंगे।
( भाषा के इनपुट के साथ )
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